Kolkata: गवाह,सबूत और पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद भी CBI की जांच पर सवाल!
Kolkata: RG Kar Medical College मैं चल रे एक जटिल और संवेदनशील मामले में सीबीआई की जांच पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कि यह मामला केवल कानूनी और राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे जुड़ी आम जनता भी इस पर विचार करने लगी है कि 58 दिनों की लंबी जांच के बाद भी गवाहों के बयान CCTV फुटेज और पॉलीग्राफ टेस्ट जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को अपनाया गया है। तब CBI की जांच वही कहानी बोल रही, जो स्थानीय पुलिस ने अपने पहले ही बता दिया था, इससे इस मामले पर एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है, कि क्या CBI की जांच निष्पक्ष है या नहीं या इसमें कोई गड़बड़ी हो रही है?
कोलकाता पुलिस ने जो बात महज 24 घंटे में बता दी थी। वही सच बताने में CBI की टीम ने पूरे 58 दिन लगा दिए, Kolkata के RG Kar Medical College अस्पताल में जूनियर डॉक्टर के साथ जो कुछ हुआ उसे मामले में सीबीआई में कोलकाता की एक विशेष अदालत में पहले चार्जशीट दाखिल कर दी है, इस चार्जशीट की कहानी बिल्कुल वही है जो Kolkata पुलिस ने पहले सुनाई थी चार्जशीट के मुताबिक जूनियर डॉक्टर के साथ रेप हुआ था गैंगरेप नहीं और इस जुर्म का एक ही आरोपी है– संजय राय।
Kolkata: CCTV फुटेज सच्चाई या गलत व्याख्या?
सीसीटीवी फुटेज इस मामले में सबसे अहम सबूत में से एक है जो अपराध स्थल और उसके आसपास के इलाकों में कई कमरों की recordings जांच के लिए जुटा गई है, यह फुटेज मामले के समय अपराधियों की गतिविधियां और घटनाओं की सटीकता को प्रमाणित करने में मददगार हो सकता है।
फिर भी जनता और कुछ विशेषज्ञों का काम मानना है कि सीसीटीवी फुटेज को सही ढंग से नहीं लिया गया है और इसमें कई important clip ऐसे हैं जो नजर अंदाज कर दिया गया, और गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है। सीसीटीवी फुटेज जांच में असली घटनाओं और उनकी सटीकता को प्रमाणित करने का सबसे विश्वसनीय तरीका होता है, लेकिन जब इसे लेकर संदेह पैदा होने लगे तो जांच की दिशा और उसमें इस्तेमाल किए जाने वाले प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं।
Kolkata: पॉलीग्राफ़ टेस्ट पर भरोसा?
कोलकाता में सीबीआई ने इस मामले से जुड़े 12 लोगों के लाइट डिटेक्टर टेस्ट कारया है, पॉलीग्राफ टेस्ट का उद्देश्य, यह जांचना की कोई व्यक्ति अपने बयानों में झूठ बोल रहा है, या सच बोल रहा है यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है, जो कि इसका उपयोग तभी प्रभावित होता है,जब इसे सही तरीके से लगाया जाए और इसे के परिणाम को निष्पक्ष रूप में देखा जाए।
इस मामले में लाइट डिटेक्टर टेस्ट के नतीजे को लेकर इस पर भी सवाल उठ रहे हैं, कि कई लोग का मानना है की लाइट डिटेक्टर टेस्ट केवल ना एक औपचारिकता के तौर पर किया गया है। और इसके नतीजे को गंभीरता से नहीं लिया गया है, इस प्रशिक्षण में जो भी सच्चाई सामने आई हो उसे जांच में शामिल नहीं किया जा रहा है अगर लाइट डिटेक्टर टेस्ट के परिणामों को उचित तरीके से जांच में नहीं लाया गया, और यह जांच की निष्पक्षता पर गहरा असर डालता है।