Retaliatory action on China : औकात में आया चीन, पीछे हटने को मजबूर हुआ, ये ‘मोदीनीति’ का कमाल है, जानिए कैसे संभव हुआ

 Retaliatory action on China : औकात में आया चीन, पीछे हटने को मजबूर हुआ, ये ‘मोदीनीति’ का कमाल है, जानिए कैसे संभव हुआ

Retaliatory action on China : Army will remove all the construction on LAC

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले जगहों से भारत और चीन की सेना समझौते के अनुसार पीछे हट रही हैं। इसके साथ पिछले करीब आठ महीनों से सीमा पर बना तनाव कम होने लगा है। चीनी सेना के पीछे हटने की कुछ और तस्वीरें भी सामने आई हैं। इस बीच सेना के उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी ने तनाव वाले क्षेत्रों से दोनों देशों की सेना के पीछे हटने की वजहों के बारे में बताया है। उन्होंने सेना की उस रणनीति के बारे में भी खुलासा किया है जिससे चीन पर दबाव बना और उसे अतिक्रमण वाले स्थानों से पीछे हटने के लिए बाध्य होना पड़ा।

चार चरणों में पूरी होगी सैन्य वापसी की प्रक्रिया

‘इंडिया टुडे’ की रिपोर्ट के मुताबिक सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हम इस बात पर सहमत हुए कि जवानों की वापसी चार चरणों में पूरी की जाएगी। पहले चरण में बख्तरबंद वाहनों एवं मेकनिकल रेजिमेंट्स की वापसी होगी। दूसरे चरण में पैंगोंग लेक के उत्तरी एवं दक्षिणी हिस्से से सैनिक वापस आएंगे और चौथे चरण में कैलाश रेंज से सेनाएं पीछे हटेंगी।’ उन्होंने बताया कि प्रत्येक चरण की वापसी होने के बाद जमीन पर इसका सत्यापन किया जाएगा और दोनों पक्ष एक-दूसरे को सूचित करेंगे कि वे एक-दूसरे की गतिविधियों से संतुष्ट हैं कि नहीं। उन्होंने बताया कि 10 फरवरी से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया बिना किसी अवरोध के चल रही है।

एलएसी पर बने सभी निर्माण को हटाएगी सेना

कमांडर जोशी ने कहा, ‘फिंगर 8 तक हमारा दावा है। पीएलए अपनी सेना फिंगर 8 के पीछे ले जा रही है। चीन फिंगर 4 तक दावा करता है। हम फिंगर आठ तक हुए सभी निर्माण ढांचों को हटाते हुए पूर्व की स्थिति बहाल करेंगे। पिछले साल मई महीने में इलाके में अतिक्रमण करने के बाद चीनी सेना ने बंकर, डगआउट्स, टेंट, हेलीपैड बनाए हैं, इन सभी को हटाया जाएगा। खाली होने वाली जगहों पर फिर कोई कब्जा नहीं करेगा।’

देश के लिए ‘विन-विन स्थिति’

जोशी ने आगे कहा, ‘जहां तक मेरी बात है तो यह सेना और देश के लिए ‘विन-विन स्थिति’ है।’ सेना के अधिकारी ने बताया कि बातचीत में चीन झुक नहीं रहा था और वह एक तरह से भारी पड़ रहा था, इसे देखते हुए सेना ने अपनी रणनीति में बदलाव किया। इसके लिए सेना को ऊपर से आदेश मिले। उन्होंने कहा, ‘चीफ ने कुछ ऐसा करने के लिए कहा जिससे हम पीएलए पर दबाव बना सकें और बातचीत को अपने पक्ष में लेकर आ सकें।’ उन्होंने बताया कि रेजांग ला रेचिन ला (आरआर) कॉम्पलेक्स में हमने अपनी गतिविधियों से पीएलए को पूरी तरह से चौंका दिया। पीएलए को उम्मीद नहीं थी कि भारतीय सेना इस तरह से जवाब देगी। सेना की 30 अगस्त की जवाबी कार्रवाई पर चीन का रिएक्शन एकदम हमारी सोच के अनुरूप हुआ। उसे समझ में नहीं आया कि भारतीय सेना क्या कर रही है।

हमने ‘लक्ष्मण रेखा’ बिल्कुल स्पष्ट कर दी थी-सेना

लेफ्टिनेंट जनरल ने आगे बताया, ‘पीएलए के बख्तरबंद वाहन जब आगे बढ़ रहे थे तो हमने वहां पर लक्ष्मण रेखा बिल्कुल स्पष्ट कर दी थी। यह समय बहुत ही तनावपूर्ण था क्योंकि यहां सब्र किसी भी वक्त जवाब दे सकता था। यहां पर दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे से कुछ ही मीटर की दूरी पर थीं।’ उन्होंने कहा, ‘हमने पीएलए को स्पष्ट रूप से बता दिया कि एलएसी की यथास्थिति में जो वे बदलाव करना चाहते हैं, किसी भी स्थिति में हम उन्हें ऐसा करने नहीं देंगे। इस बात को उन्होंने समझ लिया। पीएलए को अब इस तरह का दुस्साहस दोबारा नहीं करना चाहिए। उन्हें समझ में आ गया है कि यह उनकी एक रणनीतिक गलती थी।’ उन्होंने कहा कि सेना ने पिछले आठ महीनों में जो हासिल किया है उस पर देश को गर्व होना चाहिए।

AVS POST Bureau

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