Tejasvi vs Tej Pratap : यादव परिवार की सियासी जंग और बिहार चुनाव 2025 पर इसका असर
Bihar Election 2025 : Tejasvi vs Tej Pratap
Tejasvi vs Tej Pratap : बिहार की राजनीति हमेशा से ही परिवारवाद, वफादारी और विश्वासघात की कहानियों से भरी पड़ी रही है। लेकिन जब बात लालू प्रसाद यादव के बेटों – तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव – की हो, तो यह टूटन न सिर्फ राजनीतिक है, बल्कि पारिवारिक रिश्तों पर भी सवाल खड़े करती है। क्या ये बिहार के सबसे प्रसिद्ध भाई अब हमेशा के लिए अलग हो चुके हैं?
Tejasvi vs Tej pratap : एक परिवार, दो महत्वाकांक्षाएं
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की नींव लालू प्रसाद यादव ने रखी, और उनके बेटे तेजस्वी एवं तेज प्रताप ने इसे आगे बढ़ाया। तेजस्वी, जो उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं, पार्टी के चेहरे बने हुए हैं – युवा, आक्रामक और चुनावी रणनीतिज्ञ। वहीं, तेज प्रताप – बड़े भाई – अपनी आध्यात्मिक झलक और विवादास्पद बयानों के लिए जाने जाते हैं। लेकिन मई 2025 में तेज प्रताप का RJD से निष्कासन इस जोड़ी के अंत की शुरुआत साबित हुआ। “अनुशासनहीनता” का आरोप लगाकर पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया, लेकिन असल में यह तेजस्वी की बढ़ती प्रमुखता से उपजी असंतोष की उपज थी।
तेज प्रताप ने शुरुआत में इसे नजरअंदाज किया। उन्होंने तेजस्वी को महाभारत के कृष्ण-अर्जुन से जोड़कर समर्थन जताया। जून में उनके भतीजे के जन्म पर बधाई संदेश भेजकर रिश्ते सुधारने की कोशिश भी हुई। लेकिन यह शांति क्षणिक थी। अंदर ही अंदर घाव गहराते जा रहे थे – टिकट वितरण में हाशिए पर धकेलना, नेतृत्व के फैसलों में अनदेखी। ये छोटी-छोटी बातें धीरे-धीरे जहर बन गईं।

टूटन का कालक्रम : कैसे बिगड़ा माहौल?
बिहार चुनाव 2025 Tejasvi vs Tej Pratap की बैकग्राउंड में यह विवाद चरम पर पहुंचा। आइए, प्रमुख घटनाओं को एक नजर में देखें:
- मई 2025: तेज प्रताप का RJD से निष्कासन। पार्टी अनुशासन का हवाला दिया गया, लेकिन स्रोत बताते हैं कि यह तेजस्वी की बढ़ती पकड़ का डर था।
- जून 2025: संक्षिप्त सुलह। तेज प्रताप ने “साजिश” की अफवाहों को खारिज किया और परिवारिक एकता का संदेश दिया। लेकिन यह सिर्फ दिखावा था।
- अगस्त-अक्टूबर 2025: तनाव फिर उफान पर। तेज प्रताप ने X पर तेजस्वी को अनफॉलो कर दिया – एक छोटा लेकिन साफ संकेत। उन्होंने अपना अलग संगठन “जनशक्ति जनता दल (JJD)” लॉन्च किया और स्वतंत्र उम्मीदवारों की सूची जारी की। महुआ सीट से स्वतंत्र उम्मीदवार बनकर उन्होंने सीधे RJD को चुनौती दी। एक रैली में भीड़ ने उन्हें “तेजस्वी जिंदाबाद” के नारे लगाकर भगा दिया – यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
- अक्टूबर-नवंबर 2025: अब खुली जंग। तेज प्रताप ने तेजस्वी को “दूध के दांतों वाला बच्चा” कहकर तंज कसा, जिनके “दांत अभी गिरे नहीं हैं”। आरोप लगाया कि तेजस्वी ने उनकी उम्मीदवारी को कमजोर करने की साजिश रची। राबड़ी देवी (मां) ने तेज प्रताप का खुला समर्थन किया, जो परिवार में फूट को और गहरा बनाता है। कल (5 नवंबर) पटना एयरपोर्ट पर दोनों की मुलाकात का वीडियो वायरल हुआ – कोई मुस्कान नहीं, कोई अभिवादन नहीं, बस सन्नाटा।
यह टूटन अब सिर्फ भाइयों की नहीं, बल्कि यादव वोट बैंक की भी है। महुआ जैसी सीटों पर वोट बंटवारा RJD के लिए घातक साबित हो सकता है। विपक्षी भाजपा इसे भुनाने में लगी है – “परिवार संभाल लें, तो बिहार संभालेंगे?”
क्यों है यह टूटन “निर्णायक”?
Tejasvi vs Tej Pratap : पिछले झगड़ों से अलग, यह बार-बार की सुलह की गुंजाइश नहीं छोड़ता। तेज प्रताप का JJD संगठन स्थायी विभाजन का प्रतीक है। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक की दुश्मनी, और परिवार के सदस्यों का विभाजित रुख (राबड़ी जी का समर्थन बनाम लालू जी की चुप्पी) – सब कुछ इरादतन लगता है। चुनावी दांव पर लगे होने से सुलह मुश्किल। अगर RJD हारी, तो यह फूट जिम्मेदार होगी; जीती, तो भी तेज प्रताप की विद्रोहशीलता भूलना आसान नहीं।

Tejasvi vs Tej Pratap : बिहार की राजनीति में यादव परिवार का वर्चस्व टूटने की कगार पर है। तेजस्वी की युवा अपील बनाम तेज प्रताप कीऑप्शनल आवाज – कौन जीतेगा? समय बताएगा। लेकिन एक बात साफ है: भाईचारा अब सिर्फ निजी यादों तक सीमित हो चुका है।
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क्या बिहार को नया अध्याय चाहिए?
Tejasvi vs Tej Pratap : यह टूटन बिहार के लिए सबक है – राजनीति में परिवारवाद की सीमाएं क्या हैं? क्या तेज प्रताप की स्वतंत्रता RJD को मजबूत बनाएगी या कमजोर? पाठकों, आपकी राय क्या है? कमेंट्स में बताएं – क्या ये भाई फिर एकजुट होंगे, या बिहार की सियासत में नया दौर शुरू हो चुका है?