Gorakhpur की मंडियों में चीनी लहसुन(Chinese garlic) की घुसपैठ: तस्करी नेटवर्क और इसके प्रभाव का खुलासा

Gorakhpur की मंडियों में Chinese garlic की घुसपैठ
गोरखपुर (Gorakhpur) के साहबगंज मंडी हाल ही में चर्चा का केंद्र बन गई है। नेपाल सीमा के रास्ते चीनी लहसुन(Chinese garlic) की अवैध आपूर्ति हो रही है, जो तेजी से स्थानीय लहसुन की जगह ले रहा है। यह न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य, बल्कि निष्पक्ष व्यापार और आर्थिक हितों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।
Gorakhpur : साहबगंज मंडी में क्या हो रहा है?
साहबगंज मंडी में चीनी लहसुन(Chinese garlic) नेपाल के रास्ते पहुंच रहा है, जिसमें महराजगंज और सिद्धार्थनगर प्रमुख केंद्र हैं। व्यापारी ग्राहकों की पसंद को देखते हुए चीनी और देसी लहसुन को मिलाकर बेच रहे हैं। चीनी लहसुन आकार में बड़ा, छीलने में आसान, देखने में साफ-सुथरा और सस्ता होने के कारण ग्राहकों की पहली पसंद बनता जा रहा है।
Chinese garlic : तस्करी नेटवर्क कैसे काम कर रहा है?
महिला तस्करों की भूमिका
इस तस्करी नेटवर्क में महिलाएं सक्रिय रूप से शामिल हैं। वे 10-15 किलो लहसुन झोलों में भरकर ट्रेन और ऑटो से मंडी पहुंचती हैं। ये महिलाएं व्यापारियों को सैंपल दिखाकर बड़े ऑर्डर देने के लिए राजी करती हैं। ऑर्डर की पुष्टि होते ही प्राइवेट गाड़ियों से बड़े पैमाने पर लहसुन की आपूर्ति की जाती है।
कारों के जरिए रोजाना आपूर्ति
हर दिन 4-5 प्राइवेट गाड़ियां करीब 2.5-3 क्विंटल चीनी लहसुन(Chinese garlic) लेकर साहबगंज मंडी पहुंचती हैं। ये गाड़ियां सुबह के समय पहुंचती हैं ताकि शक न हो। लहसुन को जल्दी उतारकर इसे स्थानीय उत्पादों के साथ मिला दिया जाता है।
चीनी लहसुन(Chinese garlic) देसी लहसुन से क्यों आगे है?
कीमत में बढ़त
चीनी लहसुन ₹240-₹260 प्रति किलोग्राम के बीच बिकता है, जबकि देसी लहसुन ₹320-₹400 प्रति किलोग्राम तक जाता है। थोक खरीदारों के लिए चीनी लहसुन ₹220 प्रति किलोग्राम तक उपलब्ध है, जिससे 80-100 रुपये का अंतर पैदा होता है।
ग्राहकों की पसंद
चीनी लहसुन(Chinese garlic) साफ-सुथरा, आकार में बड़ा, छीलने में आसान और सस्ता होने के कारण ग्राहकों को आकर्षित करता है। इस कारण देसी लहसुन की बिक्री पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, और स्थानीय व्यापारी मुकाबला करने में असमर्थ हो रहे हैं।
Gorakhpur : स्थानीय व्यापारियों पर प्रभाव
चीनी लहसुन(Chinese garlic) की तस्करी ने मंडी के व्यापारिक समीकरण बिगाड़ दिए हैं। देसी लहसुन बेचने वाले व्यापारियों को बिक्री में भारी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।
- थोक व्यापारी पवन सिंह ने कहा:
“चीनी लहसुन की धड़ल्ले से हो रही बिक्री हमारे व्यापार को नुकसान पहुंचा रही है। इसे रोकने के लिए प्रशासन को कदम उठाने चाहिए।”
बाजार में पैमाना और बिक्री के आंकड़े
चीनी लहसुन(Chinese garlic) ने साहबगंज मंडी के लगभग 50% बाजार पर कब्जा कर लिया है। मंडी में हर दिन करीब 12 क्विंटल चीनी लहसुन की खपत हो रही है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और चुनौतियां
स्थानीय समितियों की चिंता
साहबगंज किराना कमेटी के अध्यक्ष उमेश मद्धेशिया ने कहा-
“चीनी लहसुन(Chinese garlic) बाजार में छा गया है, जिससे स्थानीय व्यापारियों को नुकसान हो रहा है। इसके स्रोत और वितरण की गहन जांच होनी चाहिए।”
खाद्य सुरक्षा टीम का बयान
महेवा कमेटी के सचिव प्रवीण कुमार अवस्थी ने कहा-
“हमें चीनी लहसुन(Chinese garlic) की बिक्री की जानकारी नहीं है। खाद्य सुरक्षा टीम के साथ एक छापेमारी में चीनी लहसुन नहीं मिला। यदि दोषी पाया गया तो मंडी में शामिल व्यापारियों का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।”
Also Read This: Bihar : Nitish Kumar’s ‘Pragati Yatra, A Political Showdown as Tejashwi Yadav Questions Development Goals
नेपाल सीमा से तस्करी के माध्यम से साहबगंज मंडी में चीनी लहसुन(Chinese garlic) की अनियंत्रित आपूर्ति स्थानीय व्यापार और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन गई है। हालांकि प्रशासन जांच का दावा कर रहा है, लेकिन इस अवैध व्यापार को रोकने के लिए तत्काल और कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। ध्यान घरेलू कृषि को सुरक्षित रखने और स्थानीय व्यापारियों को समान अवसर देने पर होना चाहिए।