DCP Jitendra Mani Tripathi: एक जिंदादिल इंसान, ‘सिंघम’ स्टाइल वाले पुलिस ऑफिसर, नाम है जितेंद्र मणि त्रिपाठी

 DCP Jitendra Mani Tripathi: एक जिंदादिल इंसान, ‘सिंघम’ स्टाइल वाले पुलिस ऑफिसर, नाम है जितेंद्र मणि त्रिपाठी

DCP Jitendra Mani Tripathi: अगर आपके इरादे मजबूत हो तो जिंदगी की हर जग आसानी से लड़ी जा सकती है और उसमें सफलता भी पाई जा सकती है। आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे पुलिस ऑफिसर की जो हर तरह की चुनौतियों का सामना बड़ी ही जिंदादिली से करते हैं और जरूरतमंद की मदद के लिए अपना हाथ हमेशा ही बढ़ाते रहते हैं। इस पुलिस ऑफिसर का नाम है जितेंद्र मणि त्रिपाठी अभी हाल में ही उनका प्रमोशन आईपीएस ऑफिसर के तौर पर हुआ है अभी वो दिल्ली मेट्रो में डीसीपी के पद पर तैनात हैं।

आईपीएस ऑफिसर जितेंद्र मणि त्रिपाठी सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहते हैं अगर आप इनका सोशल मीडिया प्रोफाइल विजिट करें तो कभी ये आपको ‘सिंघम’ जैसे पुलिस ऑफिसर के स्टाइल में दिखेंगे तो कभी एक कवि के तौर पर। खुद को फिट एंड फाइन रखने के लिए वो एक्सरसाइज भी जमकर करते है। इस ऑफिसर की खासियत ये है कि अपने हर अंदाज से समाज और लोगों के प्रेरणा देते हैं।दिल्ली पुलिस के अधिकारी जीतेंद्र मणि त्रिपाठी की मानवीय सोच और संवेदनशीलता की कई कहानियाँ प्रचलित हैं और हर दो चार महीने में इनमें ऐसा कोई न कोई इज़ाफा हो जाता है जो उनको और लोकप्रिय बना देता है. लोगों की भले ही वो अपनी क्षमता में रहकर या कभी उससे बाहर जाकर भी छोटी सी भी मदद करते हों लेकिन वो ख़ुशी का कारण बन जाती है. उस घटना की जानकारी पाने वालों के भी चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है भले ही उनका घटना से सीधा ताल्लुक न हो.

जितेन्द्र मणि दिल्ली मेट्रो के उपायुक्त हैं. कभी कभार वह ऐसी मदद की रोचक असली कहानी सोशल मीडिया पर शेयर भी कर देते हैं जो बहुत ही प्रेरणादायक होती हैं और किसी भी संवेदनशील इंसान को सकारात्मक और आशावादी सोच बढ़ाने में मदद कर सकती है. मेट्रो में यात्रा कर रहे एक शख्स को तो उन्होंने उसके माँ की हाथ की बनाई रोटियों का वो थैला खोज कर पहुँचाने में ही अपने अधिकारियों को लगा दिया था जो यात्रा के दौरान उस शख्स से छूट गया था. हालांकि शुरू में नहीं पता था कि उस बैग में सामान क्या है. यह मामला मीडिया में आया था उस दौरान इसकी चर्चा खूब हुई थी।

डीसीपी जितेंद्र मणी त्रिपाठी के बारे में कहा जाता है कि वे काफी जिंदादिल इंसान हैं. पत्नी को कैंसर बीमारी से खो चुके हैं. पत्नी की याद में ‘कहीं तो हंसी होगी’ नाम से एक किताब भी लिख चुके हैं. इस किताब की बिक्री से मिले पैसे का हिस्सा एम्स में कैंसर का इलाज कराने आए दूर-दराज के मरीजों पर खर्च करते हैं. जितेंद्र मणि दिल्ली पुलिस के 7वीं बटैलियन के डीसीपी भी रह चुके हैं.

AVS POST Bureau

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