PM Modi-ट्रंप शिखर सम्मेलन: रणनीतिक लाभ लेकिन चुनौतियाँ बरकरार 2025

 PM Modi-ट्रंप शिखर सम्मेलन: रणनीतिक लाभ लेकिन चुनौतियाँ बरकरार 2025

PM MODI- TRUMP

वाशिंगटन, D.C. — भारतीय PM Modi अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपने शिखर सम्मेलन से कूटनीतिक अचीवमेंट्स और अनसुलझी चुनौतियों के मिश्रण के साथ लौटे। कुछ प्रमुख कन्सेशन मिलने के बावजूद, PM Modi को अब कुछ कमिटमेंट्स को सावधानीपूर्वक पूरा करना होगा ताकि अमेरिका-भारत संबंधों में गति बनी रहे।

व्हाइट हाउस में हुए इस हाई लेवल बैठक में व्यापार, रक्षा सहयोग और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक गठबंधन जैसे कई मुद्दों पर चर्चा हुई। दोनों नेताओं ने बाइलेट्रल 

संबंधों को मजबूत करने की कमिटमेंट जताई, लेकिन PM Modi के सामने अभी भी कई अनसुलझे मुद्दे हैं।

व्यापार नेगोसिएशन में पार्शियल प्रगति

PM Modi की शीर्ष प्रिऑरिटीज़  में ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान बढ़े कमर्शियल तनाव को हल करना शामिल था। दोनों नेताओं ने कुछ व्यापारिक प्रिवेलेज  को बहाल करने और कुछ वस्तुओं पर टैरिफ को कम करने पर सहमति व्यक्त की, लेकिन भारत को अभी भी 2019 में रद्द की गई अमेरिका की नोर्मलिज़शन वरीयता प्रणाली (GSP) की स्थिति को पूरी तरह बहाल करने के लिए और अधिक बातचीत करनी होगी।

“हमने अपने कमर्शियल असंतुलन को दूर करने में बड़ी प्रगति की है, लेकिन अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है,” मोदी ने शिखर सम्मेलन के बाद कहा। अमेरिकी ओफ्फिसिअल्स ने भी इसी तरह की भावना व्यक्त की, यह संकेत देते हुए कि बाजार पहुंच और बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर लंबित विवादों को सुलझाने के लिए आगे की चर्चा आवश्यक होगी।

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रक्षा रिलेशन  मजबूत हुए लेकिन शर्तों के साथ

PM Modi ने ट्रंप से रक्षा सहयोग को बढ़ाने की कमिटमेंट प्राप्त की, जिसमें संयुक्त सैन्य अभ्यास औरटेक्नोलॉजी ट्रांसफर शामिल हैं। हालांकि, अमेरिका ने भारत से अपने रूसी रक्षा उपकरणों पर निर्भरता को कम करने का आग्रह किया—यह एक जटिल मुद्दा है क्योंकि भारत लंबे समय से मॉस्को के साथ रक्षा साझेदारी बनाए हुए है।

विश्लेषकों का मानना है कि रक्षा सहयोग पर हुई यह सहमति एक सकारात्मक विकास है, लेकिन भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने और अमेरिका के साथ रिलेशन को गहरा करने के बीच संतुलन बनाना होगा।

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हिंद-प्रशांत रणनीति को मिली गति

दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त और खुला बनाए रखने की अपनी कमिटमेंट दोहराई, खासकर चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए। शिखर सम्मेलन में नौसेना सहयोग और खुफिया साझाकरण को बढ़ाने के लिए नए संकल्प किए गए। हालांकि, भारत को अब अपनी क्षेत्रीय कूटनीति को संतुलित करना होगा ताकि अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित क्वाड गठबंधन में इसकी भूमिका चीन के साथ तनाव को न बढ़ाए।

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PM Modi की घरेलू चुनौतियाँ

हालांकि मोदी की यात्रा को एक कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन वे भारत लौटते ही कई घरेलू चुनौतियों का सामना करेंगे। आर्थिक रिवाइवल, पड़ोसी देशों के साथ तनाव प्रबंधन और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखना उनकी प्रमुख प्रायोरिटी में शामिल है।

आगे की चुनौतियों के बावजूद, PM Modi ने अमेरिका-भारत रिलेशन्स के भविष्य को लेकर आशावाद व्यक्त किया और शिखर सम्मेलन को “हमारी साझेदारी को कई क्षेत्रों में गहरा करने की दिशा में एक कदम” बताया।

शिखर सम्मेलन के बाद भारत अपनी to-do list पर काम करता रहेगा, और international समुदाय निकट भविष्य में इन कूटनीतिक पहलों के ठोस इम्पीमेन्टेशन  पर नजर रखेगा।

Nimmi Chaudhary

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