Good Job Noida Police! 10 साल बाद खोया चिराग वापस दिलाकर DCP शक्ति मोहन की टीम ने किया बेस्ट काम

 Good Job Noida Police! 10 साल बाद खोया चिराग वापस दिलाकर DCP शक्ति मोहन की टीम ने किया बेस्ट काम

Good Job Noida Police!

Good Job Noida Police: आमतौर पर पुलिस का काम सिर्फ अपराधियों को पकड़ना और कानून व्यवस्था बनाए रखना माना जाता है लेकिन थाना फेस-2 की टीम ने  दिखा दिया  है कि पुलिस की भूमिका इससे कहीं बड़ी है। डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी और थाना प्रभारी विन्ध्याचल तिवारी की अगुवाई में पुलिस ने 10 साल से लापता एक बच्चे को उसके परिवार से मिलवाकर सच्ची मानवता की मिसाल पेश की। यह मामला साबित करता है कि पुलिस सिर्फ सख्त चेहरा नहीं, बल्कि दिल भी रखती है। इतने सालों की मेहनत, धैर्य और लगन ने आखिरकार रंग लाया। नोएडा पुलिस ने न सिर्फ एक परिवार को खुशी दी, बल्कि पूरे समाज को यकीन दिलाया कि अच्छे कामों का कोई विकल्प नहीं होता।

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Good Job Noida Police: 2015 का वो दिन जब सब कुछ बदल गया था

6 नवंबर 2015 का वह दिन  नोए़़डा के  गेझा गांव के एक परिवार के लिए कभी न भूलने वाला दिन बन गया। महज 7 साल का एक मासूम बच्चा अपने घर के पास मंदिर के आसपास खेल रहा था जब अचानक वह गायब हो गया। परिवार ने दो दिन तक स्वयं खोजबीन की और फिर 8 नवंबर 2015 को थाना फेस-2 में मामला दर्ज कराया। थाने ने धारा 363 (अपहरण) के तहत एफआईआर दर्ज की और तत्काल जांच शुरू की। हालांकि, बच्चे का कोई सुराग न मिलने के कारण 20 दिसंबर 2022 को इस मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी गई थी। परिवार ने भी धीरे-धीरे हार मान ली थी, लेकिन नोएडा पुलिस ने इस मामले को पूरी तरह से बंद नहीं किया था।

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Good Job Noida Police: हरियाणा पुलिस से मिली महत्वपूर्ण सूचना

इस मामले में नया मोड़ तब आया जब 28 मई 2025 को हरियाणा के सूरजकुंड थाने में एक बच्चे के अपहरण की एफआईआर दर्ज हुई। 2 जून 2025 को सूरजकुंड पुलिस ने अभियुक्त मंगल कुमार को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से एक बच्चे को बरामद किया। पूछताछ के दौरान मंगल कुमार ने स्वीकार किया कि उसके पास एक और बच्चा है जिसे वह करीब 10 साल पहले नोएडा से लाया था। हरियाणा पुलिस ने यह जानकारी नोएडा पुलिस को साझा की।

नोएडा पुलिस की अथक मेहनत: 6 घंटे की निरंतर जांच

इस जानकारी के बाद थाना फेस-2 की पुलिस टीम ने तत्काल कार्रवाई शुरू की। बच्चे से पूछताछ की गई, लेकिन समस्या यह थी कि उसका नाम बदल दिया गया था और वह अपने वास्तविक परिवार के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दे पा रहा था। थाना प्रभारी विन्ध्याचल तिवारी के निर्देशन में पुलिस टीम ने 10 साल पुराने रिकॉर्ड्स की जांच शुरू की।

टीम ने 2015 से अब तक के सभी गुमशुदा बच्चों के रिकॉर्ड, याददाश्त रजिस्टर और एफआईआर की फाइलों का बारीकी से अध्ययन किया। लगातार 6 घंटे तक चली इस जांच के बाद पुलिस ने पुष्टि की कि यह वही बच्चा है जिसकी 2015 में एफआईआर दर्ज हुई थी। इस पूरी प्रक्रिया में पुलिस की सूझबूझ और धैर्य की भूमिका अहम थी।

परिवार से मिलन का भावुक पल

बच्चे को उसके माता-पिता का नाम तो याद था, लेकिन वर्तमान पता नहीं पता था। पुलिस ने एफआईआर में दर्ज मोबाइल नंबर से संपर्क किया, जो बच्चे के पिता के एक दोस्त का था। उससे पता चला कि परिवार अब मैनपुरी में रहता है। जब पुलिस ने माता-पिता को फोन किया, तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। उन्होंने बच्चे की पहचान के लिए कुछ विशेष निशान बताए – दाएं हाथ की कटी उंगली और बाईं आंख के नीचे चोट का निशान। जब यह मिलान हो गया, तो परिवार के सदस्य तुरंत थाने पहुंचे।

वह दृश्य अत्यंत भावुक था जब बच्चे ने अपने बड़े भाई को देखते ही पहचान लिया और सभी एक-दूसरे से लिपटकर रो पड़े। माता-पिता के लिए यह ऐसा पल था जिसकी उन्होंने 10 साल तक कल्पना की थी। थाने में मौजूद सभी लोग इस भावुक मिलन को देखकर गदगद हो उठे।

Good Job Noida Police: डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी और थाना प्रभारी विन्ध्याचल तिवारी का नेतृत्व

इस सफलता के पीछे डीसीपी सेंट्रल नोएडा शक्ति मोहन अवस्थी और थाना प्रभारी विन्ध्याचल तिवारी के नेतृत्व को विशेष रूप से सराहा जा रहा है। डीसीपी अवस्थी ने इस मामले में व्यक्तिगत रुचि ली और टीम को निरंतर मार्गदर्शन प्रदान किया। उन्होंने इस सफलता पर पुलिस टीम को 25,000 रुपये के इनाम से सम्मानित भी किया है। थाना प्रभारी विन्ध्याचल तिवारी ने इस पूरे मामले में अहम भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में पुलिस टीम ने न केवल 10 साल पुराने रिकॉर्ड्स की गहन जांच की बल्कि बच्चे और परिवार के बीच भरोसा कायम करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। तिवारी ने बताया कि “यह सफलता हमारी टीम के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। हमें खुशी है कि हम एक परिवार को फिर से जोड़ पाए।”

Good Job Noida Police: पुलिस की सूझबूझ और तकनीकी कौशल

इस मामले में नोएडा पुलिस ने अपने तकनीकी कौशल और जांच क्षमताओं का भी परिचय दिया है। पुलिस ने न केवल पुराने रिकॉर्ड्स का सही तरीके से विश्लेषण किया बल्कि बच्चे की पहचान सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक तरीकों का भी उपयोग किया। इस पूरी प्रक्रिया में पुलिस की पारदर्शिता और जवाबदेही भी सराहनीय रही।

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Good Job Noida Police: इस तरीके से मिली पुलिस को सफलता

  1. कभी हार न मानने की भावना: पुलिस ने 10 साल बाद भी इस मामले को नहीं छोड़ा और अंततः सफलता प्राप्त की।

  2. अंतर-राज्यीय सहयोग: हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस के बीच बेहतर समन्वय ने इस सफलता को संभव बनाया।

  3. तकनीकी कौशल का महत्व: पुराने रिकॉर्ड्स का सही तरीके से विश्लेषण कर पुलिस ने अपनी क्षमताओं का परिचय दिया।

  4. मानवीय पहलू: यह मामला दर्शाता है कि पुलिस का कार्य केवल कानून व्यवस्था बनाए रखना ही नहीं बल्कि जनसेवा भी है।

नोएडा पुलिस की यह सफलता पूरे देश के लिए एक मिसाल है। डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी के नेतृत्व में पुलिस टीम ने जिस तरह का समर्पण और मानवीय दृष्टिकोण दिखाया है, वह वास्तव में सराहनीय है। यह मामला न केवल पुलिस की क्षमताओं को दर्शाता है बल्कि उनके जज्बे और जनसेवा भावना को भी उजागर करता है।

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AVS POST Bureau

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