मुख्यमंत्री मनोहर लाल का संघर्ष और समर्पण का जीवन्त दस्तावेज है तरुण झा की किताब “स्वयंसेवक से मुख्यसेवक तक”
नई दिल्ली: एक ऐसा व्यक्ति जो कुछ महीने पहले तक केवल औरों को ही चुनाव लड़वाता था,औरों के चुनाव अभियान की रणनीति बनाता था,खुद कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा, लोकसभा चुनाव में पार्टी ने चुनाव अभियान समिति का जिम्मा सौंपा, वह कुछ महीने बीतते-बीतते पहली बार विधायकी का चुनाव लड़ा और पहली बार में विधायक बने और फिर सीएम बने,जो एक छोटे से गांव से निकल कर सीएम हाउस तक पहुंचे,जिसके डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह जाए लेकिन जिस सीएम पद का सपना देखा भी न हो वह पूरा हो जाए। एक ऐसा व्यक्ति जो हमेशा पर्दे के पीछे ही रहा,अचानक से सेंटर स्टेज पर आ गया। देखते ही देखते कैसे वह व्यक्ति कोच से कप्तान की भूमिका पा गया। कैसे सब्जी विक्रेता से सीएम,संगठन मंत्री से मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया, ये किताब एक ऐसे व्यक्ति की राजनीतिक यात्रा के बारे में बड़े रोचक तरीके से बताती है।
मनोहर लाल, एक जाट बाहुल्य राज्य में एक गैर जाट मुख्यमंत्री के रूप में स्वयं को स्थापित कर पाए,ये हरियाणा की राजनीति में किसी आश्चर्य से कम नहीं। वैसे मीडिया का एक धड़ा मनोहर लाल जैसे दक्षिणपंथी मुख्यमंत्रियों के प्रति वैमनस्यतापूर्ण व्यवहार करता रहा है। ऐसे में यह किताब निष्पक्षता से मनोहर लाल की आलोचना भी करती है और उनकी खूबियों को भी विस्तार से बताती है। 172 पन्नों में सिमटी इस किताब में 6 अध्याय हैं। पुस्तक के पहले अध्याय में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रारंभिक जीवन से संगठन मंत्री बनने तक की कहानी है वहीं दूसरे अध्याय में मुख्यमंत्री बनने तक की इनसाइड स्टोरी और उस दौरान के लेखक के व्यक्तिगत संस्मरण हैं। तीसरे अध्याय में सरकार के कामकाज की समीक्षा है जबकि चौथे अध्याय में मुख्यमंत्री के ‘हरियाणा एक,हरियाणवी एक’ नारे की पड़ताल है। पांचवे अध्याय में हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी के उदय की कहानी है। छठे और अंतिम अध्याय में खट्टर काका से जुड़े कई मनोहर किस्से हैं।
लेखक टीवी पत्रकार होने के नाते से सीएम मनोहर लाल के संपर्क में थे। जिसके चलते उन्होंने सीएम मनोहर लाल के राजनीतिक यात्रा को साक्षी भाव से देखा है। जो इस पुस्तक को और अधिक प्रामाणिक बनाती है। यह किताब मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निजी और राजनैतिक जीवन के अनकहे पहलुओं को बहुत ही रोचक अंदाज में बयान करती है, खासतौर पर मुख्यमंत्री बनने की इनसाइड स्टोरी इसकी यूएसपी रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल का संघर्ष और समर्पण का जीवन्त दस्तावेज है यह किताब।
पुस्तक – मनोहर लाल – स्वयंसेवक से मुख्यसेवक तक
लेखक – तरुण झा
प्रकाशक – यश पब्लिकेशंस
मूल्य – 199 रुपए
शशि पाण्डेय
समीक्षक