सोशल मीडिया के जरिए हमारे देश में विदेशी दखल

 सोशल मीडिया के जरिए हमारे देश में विदेशी दखल

लेखक : बालकृष्ण उपाध्याय

सोशल मीडिया के जरिए हमारे देश में विदेशी दखल
आज के समय में प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तुलना में भारत में सोशल मीडिया का प्रभाव अधिक दिखाई दे रहा है। आज छोटी-छोटी खबरों को बड़े रूप में और बड़ी खबरों को छोटे रूप में दिखाने का काम सोशल मीडिया के जरिए ही किया जा रहा है। अगर हम किसी सोशल ऐप का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो उसकी गोपनीय शर्तों (जैसे कैमरा, लोकेशन, फोटो गैलरी आदि) पर हमसे पूर्व-सहमति लेता है, तभी हम उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। आपने देखा होगा कि एक बार जब आप किसी टॉपिक को सर्च कर लेते हैं तो उससे जुड़ी अन्य जानकारियां आपको अपने आप मिलने लगती हैं, यानी यह आपकी रुचियों, पसंद-नापसंद को अच्छी तरह जानती है। उसने आपकी सारी जानकारी पहले ही एकत्र कर ली है और आपकी रुचि के अनुसार उसे आपके लिए उपलब्ध रखता है। इसी तरह यदि हम राजनीति को देखें कि किस व्यक्ति का रुझान किस पार्टी की ओर जा रहा है, तो इसका अंदाजा लोगों की रुचि, पसंद से लगाया जा सकता है, नापसंद देखकर सोशल मीडिया पहले से ही लग जाता है और एक ही पार्टी के पक्ष में बार-बार पोस्ट दिखाकर देश की राजनीति में भी दखल दे रहा है. देश में किसकी सरकार बनी, विदेश में बैठे लोग सोशल मीडिया के जरिए तय कर रहे हैं कि किस नेता को उठाना है और कब छोड़ना है. विकसित और विकासशील देश कैसे कमजोर देशों पर अपना प्रभाव डालते हैं, यह श्रीलंका और पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति को देखकर देखा जा सकता है।

आज हमारा देश ब्रिटिश गुलामी से मुक्त हो गया है लेकिन हम सभी सोशल मीडिया की गुलामी की ओर बढ़ रहे हैं। सोशल मीडिया के बिना हम 1 दिन भी नहीं जी सकते। हम एक-दूसरे से व्यक्तिगत रूप से मिलते थे। शोक की घड़ी में मांगलिक सीधे कर्मों की बधाई देने और शोक व्यक्त करने के लिए जाते थे। आज के समय में बधाई हो या शोक, बधाई और संवेदना दोनों ही सोशल मीडिया पर व्यक्त की जाती हैं। पूर्व में किसी को विरोध करना पड़ता था तो वह घर से बाहर जाकर विरोध करता था। ज्ञापन आदि दिए गए लेकिन आज विरोध के नाम पर वे केवल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विरोध प्रदर्शन करते हैं।विरोध पोस्ट सोशल मीडिया पर हैं लेकिन इसे कितना प्रसारित किया जाएगा इसका नियंत्रण दुरार के हाथ में है। आज हम सोशल मीडिया के इतने गुलाम हो गए हैं कि घर से निकलने लायक भी नहीं हैं। हमें विरोध करने या अपनी प्रशंसा व्यक्त करने की वास्तविक शक्ति सोशल मीडिया द्वारा बहुत कमजोर कर दी गई है। सोशल मीडिया हमें गुलामी की जंजीरों में बांध रहा है। आज भारत के अधिकांश लोगों के हाथ में सोशल मीडिया का कोई न कोई माध्यम है। सोशल मीडिया के जरिए जो दिखाया जा रहा है उसे पूरी तरह सच मानकर वे बिना सोचे-समझे उसी रास्ते पर चल पड़ते हैं. किस रास्ते जाना है, क्या करना है, किसके साथ जाना है, यह सब विदेश में बैठे लोग तय कर रहे हैं। हमारे देश के लिए इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है? यह देखते हुए कि आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कितनी पोर्नोग्राफी फैल रही है और कंपनी उन अश्लील पोस्ट पर विज्ञापन चला रही है, हमारी आने वाली पीढ़ी का भविष्य खतरे में है। आप सभी इन घटनाओं से भली-भांति परिचित हैं। लेकिन न तो कंपनियां और न ही सरकार इसकी निगरानी कर रही है। इसके विपरीत अगर कोई सोशल मीडिया पर देश की सच्चाई, देश की भलाई के बारे में बोलने की कोशिश करता है, अगर यह उन कंपनियों और सरकार के हित के खिलाफ है तो ऐसे लोगों के खाते बिना कोई कारण बताए बंद कर दिए जाते हैं। जिसका जवाब कोई नहीं देता। सोशल मीडिया पर आज आप वही पोस्ट डाल सकते हैं जिसकी चाह विदेश में बैठे व्यक्ति को होती है। अगर आप किसी पोस्ट को डिलीट करने की कोशिश करते हैं तो आपका फेसबुक पेज डिलीट हो जाता है। जिसकी शिकायत करना कोई जवाब नहीं है। किसके फॉलोअर्स बढ़ने चाहिए, किसका फेसबुक अकाउंट बंद होना चाहिए, यह सारा काम विदेश में बैठा एक शख्स कर रहा है।

 

आज सभी विकसित और विकासशील देशों के अपने-अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं, फिर हमारे देश में हमारे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म क्यों नहीं हैं? हम दूसरे देशों के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर क्यों भरोसा करते हैं? इसलिए भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें सोशल मीडिया पर आत्मनिर्भर होना होगा तभी हम अपने देश को आत्मनिर्भर बना पाएंगे। हमें इस सोशल मीडिया की गुलामी से मुक्त होना है। क्या हम अपने देश के सोशल मीडिया का उपयोग नहीं कर सकते, क्या सरकार को हमारे देश का अपना सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बनाने के लिए कदम नहीं उठाने चाहिए? आज हमारे देश के पैसे से विदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म चल रहे हैं और हमारे अपने देश की एकता और अखंडता को खतरे में डाल रहे हैं। अपने देश का पैसा, अपने देश की आर्थिकी, सोशल मीडिया के जरिए विदेशी सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों में दखल दे रहे हैं। इसलिए सतर्क रहने और इन पर नजर रखने की जरूरत है। 

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Bhool bhulaiyaa 3 Teaser and Trailer सावित्रीबाई फुले(Savitribai Phule) महिलाओं को प्रगति के मार्ग पर लाने वाली एक मजबूत सोच