Nepal Gen Z Revolution 2025 : टिकटॉक से संसद तक, युवाओं का जबरदस्त आंदोलन

Nepal Gen Z Revolution 2025
Nepal gen z revolution : नेपाल, जो अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, आज एक ऐतिहासिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। सितंबर 2025 में, Nepal gen z (1997-2012 के बीच जन्मे युवा) ने भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता, बेरोजगारी और सामाजिक अन्याय के खिलाफ एक जोरदार आंदोलन शुरू किया। इसे “gen z revolution” का नाम दिया गया है, जो न केवल सड़कों पर बल्कि डिजिटल दुनिया में भी गूंज रहा है।

Nepal gen z revolution : डिजिटल विद्रोह
यह आंदोलन डिजिटल मंचों से शुरू हुआ, जहां gen z ने टिकटॉक और रेडिट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर #NepoKids और #PoliticiansNepoBabyNepal जैसे हैशटैग के जरिए राजनेताओं के बच्चों की शानदार जीवनशैली को उजागर किया। इन पोस्ट्स में दिखाया गया कि कैसे नेताओं के बच्चे विदेशों से गुच्ची बैग्स के साथ लौटते हैं, जबकि आम नेपाली युवा बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहे हैं। यह “नेपो किड” ट्रेंड जल्द ही वायरल हो गया और युवाओं में गुस्सा भड़काने का काम किया।
4 सितंबर 2025 को, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब और एक्स पर प्रतिबंध लगा दिया। सरकार का कहना था कि यह प्रतिबंध अनियंत्रित सोशल मीडिया को नियंत्रित करने के लिए था, लेकिन युवाओं ने इसे अपनी आवाज दबाने की साजिश के रूप में देखा। इस प्रतिबंध ने न केवल संचार और शिक्षा को प्रभावित किया, बल्कि छोटे व्यवसायों को भी नुकसान पहुंचाया। नतीजतन, डिजिटल गुस्सा सड़कों पर उतर आया।

सड़कों पर उतरता गुस्सा
8 सितंबर 2025 को, काठमांडू के मैतीघर मंडला में हजारों युवा, जिनमें से कई स्कूल यूनिफॉर्म में थे, ने फेडरल पार्लियामेंट की ओर मार्च किया। उनके नारे जैसे “जनरेशन Z चिल्लाती है, भ्रष्टाचार को हम ठुकराते हैं” और “स्वतंत्र आवाज हमारा अधिकार है” ने उनकी मांगों को स्पष्ट किया। प्रदर्शनकारी भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और खराब बुनियादी ढांचे के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।
हालांकि, शांतिपूर्ण प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिए और संसद परिसर में प्रवेश कर लिया। जवाब में, पुलिस ने आंसू गैस, पानी की बौछारें और यहां तक कि गोलीबारी का सहारा लिया, जिसमें एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई और 80 से अधिक लोग घायल हो गए। काठमांडू में दोपहर 12:30 से रात 10:00 बजे तक कर्फ्यू लागू किया गया, और नेपाली सेना को तैनात किया गया।

आंदोलन की विशेषताएं
- नेतृत्वहीन और गैर-राजनीतिक: “हामी नेपाल” और “एमआरआर” जैसे संगठनों द्वारा शुरू किया गया यह आंदोलन जानबूझकर नेतृत्वहीन और गैर-राजनीतिक रखा गया। इसका मकसद किसी भी राजनीतिक दल के प्रभाव से बचना था।
- सामाजिक समर्थन: काठमांडू के मेयर बलेंद्र शाह और मशहूर हस्तियां जैसे अभिनेता मदन कृष्ण श्रेष्ठ और हरि बंश आचार्य ने इस आंदोलन का समर्थन किया। टेक उद्यमी असिम्मन सिंह (पठाओ) ने भी युवाओं का साथ दिया।
- सोशल मीडिया की भूमिका: प्रतिबंध के बावजूद, युवाओं ने वीपीएन जैसे टूल्स का उपयोग कर टिकटॉक और अन्य मंचों पर आंदोलन को संगठित करना जारी रखा।
मांगें और प्रभाव
Gen z की मांगें स्पष्ट हैं:
- सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाना: युवा इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं।
- भ्रष्टाचार पर लगाम: नेताओं और उनके परिवारों की जवाबदेही सुनिश्चित करना।
- आर्थिक सुधार: बेरोजगारी और गरीबी से निपटने के लिए ठोस कदम।
- बुनियादी ढांचे में सुधार: खराब सड़कों और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं को ठीक करना।

इस आंदोलन ने नेपाल की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू किया है। यह पहली बार है जब जनरेशन Z ने इतने बड़े पैमाने पर अपनी आवाज उठाई है, और उनकी डिजिटल और भौतिक एकजुटता ने सरकार को हिलाकर रख दिया है।
भविष्य की राह
यह क्रांति न केवल नेपाल के लिए बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक मिसाल हो सकती है। gen z ने दिखाया है कि युवा शक्ति, जब एकजुट होती है, तो बदलाव की एक बड़ी लहर ला सकती है। हालांकि, आंदोलन के सामने कई चुनौतियां हैं, जैसे हिंसा का बढ़ना, राजनीतिक हस्तक्षेप और सरकार की सख्ती। फिर भी, यह स्पष्ट है कि नेपाल का युवा अब चुप नहीं रहेगा।

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Nepal gen z revolution एक ऐसी चिंगारी है जो दशकों की कुंठा और अन्याय से भड़की है। यह आंदोलन न केवल एक विरोध है, बल्कि एक नई शुरुआत की उम्मीद भी है। यह हमें सिखाता है कि जब युवा अपनी आवाज उठाते हैं, तो वे न केवल अपनी मांगें रखते हैं, बल्कि अपने देश का भविष्य भी तय करते हैं।