Indus Waters Treaty पर संकट: भारत का जवाब, पाकिस्तान की अपील

Indus Waters Treaty
पाकिस्तान ने कथित तौर पर भारत को एक पत्र लिखकर Indus Waters Treaty (सिंधु जल संधि) को निलंबित करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने नई दिल्ली को पत्र लिखकर संधि के तहत अपनी सीमा में नदियों के प्रवाह को फिर से शुरू करने की मांग की है।
Indus Waters Treaty का निलंबन
Indus Waters Treaty एक महत्वपूर्ण जल-बंटवारा समझौता है, जो छह दशकों से अधिक समय तक कायम रहा है। यह आग्रह तब आया है, जब भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक और पाकिस्तान समर्थित आतंकी हमले के बाद 1960 के इस समझौते को निलंबित कर दिया, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे।
भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर
राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर भारत ने संधि को तब तक निलंबित कर दिया है, जब तक इस्लामाबाद “विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से” आतंकवाद के समर्थन को समाप्त नहीं करता। इस कदम को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस), रणनीतिक मामलों पर शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था, ने मंजूरी दी थी, जो नई दिल्ली द्वारा विश्व बैंक की मध्यस्थता वाले इस समझौते को पहली बार रोकने का कदम है।
पाकिस्तान के मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय को भेजे पत्र में चेतावनी दी कि संधि के निलंबन से देश में संकट पैदा होगा।

प्रधानमंत्री मोदी का कड़ा रुख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद अपने पहले संबोधन में सरकार के कठोर रुख को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते। आतंक और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते। आतंक और व्यापार एक साथ नहीं हो सकते।”
भारत का आतंकवाद पर जवाब
हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को लंबे समय से राज्य नीति के रूप में उपयोग करने की ओर इशारा किया।
संधि के तहत नदियों का बंटवारा
संधि के तहत तीन पश्चिमी नदियाँ – सिंधु, झेलम और चिनाब – पाकिस्तान को आवंटित हैं, जबकि पूर्वी नदियाँ – सतलुज, ब्यास और रावी – भारत के पास हैं। भारत ने अब तीन-स्तरीय रणनीति की घोषणा की है – अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक – ताकि सिंधु के पानी का एक भी बूंद पाकिस्तान में न जाए।
भारत की जल उपयोग नीति
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं कि भारत की सीमा से एक भी बूंद पानी बिना उपयोग के न जाए।
विदेश मंत्रालय का बयान
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सरकार के रुख को दोहराते हुए कहा, “Indus Waters Treaty सद्भावना और मित्रता पर आधारित थी। पाकिस्तान ने दशकों से सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करके इन मूल्यों को रौंदा है।”
ऑपरेशन सिंदूर और भारत की शर्तें
यह कड़ा जवाब ऑपरेशन सिंदूर के बाद आया है, जो पहलगाम हमले के बाद शुरू किया गया एक त्वरित सैन्य अभियान था, जिसके परिणामस्वरूप एक संक्षिप्त युद्धविराम समझौता हुआ। लेकिन नई दिल्ली ने स्पष्ट कर दिया है: इस्लामाबाद के साथ अब बातचीत केवल एक एजेंडे तक सीमित होगी – आतंकवाद को समाप्त करना और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की वापसी सुनिश्चित करना।

संधि के तहत जल बंटवारा
1960 की संधि के अनुसार, भारत को भारत में स्थित सिंधु नदी प्रणाली के कुल पानी का लगभग 30 प्रतिशत मिला, जबकि पाकिस्तान को शेष 70 प्रतिशत मिला।
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Indus Waters Treaty के निलंबन के साथ, नरेंद्र मोदी सरकार के प्रमुख कदम उठाकर रुकी हुई जलविद्युत परियोजनाओं को पूरा करने की उम्मीद है।
उच्च स्तरीय बैठक की योजना
इस सप्ताह गृह मंत्री अमित शाह, जल संसाधन मंत्री पाटिल, ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और संबंधित मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक होने की संभावना है। संधि के निलंबन के बाद अमित शाह, पाटिल और मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के बीच दो बैठकें पहले ही हो चुकी हैं।