सावधान! कोरोना संक्रमण रात में तेजी से फैलता है
नई दिल्ली: हमारे दोस्त सोनू का एक दिन फोन आया। बोले मित्र देश में एक बार फिर कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। सावधान रहना, सतर्क रहना। मैंने भी हां में हां मिलाया और कहा आप भी अपना ख्याल रखना। सोनू ने कहा कोशिश करना रात 10 बजे से सुबह 5-6 बजे तक कहीं न आना-जाना। सुना है कोरोना रात में बड़ी तेजी से फैसला है। दिन में तो उतना डर नहीं होता लेकिन रात बड़ी जोखिम वाली हो गई है। मैं कहा क्यों- हंसकर उसने बोला- भाई सबसे ज्यादा कोरोना स्कूलों, रेस्टोरेंट, जिम, स्वीमिंग पूल जैसे स्थानों पर फैलता है इन जगहों पर बिल्कुल मत जाना। राज्य सरकारों ने नाइट कर्फ्यू और पाबंदियां भी इन्हीं चीजों पर ही लगाई है। अब तो दुकानों और बाजारों तक कोरोना पहुंच गया है। यही नहीं अगर आप अपनी कार या दो पहिया गाड़ी में हैं तब भी मास्क जरुर लगाना क्योंकि कोरोना का कुछ पता नही होता। कब दुमदुमाकर शरीर में प्रवेश कर जाए।
मेरे पास कोई नहीं था लेकिन फिर भी बिना मुस्कुराए रहा नहीं गया। मैं कहा सोनू भाई कोरोना का खतरा तो हर जगह होता है। सावधान तो रहना ही चाहिए। इससे अपना ही फायदा है। जिसको एक बार संक्रमण हो गया शारीरिक पीड़ा से ज्यादा मानसिंक पीड़ा उसको होती है और परिवार वाले अलग से परेशान होते हैं। राज्य सरकारों ने नाइट कर्फ्यू कुछ सोच समझकर ही लगाया होगा। पाबंदी भी तो हमारे आप के लिए ही लगाई गई है। सोनू ने फिर कहा- नहीं मित्र आप गलत सोच रहे हैं।
मैं कहा वो कैसे? सोनू ने कहा पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। नेता रैली कर रहे हैं। आप मीडिया में हैं तो वीडियो और तस्वीरें भी रोजाना देखते ही होंगे। रैलियों में हजारों और लाखों की भीड़ उमड़ रही है। वहां कितने लोग मास्क लगाते हैं। नेता भी मास्क नही लगा रहे। अगर लगाते हैं तो बहुत कम। कोरोना नियमों का पालन वहां कितना होता है आप से बेहतर कौन जानता है। फिर भी वहां कोरोना का खतरा नही होता। रैलियों में लाने के लिए लोगों को बसों में ठूंस-ठूंसकर बैठाया जाता है। क्या वहां एक सीट छोड़कर बैठने की व्यवस्था होती है। मेट्रो और बसों में बैठकर आप कहीं जाना चाहते हैं तो वहां कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा होता है। वहां पर नियम बने हैं। लोगों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है, बसों और मेट्रो का इंतजार करना पड़ता है। लेकिन रैली में देखिए। रैली में जानी वाली बसों और कारों को देखिए। वहां कोई नियम कानून नहीं। मजेदार बात यह है कि नियम कानून बनाने वाले नेता और इसका पालन कराने वाले यानी पुलिस-प्रशासन के सामने खुल्लम खुल्ला कोरोना नियम की धज्जियां उड़ाई जाती हैं। सब खामोश रहते हैं।
इससे तो यही समझ में आता है कोरोना संक्रमण भीड़ में नहीं सूनसान जगहों पर तेजी से फैलता है। अभी आप देखना मतदान के दिन भी लाखों लोग वोट करेंगे। वोटों की गिनती और नेताओं की जीत का जश्न भी खूब मनेगा। क्योंकि इन जगहों पर कोरोना का खतरा नही होगा। वजह साफ है कोरोना भी नेताओं से डरता है। भीड़ को देख वह भी भयभीत हो जाता है।
मैंने कहा भाई कई नेताओं को भी कोरोना अपनी चपेट में ले लिया है। भीड़ में कोरोना बड़ी तेजी से फैलता है। ये आपको किसने कह दिया नेताओं और भीड़ से कोरोना को डर लगता है। सोनू ने कहा जिन नेताओं की छाती 56 इंच की नही होगी उन्हीं को कोरोना हुआ होगा। या फिर ऐसे लोगों को कोरोना हुआ होगा जो डरपोक टाइप के होंगे या फिर फैसले ठीक से नहीं ले पाते होंगे। आप तो मीडिया में हैं बेहतर तो आप ही बता पाएंगे।
शराब की दुकानें खुली हैं। सभी सरकारी दफ्तर भी खुले हैं। नेताओं की रैलियां धड़ाधड़ हो रही हैं। जिन जगहों से सरकार को राजस्व प्राप्त होता है सब खुले हैं। क्योंकि इन तमाम जगहों पर कोरोना संक्रमण का खतरा कम होता है। शादी समारोह हो, बर्थ-डे पार्टी या फिर स्कूल यहां कोरोना का डर सबसे ज्यादा होता है। पिछले दो साल से स्कूल-कालेज बंद हैं। कोरोना इन जगहों तेजी से पहुंच जाता है। इसीलिए सरकार भी इन पर सख्त पाबंदी लगाई है। प्राइवेट दफ्तरों में भी कोरोना को पहुंचते देर नहीं लगती। बाजारों में तो दुकानें खुलते ही कोरोना का विस्फोट होने लगता है। लेकिन जब कोई सरकारी कार्यक्रम होता है या नेताओं का कोई जलसा होता है तो वहीं कोरोना की क्या मजाल वह पर भी मार दे। उसकी हिम्मत ही नहीं नेताओं तक जाने की।
मैं हंसने लगा। बोला भाई मेरे…. सरकार जो काम करती है या जो भी फैसले लेती है वह जनहित में ही होता है। सोनू ने फिर मेरी बात काट दी। बोले फिर आप गलत बोल रहे हैं। कोरोना को आए दो साल बीत चुके हैं। पिछली लहर में आपने देखा ही होगा। कितना कहर बरपाया। लोग आक्सीजन सिलेंडर के लिए परेशान रहे। कितने लोग अपनों को खो दिए। आलीशान महल में रहने वाले नेताओं को कहीं देखा। अगर देखा भी होगा तो सिर्फ फोटो खिंचवाने तक। नेता महल में रहते हैं और बात करते हैं गरीबों की। चलते हैं हवाई जहाज और निजी हेलीकाप्टर से। लेकिन जरुरतमंदों तक पहुंचने में लंबा वक्त लग जाता है। आप कह सकते हैं कम से कम चुनाव आने तक वह जनता तक नहीं जा पाते। उससे पहले तो आपको पहचानेंगे तक नहीं। जनहित का नारा देने वाले कितने नेता दिखे जरुरतमंदों की मदद करते।
कोरोना ने सभी पार्टियों और जनहित में कार्य करने वाले नेताओं की पोल खोल दी। कई नेताओं के पास तो खुद के कई-कई अस्पताल हैं। कितने नेता अपने अस्पताल में गरीबों का मुफ्त में इलाज करवा दिए। आपके पास है कोई डाटा। मैं निरत्तर था।
सोनू ने कहा भाई खुद सुरक्षित तो दुनिया सुरक्षित। इसलिए आप सुरक्षित रहें और सबकी भलाई और हितों को लेकर खबरें लिखते रहें। और हां सरकार और नेताओं की खामी जनता को जरुर बताएं ताकि लोकतंत्र जिंदा रहे।
मैं कहा भाई कोशिश करूंगा आपकी बात का मान रख सकूं। आप सरकार से नाराज दिख रहे हैं। सोनू ने कहा जिनको कोरोना हुआ है या हो चुका है और जो अपनों को खो चुके हैं वही बेहतर बता सकते हैं सरकार के दावों में कितनी सच्चाई है। मगर इतना जरुर कहूंगा नेताओं और सरकार को गरीबों की चिंता बातों से नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर करनी चाहिए। मैं कहा जरुर। आप कोरोना की वैक्सीन अभी तक अगर नहीं लगवा पाए हैं तो तुरंत लगवाएं और भी लोगों को प्रेरित करें। सब सुखी रहें, सब स्वस्थ रहें।
अस्वीकरण: यह व्यंग्य वरिष्ठ पत्रकार मंगल यादव द्वारा लिखी गई है इसका किसी के निजी जीवन से कोई वास्ता नहीं है।