Shubhanshu Shukla ISS मिशन : 1984 के बाद भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री की सफलता

Shubhanshu Shukla ISS मिशन complete
Shubhanshu Shukla : 15 जुलाई 2025 को भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा जब भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुंभाशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से 18 दिन के मिशन के बाद पृथ्वी पर सुरक्षित लौटे। एक्सिओम-4 मिशन के तहत यह यात्रा न केवल शुक्ला के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक गर्व का क्षण थी। वह पहले भारतीय बने जिन्होंने आईएसएस पर कदम रखा, और 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं।

मिशन का अवलोकन
शुंभाशु शुक्ला ने स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान “ग्रेस” में कमांडर पेगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज़ उज़नान्स्की-विस्निव्स्की और हंगरी के टिबोर कपु के साथ यह यात्रा शुरू की थी। यान ने कैलिफोर्निया के सैन डिएगो तट के पास प्रशांत महासागर में 15 जुलाई 2025 को दोपहर लगभग 3:02 बजे (भारतीय समयानुसार) सफलतापूर्वक लैंडिंग की। इस मिशन के दौरान, चालक दल ने 310 से अधिक बार पृथ्वी की परिक्रमा की और सात महत्वपूर्ण माइक्रोग्रैविटी प्रयोग किए।
Shubhanshu Shukla : वैज्ञानिक योगदान
शुक्ला ने अपने मिशन के दौरान कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, जो भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनमें शामिल थे:
- भारतीय टार्डिग्रेड्स पर अध्ययन: ये सूक्ष्म जीव चरम परिस्थितियों में जीवित रहने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
- मायोजेनेसिस: मांसपेशियों के विकास पर अंतरिक्ष के प्रभाव का अध्ययन।
- मेथी और मूंग के बीजों का अंकुरण: अंतरिक्ष में पौधों की वृद्धि की संभावनाओं की जांच।
- सायनोबैक्टीरिया और माइक्रोएल्गी: इनका उपयोग भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में ऑक्सीजन और भोजन उत्पादन के लिए हो सकता है।
- फसल बीजों पर शोध: अंतरिक्ष में कृषि की संभावनाओं का अध्ययन।

इन प्रयोगों के परिणाम भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान कार्यक्रम को मजबूती प्रदान करेंगे, जिसका लक्ष्य 2027 में मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन को अंजाम देना है।
राष्ट्रीय गौरव और प्रेरणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्ला की उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, “शुंभाशु शुक्ला ने अपनी ऐतिहासिक यात्रा से एक अरब सपनों को प्रेरित किया है।” यह मिशन भारत की बढ़ती वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं का प्रतीक है। शुक्ला की उपलब्धि ने न केवल युवाओं को अंतरिक्ष अनुसंधान की ओर प्रेरित किया है, बल्कि भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में और मजबूत स्थिति प्रदान की है।
परिवार और समुदाय की खुशी
लखनऊ में शुक्ला के परिवार ने उनकी सुरक्षित वापसी पर उत्सव मनाया। उनकी मां, आशा शुक्ला, ने कहा, “हमें अपने बेटे पर गर्व है। उसने न केवल अपने सपनों को पूरा किया, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया।” स्थानीय समुदाय ने भी इस उपलब्धि को उत्साह के साथ मनाया, और कई लोग इसे भारत के उज्ज्वल भविष्य के संकेत के रूप में देख रहे हैं।

भविष्य की योजनाएं
वर्तमान में शुक्ला क्वारंटाइन में हैं, जहां वह मिशन के बाद की प्रक्रियाओं से गुजर रहे हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने संकेत दिया है कि शुक्ला का अनुभव भविष्य के मिशनों, विशेष रूप से गगनयान कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण होगा। उनकी विशेषज्ञता और अंतर्दृष्टि भारत को स्वदेशी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन की दिशा में और आगे ले जाएगी।
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Shubhanshu Shukla की यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में एक मील का पत्थर है। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक उपलब्धियों का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मेहनत, समर्पण और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी सपना असंभव नहीं है। शुक्ला की कहानी लाखों युवाओं को प्रेरित करेगी और भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।