Malegaon rape case : एक मासूम की निर्दयी हत्या और न्याय की पुकार
Malegaon rape case
Malegaon rape case : महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव तालुका में डोंग्राले गांव की शांत सड़कों पर 16 नवंबर 2025 को एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया। एक 3.5 वर्षीय मासूम बच्ची, जो दोपहर में अपने घर के पास खेल रही थी, अचानक लापता हो गई। शाम ढलते-ढलते उसका शव मिला, लेकिन वह शव इतना क्षत-विक्षत था कि कोई भी इंसानियत का दंश महसूस न कर सका। यह केवल एक अपराध नहीं, बल्कि समाज की उस काली सच्चाई का आईना है, जहां निर्दोष बच्चे भी हिंसा के शिकार हो जाते हैं। आइए, इस दर्दनाक घटना की पूरी कहानी को समझें और सोचें कि हमारा समाज इससे क्या सीख सकता है।
घटना का क्रम : एक खेल से शुरू हुई त्रासदी
Malegaon rape case : 16 नवंबर की दोपहर करीब 3:30 बजे, वह छोटी बच्ची अपने घर के आसपास दोस्तों के साथ खेल रही थी। गांव की सादगी भरी जिंदगी में यह कोई असामान्य दृश्य नहीं था। लेकिन जब शाम को वह घर नहीं लौटी, तो परिवार में हड़कंप मच गया। नासिक ग्रामीण पुलिस को तुरंत सूचना दी गई, और खोजी अभियान शुरू हो गया।
कुछ ही घंटों बाद, बच्ची का शव गांव से लगभग 300 मीटर दूर एक मोबाइल टावर के पास मिला। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, उसके साथ क्रूर यौन शोषण किया गया था। चेहरे को पत्थर से कुचल दिया गया था, और मौत का कारण गला दबाकर या भारी चोट से लगाया गया हत्या ही था। यह अपराध इतना सोचा-समझा लगता था कि अपराधी ने सबूत मिटाने की पूरी कोशिश की। परिवार के अनुसार, बच्ची की उम्र महज 3.5 साल थी, लेकिन कुछ शुरुआती रिपोर्टों में इसे 3 या 4 साल बताया गया। यह छोटा-सा अंतर भी दर्शाता है कि ऐसी घटनाओं में सच्चाई कितनी जल्दी विकृत हो जाती है।

आरोपी : बदले की आग में जलता एक पड़ोसी
Malegaon rape case : इस दिल दहला देने वाली घटना का मुख्य आरोपी विजय खैरनार है, जो उसी गांव का 24 वर्षीय कपड़ा मजदूर है। कुछ रिपोर्टों में उसे बढ़ई या निर्माण मजदूर बताया गया, लेकिन पुष्टि हुई है कि वह स्थानीय फैब्रिक वर्कर था। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी का बच्ची के पिता से करीब एक महीने पहले मामूली विवाद हुआ था। इसी पुरानी दुश्मनी की आग में जलकर उसने इस मासूम को निशाना बनाया।
खेल रही बच्ची को लालच देकर दूर ले जाकर उसने अपराध को अंजाम दिया। रात होने तक डर से कांपते हुए उसने हत्या कर दी, ताकि पकड़े न जाए। लेकिन बच्ची के खेल-दोस्तों की गवाही ने पुलिस को सीधे उसके घर पहुंचा दिया। पूछताछ में आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। 17 नवंबर को उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया, और 20 नवंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। मामला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत बलात्कार, हत्या और अपहरण, साथ ही बच्चों की सुरक्षा अधिनियम (POCSO) के अंतर्गत दर्ज है। नासिक ग्रामीण पुलिस के इंस्पेक्टर प्रीतम कुमार चौधरी के नेतृत्व में जांच जारी है, जिसमें फोरेंसिक सबूतों पर जोर दिया जा रहा है।
Malegaon rape case : सड़कों पर उतरा गुस्सा, न्याय की मांग
Malegaon rape case : यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज का घाव है। बच्ची का शव मिलने के बाद परिवार ने लाश लेने से इनकार कर दिया। उनका कहना था, “बिना फांसी की सजा मिले हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे।” गांववालों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया, ट्रैफिक जाम कर दिया, और कठोर कानूनों की मांग की। सोशल मीडिया पर भी हंगामा मच गया। लोग इसे “शैतानी कृत्य” बता रहे हैं और प्रधानमंत्री कार्यालय व सुप्रीम कोर्ट से त्वरित न्याय की अपील कर रहे हैं।
ऐसी घटनाएं हमें याद दिलाती हैं कि ग्रामीण इलाकों में बच्चों की सुरक्षा कितनी नाजुक है। क्या हमारी व्यवस्था इतनी कमजोर हो गई है कि एक पुरानी रंजिश मासूम की जान ले ले? यह समय है सोचने का – क्या फास्ट-ट्रैक कोर्ट और सख्त सजाएं ही काफी हैं, या हमें सामाजिक जागरूकता पर भी ध्यान देना होगा?
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न्याय हो, और सबक भी
Malegaon rape case : मालेगांव की यह घटना एक चेतावनी है। विजय खैरनार जैसे अपराधियों को सजा मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई मां-बाप ऐसा दर्द न झेले। लेकिन सजा के साथ-साथ हमें बच्चों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे – गांवों में निगरानी, जागरूकता अभियान, और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान। आइए, इस मासूम की आत्मा को शांति दें और वादा करें कि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।
आप क्या सोचते हैं? क्या कानूनों में बदलाव जरूरी है? कमेंट्स में अपनी राय साझा करें। न्याय के लिए आवाज उठाएं, क्योंकि चुप्पी ही अपराध को बढ़ावा देती है।