Prashant Kishor का आमरण अनशन: BPSC भ्रष्टाचार और बिहार के युवाओं के साथ अन्याय के खिलाफ जंग, प्रशांत किशोर की 5 मांगे
प्रशांत किशोर(Prashant Kishor) ने कहा:
“मैं यहां बिहार के युवाओं के साथ हो रहे अन्याय, प्रतियोगी परीक्षाओं में भ्रष्टाचार और ध्वस्त होती शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठा हूं। जब तक युवाओं को न्याय नहीं मिलेगा, मैं यहां से नहीं उठूंगा।”
प्रशांत किशोर(Prashant Kishor) की मांगें
प्रशांत किशोर(Prashant Kishor) ने अपनी पाँच मांगों में निम्नलिखित मुद्दों को उजागर किया:
- 70वीं BPSC पीटी परीक्षा रद्द करें
किशोर ने प्राथमिक परीक्षा को तुरंत रद्द करने की मांग की, यह आरोप लगाते हुए कि इसमें बड़े पैमाने पर इर्रेगुलरिटी और भ्रष्टाचार हुए हैं। - भ्रष्टाचार की जांच
उन्होंने BPSC में इर्रेगुलरिटीऔर भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। किशोर ने कहा, “आधी से ज्यादा सीटों का सौदा पहले ही हो चुका है।“ - बेरोजगारी भत्ता
2015 की “सात निश्चय” योजना का हवाला देते हुए किशोर ने सरकार से बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने की अपील की। - डोमिसाइल नीति लागू करें
उन्होंने बिहार के युवाओं को सरकारी नौकरियों में कम से कम दो-तिहाई हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग की। - जवाबदेही और पारदर्शिता
किशोर ने पिछले 10 वर्षों में प्रतियोगी परीक्षाओं में हुई इर्रेगुलरिटीज़ और पेपर लीक पर कार्रवाई का वाइट पेपर जारी करने की मांग की।
सिस्टम पर तीखी आलोचना
किशोर(Prashant Kishor) ने राज्य प्रशासन पर युवाओं को फेल करने का आरोप लगाते हुए कहा:
“लोकतंत्र की जननी बिहार को लाठी तंत्र में बदल दिया गया है। जो लोग इस अराजकता के लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।”
सरकार का 48 घंटे का अल्टीमेटम नजरअंदाज
प्रशांत किशोर(Prashant Kishor) ने पहले सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था, जिसमें उन्होंने 70वीं BPSC पीटी परीक्षा को रद्द करने की मांग की थी। उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती है, तो वे 2 जनवरी से आमरण अनशन शुरू।
सरकार की ओर से कोई कदम न उठाए जाने पर, किशोर ने अपने वादे के मुताबिक, अनशन शुरू कर दिया। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने दोहराया कि यह आंदोलन बिहार के उन युवाओं के लिए है, जिनके अधिकारों और अवसरों को व्यवस्थित रूप से छीना जा रहा है।
प्रदर्शन के व्यापक परिणाम
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के अनशन ने शिक्षा और भर्ती प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है। उनकी मांगें बिहार के युवाओं के बीच बढ़ती हताशा को दर्शाती हैं, जो नौकरी के अवसरों की कमी, पेपर लीक और प्रतियोगी परीक्षाओं में कथित हेरफेर से परेशान हैं।
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किशोर(Prashant Kishor) का यह आंदोलन बिहार सरकार के लिए एक परीक्षा साबित हो सकता है, जिससे सरकार पर इन समस्याओं को हल करने और राज्य की शिक्षा एवं भर्ती प्रणाली में जनता का विश्वास रिस्टोर्ड करने का दबाव बढ़ गया है।