Papmochani Ekadashi (पापमोचनी एकादशी) 2025: तिथि, महत्व, व्रत विधि और लाभ

 Papmochani Ekadashi (पापमोचनी एकादशी) 2025: तिथि, महत्व, व्रत विधि और लाभ

Papmochani Ekadashi 2025

Papmochani Ekadashi (पापमोचनी एकादशी) मार्च-अप्रैल के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है और यह भगवान विष्णु को डेडिकेट होती है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और प्रार्थना करते हैं ताकि वे अपने पापों से मुक्ति पा सकें और मानसिक शांति प्राप्त कर सकें। यह एकादशी ऋषि मेधावी की कथा से जुड़ी हुई है, जो इसके पापों से मुक्ति दिलाने वाले प्रभाव को दर्शाती है।

Papmochani Ekadashi क्या है?

Papmochani Ekadashi (पापमोचनी एकादशी) हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार मार्च या अप्रैल महीने में पड़ता है। 2025 में, वर्तमान तिथि (08 मार्च) के आधार पर, यह एकादशी संभवतः मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में आएगी, सटीक तिथि के लिए पंचांग देखना आवश्यक होगा।

Papmochani Ekadashi
Papmochani Ekadashi

Papmochani Ekadashi Meaning and Significance (अर्थ और महत्व)

अर्थ:

“पापमोचनी” शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है – “पाप” (पाप या बुरे कर्म) और “मोचनी” (मुक्त करने वाली)। इस प्रकार, इसका अर्थ है “पापों से मुक्ति दिलाने वाली एकादशी”।

महत्व:

भक्तों का मानना है कि इस व्रत का पालन करने से पहले जन्मों और इस जीवन के पापों का नाश होता है, आत्मा की शुद्धि होती है और मानसिक उन्नति प्राप्त होती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है, जिनकी कृपा से व्यक्ति को क्षमा और आशीर्वाद मिलता है।

Papmochani Ekadashi Date (2025 में पापमोचनी एकादशी की तिथि)

Papmochani Ekadashi (पापमोचनी एकादशी) 2025 में चैत्र मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाएगी। यह दिनांक हर वर्ष चंद्र पंचांग के अनुसार बदलती रहती है, लेकिन नैचुरली यह मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में आती है। सटीक डेट और शुभ मुहूर्त जानने के लिए किसी विश्वसनीय पंचांग की सहायता लेनी चाहिए।

व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है
व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है

Rituals and Observance (व्रत और अनुष्ठान)

उपवास:

भक्त सूर्योदय से अगले दिन dwadasi date के सूर्योदय तक उपवास रखते हैं। कुछ लोग फल, दूध और जल ग्रहण कर एक हिस्से का उपवास रखते हैं, जबकि कुछ कठिन व्रत रखकर बिना जल और बिना भोजन किए उपवास करते हैं।

पूजा-पाठ:

भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जिसमें फूल, धूप, दीप और तुलसी पत्र अर्पित किए जाते हैं। इस दिन विष्णु सहस्रनाम या अन्य विष्णु मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

दान-पुण्य:

इस दिन गरीबों को भोजन, वस्त्र और अन्य आवश्यक चीजें दान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है।

Papmochani Ekadashi
Papmochani Ekadashi

Mythological Background (पौराणिक कथा)

हिंदू ग्रंथों, विशेष रूप से भविष्य पुराण में, Papmochani Ekadashi (पापमोचनी एकादशी) से जुड़ी एक कथा का वर्णन मिलता है। कथा के अनुसार, एक ऋषि मेधावी अपनी कठोर तपस्या में लीन थे। स्वर्ग की अप्सरा मंजुघोषा ने उन्हें मोहित करने का प्रयास किया, जिससे ऋषि तपस्या भंग हो गई। बाद में, जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उन्होंने भगवान विष्णु की उपासना कर इस एकादशी का व्रत रखा, जिससे उन्हें अपने पापों से मुक्ति मिली। यह कथा इस व्रत की पवित्रता और पापों से मुक्ति दिलाने की शक्ति को दर्शाती है।

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व्रत के लाभ(Benefits)

भक्तों का मानना है कि Papmochani Ekadashi के व्रत से—
पापों से मुक्ति और अपराधबोध से छुटकारा मिलता है।
आत्मिक उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
स्वास्थ्य, समृद्धि और मोक्ष (मुक्ति) का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस प्रकार, Papmochani Ekadashi (पापमोचनी एकादशी) एक अधिक शुभ और लाभकारी व्रत माना जाता है, जो व्यक्ति को शुद्ध और पवित्र बनाता है।

Nimmi Chaudhary

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