Shantabai and Nivrutti Shinde : जब सच्चा प्यार किसी गहने से कहीं ज़्यादा चमका, वायरल प्रेम कथा जिसने करोड़ों दिलों को छू लिया

Shantabai and Nivrutti Shinde
Shantabai and Nivrutti Shinde : प्रेम की कहानियाँ अक्सर हमें यह सिखाती हैं कि सच्चा प्यार सादगी और समर्पण में बसता है। जून 2025 में, महाराष्ट्र के जालना जिले के अंभोरा जाहागीर गाँव के एक बुजुर्ग दंपति, Shantabai and Nivrutti Shinde की कहानी ने लाखों लोगों का दिल जीत लिया। यह कहानी न केवल उनके अटूट प्रेम की है, बल्कि एक ज्वेलर की दयालुता की भी है, जिसने इसे और खास बना दिया।
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पंढरपुर की यात्रा और एक वादा
93 वर्षीय किसान निवृत्ति शिंदे और उनकी पत्नी शांताबाई हर साल आषाढ़ी एकादशी उत्सव के लिए पंढरपुर की पैदल यात्रा करते हैं। इस बार, अपनी यात्रा के दौरान, वे छत्रपति संभाजीनगर के गोपिका ज्वेलर्स में रुके। निवृत्ति के पास 1,120 रुपये की बचत थी, जो ज्यादातर सिक्कों में थी। यह राशि उन्होंने मेहनत से जोड़ी थी ताकि अपनी पत्नी के लिए एक सोने का मंगलसूत्र खरीद सकें—एक ऐसा वादा जो उन्होंने 15 साल पहले किया था। मंगलसूत्र, भारतीय संस्कृति में वैवाहिक बंधन का प्रतीक, उनके लिए सिर्फ एक आभूषण नहीं, बल्कि उनके प्रेम का प्रतीक था।

दुकान में एक भावुक मुलाकात
जब यह साधारण कपड़ों में सजा दंपति दुकान में पहुँचा, तो कर्मचारियों ने पहले सोचा कि वे शायद आर्थिक मदद माँगने आए हैं। लेकिन जब निवृत्ति ने अपनी इच्छा जाहिर की, तो सभी हैरान रह गए। उन्होंने अपनी बचत के सिक्के दुकान के मालिक निलेश खिवंसरा के सामने रखे। निलेश ने मजाक में कहा, “इतना सारा पैसा?” निवृत्ति को लगा कि शायद यह राशि पर्याप्त नहीं है, और उन्होंने और सिक्कों के बंडल निकाले। उनकी सादगी और प्रेम से प्रभावित होकर, निलेश ने पूरे पैसे लेने से मना कर दिया। उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से केवल 20 रुपये—शांताबाई और निवृत्ति से 10-10 रुपये—लिए और मंगलसूत्र भेंट कर दिया।
Shantabai and Nivrutti Shinde : वायरल हुई कहानी
यह भावुक क्षण दुकान के कैमरे में कैद हो गया और सोशल मीडिया पर साझा किया गया। वीडियो ने 2 करोड़ से अधिक बार देखा गया, और लोग इस दंपति के प्रेम और ज्वेलर की दयालुता की तारीफ करते नहीं थके। टिप्पणियों में लोगों ने लिखा, “यह सच्चा प्यार है” और “निलेश जी ने मानवता की मिसाल कायम की।” यह कहानी केवल एक मंगलसूत्र की खरीदारी नहीं थी, बल्कि प्रेम, विश्वास और दयालुता का एक उत्सव थी।

जीवन की कठिनाइयाँ
Shantabai and Nivrutti Shinde का जीवन आसान नहीं रहा। उन्होंने अपने एक बेटे को खो दिया, और दूसरा बेटा शराब की लत से जूझ रहा है। इस कारण वे एक-दूसरे और कभी-कभी सार्वजनिक सहायता पर निर्भर हैं। फिर भी, उनकी सादगी और एक-दूसरे के प्रति समर्पण ने उन्हें लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बना दिया।
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Shantabai and Nivrutti Shinde की यह कहानी हमें सिखाती है कि प्रेम और दयालुता की कोई कीमत नहीं होती। निवृत्ति का अपनी पत्नी के लिए किया गया छोटा-सा प्रयास और निलेश खिवंसरा की उदारता ने न केवल एक मंगलसूत्र को खास बनाया, बल्कि दुनिया भर में लोगों के दिलों को छू लिया। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि सच्चा प्यार और मानवता की छोटी-छोटी हरकतें समाज को और खूबसूरत बना सकती हैं।