Caste Census Strategy : राहुल गांधी का मास्टरस्ट्रोक या साझा सियासी श्रेय?

Caste Census Strategy
राहुल गांधी ने Caste census strategy को कांग्रेस के प्रमुख एजेंडे के रूप में उभारा है। केंद्र सरकार के 30 अप्रैल 2025 को जातिगत जनगणना कराने के फैसले को राहुल और कांग्रेस अपनी जीत बता रहे हैं। राहुल का दावा है कि उनकी लगातार मांग और देशव्यापी अभियान के कारण सरकार को यह कदम उठाना पड़ा।
What is Caste census strategy (जाति जनगणना रणनीति क्या है?)
जाति जनगणना रणनीति से तात्पर्य उस राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से है, जिसमें जाति आधारित आंकड़े एकत्र करने और उनका उपयोग करके सामाजिक न्याय, आरक्षण, और चुनावी लाभ हासिल करने की योजना बनाई जाती है।

Caste census strategy पर सियासी संग्राम: श्रेय की होड़ में राजनीतिक दल
हालांकि, राजनीतिक लाभ की राह आसान नहीं है। बीजेपी इसे अपनी उपलब्धि के रूप में पेश कर रही है, दावा करते हुए कि अगली जनगणना में जाति के आंकड़े सामाजिक उत्थान के लिए महत्वपूर्ण होंगे। वहीं, राजद और सपा जैसे क्षेत्रीय दल, खासकर बिहार में, इसका श्रेय लेने की कोशिश में हैं। कुछ विपक्षी नेता कह रहे हैं कि कांग्रेस के शासनकाल में कई दशकों तक जाति जनगणना नहीं हुई, और अब इसका श्रेय लेना गलत है।
चुनौतियां:
- श्रेय की जंग: लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव जैसे नेता भी इसका क्रेडिट ले रहे हैं, जिससे कांग्रेस का दावा कमजोर पड़ सकता है।
- बीजेपी की रणनीति: बीजेपी इसे अपने सामाजिक न्याय के एजेंडे से जोड़कर कांग्रेस को काउंटर कर रही है।
- जमीनी असर: जाति जनगणना का डेटा नीतियों में लागू होने तक इसका राजनीतिक लाभ सीमित रह सकता है, और यह प्रक्रिया लंबी हो सकती है।

कांग्रेस की रणनीति
राहुल गांधी Caste census के साथ-साथ 50% आरक्षण की सीमा हटाने की वकालत कर रहे हैं, इसे दलित, पिछड़े, और आदिवासी समुदायों के लिए हक की लड़ाई के रूप में पेश करते हुए। कांग्रेस को उम्मीद है कि यह मुद्दा 2024 के लोकसभा चुनावों में दिखे प्रभाव को आगे भी दोहराएगा।
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राहुल गांधी ने Caste census strategy को कांग्रेस के लिए मजबूत हथियार बनाया है, लेकिन बीजेपी और क्षेत्रीय दलों की रणनीतियों के कारण लाभ बंट सकता है। अगर कांग्रेस इसे मतदाताओं तक प्रभावी ढंग से ले जाए और नीतिगत बदलावों से जोड़ पाए, तो यह फायदेमंद हो सकता है। फिलहाल, यह चुनौतीपूर्ण रास्ता है।