नेपाल में उथल-पुथल: प्रधानमंत्री KP Sharma Oli ने Gen Z के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शनों के बीच इस्तीफा दिया

KP Sharma Oli
PM KP Sharma Oli : नेपाल का राजनीतिक परिदृश्य अभूतपूर्व अशांति से हिल गया है, जिसका परिणाम मंगलवार, 9 सितंबर, 2025 को प्रधानमंत्री KP Sharma Oli के इस्तीफे के रूप में सामने आया। ओली के सहायक प्रकाश सिलवाल द्वारा पुष्टि किए गए इस इस्तीफे ने देश में भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों की लहर को चिह्नित किया, जो मुख्य रूप से Gen Z के युवाओं द्वारा संचालित थे। एक विवादास्पद सोशल मीडिया प्रतिबंध से शुरू हुए ये विरोध प्रदर्शन, नेपाल में शासन, भ्रष्टाचार और व्यवस्थागत असमानता के प्रति गहरी निराशा को उजागर करते हैं। आइए, इस ऐतिहासिक क्षण तक पहुंचने वाली घटनाओं और इसके नेपाल के भविष्य के लिए अर्थ पर एक विस्तृत नजर डालें।
उत्प्रेरक: सोशल मीडिया प्रतिबंध ने भड़काई आग
प्रदर्शनों का तात्कालिक कारण नेपाल सरकार का पिछले सप्ताह प्रमुख सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब और X को ब्लॉक करने का निर्णय था। सरकार ने पंजीकरण आवश्यकताओं का पालन न करने का हवाला दिया, लेकिन कई लोगों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने और असंतोष को चुप कराने की कोशिश के रूप में देखा। नेपाल के तकनीक-प्रेमी युवाओं के लिए, जो संचार और संगठन के लिए इन प्लेटफॉर्म्स पर बहुत अधिक निर्भर हैं, यह कदम उनकी स्वतंत्रता पर सीधा हमला था।

प्रतिबंध का तुरंत विरोध हुआ। युवा नेपाली, विशेष रूप से छात्र और Gen Z कार्यकर्ता, सड़कों पर उतर आए और सरकार पर भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए इस नीति का उपयोग करने का आरोप लगाया। “केपी चोर, देश छोड़” (KP Sharma Oli चोर हैं, देश छोड़ दो) जैसे नारे लगाते हुए, प्रदर्शनकारियों ने जवाबदेही और नेपाल के राजनीतिक अभिजन द्वारा दशकों से चली आ रही कथित कुप्रशासन की समाप्ति की मांग की।
तीव्रता: प्रदर्शनों से हिंसा तक
प्रदर्शन, जो शुरू में शांतिपूर्ण थे, जल्द ही हिंसक झड़पों में बदल गए क्योंकि अधिकारियों ने अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू किया और अशांति को दबाने के लिए सुरक्षा बलों को तैनात किया। सोमवार, 8 सितंबर, 2025 तक, स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई थी। प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू में संघीय संसद सहित प्रमुख सरकारी स्थलों पर धावा बोला और भक्तपुर के बलकोट में ओली के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया। संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’, और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के घरों को भी तोड़फोड़ और पथराव का निशाना बनाया गया।
इन झड़पों में कम से कम 19 लोगों की मौत और 300 से अधिक लोग घायल हुए। सोमवार शाम को सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने की कोशिश के बावजूद, प्रदर्शन कम नहीं हुए, जो पुलिस की घातक कार्रवाई और भ्रष्टाचार तथा आर्थिक कुप्रबंधन के खिलाफ लंबे समय से चली आ रही शिकायतों से प्रज्वलित थे।
KP Sharma Oli का इस्तीफा : एक महत्वपूर्ण मोड़
बढ़ते दबाव और जनता के विश्वास की स्पष्ट हानि का सामना करते हुए, प्रधानमंत्री KP Sharma Oli ने मंगलवार दोपहर अपने इस्तीफे की घोषणा की। एक संक्षिप्त बयान में, KP Sharma Oli ने कहा कि उनकी सरकार “जेनरेशन Z द्वारा उठाई गई मांगों के प्रति नकारात्मक नहीं थी,” लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि स्थिति असहनीय हो गई थी। इस्तीफे से पहले कई कैबिनेट मंत्रियों, जिसमें पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक शामिल थे, ने संकट के प्रबंधन, विशेष रूप से पुलिस की हिंसक कार्रवाई के विरोध में इस्तीफा दे दिया था।

रिपोर्ट्स के अनुसार, KP Sharma Oli अगले कुछ दिनों में दुबई जा सकते हैं, हालांकि इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। उनका प्रस्थान एक उथल-पुथल भरे कार्यकाल का अंत करता है, जो राजनीतिक ध्रुवीकरण, आर्थिक चुनौतियों और अब, व्यापक जन अशांति से चिह्नित था।
व्यापक परिदृश्य: नेपाल का परिवर्तन के लिए संघर्ष
ये विरोध प्रदर्शन नेपाल की लोकतांत्रिक व्यवस्था को प्रभावित करने वाली गहरी समस्याओं को दर्शाते हैं। वर्षों से, देश बार-बार नेतृत्व परिवर्तन और गठबंधन सरकारों के साथ राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है, जिसने दीर्घकालिक प्रगति को कमजोर किया है। भ्रष्टाचार के आरोप लंबे समय से राजनीतिक प्रतिष्ठान, जिसमें ओली की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूनिफाइड मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट) शामिल है, को परेशान करते रहे हैं, जिस पर जन कल्याण के बजाय सत्ता को प्राथमिकता देने का आरोप लगता रहा है।
नेपाल के युवा, जो जनसंख्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, सीमित आर्थिक अवसरों, बढ़ती असमानता और सरकार के साथ तालमेल की कमी से तेजी से निराश हैं। सोशल मीडिया प्रतिबंध केवल वह चिंगारी थी जिसने लंबे समय से उबल रही असंतोष को प्रज्वलित किया। एक प्रदर्शनकारी, 22 वर्षीय अंजलि थापा ने स्थानीय मीडिया को बताया, “हम एक ही पुराने वादों से तंग आ चुके हैं। भ्रष्टाचार हमारे देश को खा रहा है, और हम अब चुप नहीं रहेंगे।”
नेपाल का भविष्य क्या है?
KP Sharma Oli का इस्तीफा नेपाल को एक चौराहे पर छोड़ गया है। राजनीतिक दल अब नई सरकार बनाने के लिए जूझ रहे हैं, लेकिन यह प्रक्रिया चुनौतियों से भरी होने की संभावना है। नेपाल का बार-बार गठबंधन और सत्ता संघर्ष का इतिहास लंबे समय तक अस्थिरता की आशंका को बढ़ाता है, खासकर ऐसे समय में जब देश आर्थिक मंदी और बढ़ते जन असंतोष का सामना कर रहा है।

तत्काल में, काठमांडू घाटी में भारी सुरक्षा और कर्फ्यू बनाए रखा गया है। स्कूल और दुकानें बंद हैं, और सड़कों पर तनाव है क्योंकि देश अपने राजनीतिक भविष्य पर स्पष्टता की प्रतीक्षा कर रहा है। Gen Z के नेतृत्व में हुए प्रदर्शन धीमे होने के कोई संकेत नहीं दिखा रहे हैं, प्रदर्शनकारी व्यवस्थागत परिवर्तन के लिए अपनी लड़ाई जारी रखने की कसम खा रहे हैं।
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जवाबदेही की पुकार
पिछले सप्ताह की घटनाओं ने नेपाल के युवाओं की परिवर्तन लाने की शक्ति को उजागर किया है, लेकिन साथ ही देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं की नाजुकता को भी रेखांकित किया है। जैसे-जैसे नेपाल इस उथल-पुथल भरे दौर से गुजर रहा है, पारदर्शिता, जवाबदेही और सुधार की मांगें और तेज होंगी। अगली सरकार इन मुद्दों को संबोधित कर सकती है और जनता का विश्वास बहाल कर सकती है, यह देखना बाकी है।
फिलहाल, नेपाल अपने इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है, जिसमें इसके युवाओं की आवाजें सड़कों पर गूंज रही हैं, जो एक बेहतर भविष्य की मांग कर रही हैं।