One Country One Election: भारतीय लोकतंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में निर्णायक कदम – सुनील बंसल”

One Country One Election
नोएडा: ‘One Country One Election’ की अवधारणा लोकतंत्र को अधिक व्यावहारिक और लागत-प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बशर्ते इसे व्यापक विचार-विमर्श और सहमति के साथ लागू किया जाए। यह बात रविवार को नोएडा के सेक्टर-91 स्थित पंचशील बालक इंटर कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विषयक प्रबुद्ध समागम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महामंत्री और ‘एक देश, एक चुनाव’ के राष्ट्रीय संयोजक श्री सुनील बंसल ने कही। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. डी.के. गुप्ता (अध्यक्ष, फेलिक्स हॉस्पिटल, नोएडा) ने की, जबकि पूर्व बार एसोसिएशन गौतम बुद्ध नगर के अध्यक्ष कालू राम चौधरी ने संयोजक की भूमिका निभाई।
बार-बार के चुनाव विकास में बाधक
सुनील बंसल ने कहा कि बार-बार होने वाले चुनाव देश के विकास और जनकल्याण योजनाओं में अवरोध उत्पन्न करते हैं। पिछले 30 वर्षों में ऐसा कोई वर्ष नहीं रहा जब किसी राज्य में चुनाव न हुआ हो। ये अनियोजित चुनाव देश की प्रगति में रुकावट का काम करते हैं। ‘ One Country One Election’ अपनाकर इन बाधाओं को दूर किया जा सकता है। इससे राजनीतिक एजेंडा विकास के मुद्दों पर केंद्रित होगा और पांच साल में One Country One Election होने से नेताओं की जवाबदेही बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि यह अवधारणा नई नहीं है; 1952 से 1967 तक चार चुनाव इसी प्रक्रिया के तहत हुए थे।
सरकार द्वारा इस विधेयक पर विचार-विमर्श के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने 62 राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे, जिनमें से 47 दलों ने जवाब दिया। इनमें 32 दलों ने One Country One Election का समर्थन किया, जबकि 15 ने विरोध किया। बंसल ने बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में 1.35 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए, जो देश के वित्तीय संसाधनों पर भारी बोझ है। यदि 2024 में एक साथ चुनाव हुए होते, तो यह जीडीपी में 1.5% की वृद्धि ला सकता था, जो 4.5 लाख करोड़ रुपये के बराबर है।
इसके अलावा, One Country One Election से पर्यावरण को भी लाभ होगा, क्योंकि बार-बार के चुनावों में प्रचार सामग्री, पोस्टर और बैनर से वायु व ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। साथ ही, बार-बार मतदान से आम जनता का समय और ऊर्जा बर्बाद होती है, क्योंकि उन्हें अपने काम से बार-बार छुट्टी लेनी पड़ती है। एक साथ चुनाव से यह समस्या कम होगी।

One Country One Election से लागत और समय की बचत
बंसल ने बताया कि ‘One Country One Election’ कोई नई अवधारणा नहीं है। 1951-52 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते थे। वर्तमान में भारत के 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं का कार्यकाल अलग-अलग समय पर समाप्त होता है, जिसके कारण हर साल कहीं न कहीं चुनाव होते हैं। भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के अनुसार, पिछले दशक में हर साल औसतन 5-7 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। लोकसभा चुनाव हर पांच साल में होते हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव अक्सर समय से पहले—जैसे विधानसभा भंग होने या राष्ट्रपति शासन के कारण—हो जाते हैं।
भारत में 99 करोड़ से अधिक मतदाता हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में करीब 1.35 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए। ‘एक देश, एक चुनाव’ से इस खर्च में 30-35% की कमी आ सकती है। प्रत्येक राज्य के विधानसभा चुनाव में औसतन 5,000-10,000 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। One Country One Election से सरकार, चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के खर्च में 30-40% की कमी आ सकती है, जिससे हर पांच साल में 20-25 हजार करोड़ रुपये की बचत होगी। इसके अलावा, एक साथ चुनाव से रियल जीडीपी वृद्धि में 1.5% की बढ़ोतरी हो सकती है, जो 2023-24 में 4.5 लाख करोड़ रुपये के बराबर थी। यह राशि भारत के स्वास्थ्य पर कुल सार्वजनिक खर्च का आधा और शिक्षा पर खर्च का एक तिहाई है।
एक साथ चुनाव से सकल निश्चित पूंजी निर्माण (निवेश) का अनुपात 0.5% बढ़ सकता है, और महंगाई दर में 1.1% तक की कमी आ सकती है। बंसल ने बताया कि अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन और कनाडा जैसे देशों में एक साथ चुनाव होते हैं। भारत में एक मतदान केंद्र पर औसतन 5 कर्मियों की आवश्यकता होती है। 10.5 लाख मतदान केंद्रों के लिए करीब 55 लाख कर्मी और 20-25 लाख सुरक्षाकर्मी चाहिए। इसके लिए 20 लाख से अधिक ईवीएम सेट (बैलेट, कंट्रोल यूनिट और वीवीपैट) की जरूरत होगी।

प्रशासनिक और विकास कार्यों में सुधार
सुनील बंसल ने कहा कि हर चुनाव में लाखों सरकारी कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाया जाता है, जिससे उनके नियमित कार्य प्रभावित होते हैं। One Country One Election से यह समस्या एक बार में हल होगी। बार-बार आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य रुकते हैं। एक साथ चुनाव से सरकार को पांच साल का स्पष्ट समय मिलेगा, जिससे परियोजनाएं समय पर पूरी होंगी और जनता को जल्द लाभ मिलेगा। लगातार चुनावों से राजनीतिक दल हमेशा चुनावी मोड में रहते हैं। एक साथ चुनाव से सरकार और विपक्ष दोनों को देश की समस्याओं पर गंभीरता से काम करने का अवसर मिलेगा।
उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद डॉ. महेश शर्मा, राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर, पूर्व परिवहन मंत्री व विधान परिषद सदस्य अशोक कटारिया, नोएडा विधायक व भाजपा उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज सिंह, दादरी विधायक तेजपाल नागर, जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह, उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री कैप्टन विकास गुप्ता, पूर्व विधायक व मंत्री नवाब सिंह नागर, हरीश चंद भाटी, श्रीमती विमला बॉथम, भाजपा महानगर अध्यक्ष महेश चौहान, और जिला अध्यक्ष अभिषेक शर्मा उपस्थित थे।
सहभागी संस्थाएं
कार्यक्रम में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व पूर्व अध्यक्ष, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता, फोनरवा, डीडीआरडब्ल्यूए, नोएडा कर्मचारी संघ, भारतीय चिकित्सा संघ, फिक्की, एसोचैम, लोकमंच, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, आकांक्षा, पंजाबी क्लब, व्यापार मंडल दिल्ली-एनसीआर, अग्रवाल मित्र मंडल, युगा व्यापार मंडल, श्री रामलीला मित्र मंडल, दैनिक जागरण, जीएनआईओटी समूह, संभावी महामुद्रा समाज समिति, शाहू समाज, माहेश्वरी समाज, माथुर समाज, राजस्थान कल्याण परिषद, चौसैनी समाज, वर्मा समाज, सूरी समाज, नोएडा वैश्य केंद्र, केसरवानी समाज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, प्रोमिथेस स्कूल, इंफोसिस, श्री राम ग्लोबल स्कूल, आर.डी. पब्लिक स्कूल, आनंदिता हेल्थकेयर, और विभिन्न रोटरी क्लब्स (दादरी, दिल्ली अचीवर्स, दिल्ली रिवरसाइड, नोएडा सेंट्रल, नोएडा सिटी, नोएडा एलीगेंस, नोएडा, ग्रेटर नोएडा) के प्रतिनिधि शामिल थे।
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