बजट 2022-23: जानिए मिड डे मील राशि आवंटन पर निराशा की वजह क्या है?
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में इस बार भी मिडिल क्लास खाली हाथ रह गया। सबसे ज्यादा उम्मीद इनकम टैक्स में छूट की थी, लेकिन वित्त मंत्री ने साफ कर दिया कि टैक्स न बढ़ाने को ही छूट मानिए। वहीं सरकार ने पिछले बजट में मिड डे मील योजना में, जिसे पीएम पोषण नाम दिया गया था, 11,500 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिसे बाद में और घटाकर 10,233 करोड़ कर दिया गया था, क्योंकि महामारी के कारण स्कूल ज्यादातर बंद थे। आगामी वर्ष के बजट में सरकार ने इस मद में 10,233 करोड़ रुपये ही आवंटित किए हैं। तो क्या सरकार मान रही है कि अगले वित्त वर्ष में भी स्कूल ज्यादातर बंद ही रहने वाले हैं?
वहीं पीएम पोषण/मिड डे मील के लिए कम राशि आवंटित किए जाने पर मीड डे मिल से जुड़े संगठनों में निराशा का भाव है. पीएम पोषण मध्याह्न भोजन योजना कर्मचारी संघ गुजरात प्रदेश के अध्यक्ष राजेंद्रसिंह बी चुडासमा ने कहा है कि गरीब बच्चों का विषय गरीबों की आवाज नहीं है या क्या है? देश के 11 करोड़ बच्चों का भोजन धीमा जहर की तरह छीना जा रहा है. अगर सरकार स्कूलों को वापस खोलने और बच्चों को कक्षाओं में बुलाने को लेकर गंभीर है तो मिड डे मील इसका एक अहम हिस्सा है, साथ ही बच्चों के पोषण के लिए भी अहम है।
पीएम पोषण/मिड डे मील योजना के लिए इस वर्ष उतना ही बजट आवंटन हुआ है जितना कि पिछले वर्ष संशोधित बजट में खर्च हुआ था, जो पिछले वर्ष आवंटित बजट से कम था. बीते वर्ष 11,500 करोड़ रुपयों का प्रावधान था, लेकिन खर्च 10,234 करोड़ रुपये हुए. इस बार भी 10,234 करोड़ रुपये ही जारी किए गए हैं.
देश के वित्त मंत्री सीतारमण जी द्वारा कल देश का 93वा, बजट पेश किया गया जिसमें देश के अभिभावकों को उम्मीद थी कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी की चुनौतियों से निपटने को ध्यान में रखते हुये इस बार शिक्षा का बजट दुगना किया जायेगा सरकार द्वारा बजट में मामूली आवंटन तो बढ़ाया गया लेकिन अपने ही द्वारा बनाये मानकों से काफी पीछे छूटता नजर आया 140 करोड़ की आबादी वाले देश मे एक “डिजिटल यूनिवर्सिटी” खोलने की बात की गई है साथ ही “वन क्लास वन टीवी चैनल” कार्यक्रम को 12 टीवी चैनलों से बढ़ाकर 200 टीवी चैनलों तक पहुचाने की बात की गई है जो घोषणा शिक्षा क्षेत्र के बजट को आशा से निराशा की तरफ ले जाता है