Prashant Kishor आमरण अनशन (Fast until death) पर बैठे, क्या आप जानते हैं कितने प्रकार के होते हैं अनशन और क्या है? 

 Prashant Kishor आमरण अनशन (Fast until death) पर बैठे, क्या आप जानते हैं कितने प्रकार के होते हैं अनशन और क्या है? 

Prashant Kishor का आमरण अनशन

पटना: बिहार के चर्चित राजनैतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर(Prashant Kishor) ने राज्य सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर आमरण अनशन (Fast until death) शुरू कर दिया है। उनकी मांगों में शिक्षा सुधार, बेरोजगारी का समाधान और पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार खत्म करने जैसी महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल हैं। प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वह अपना अनशन खत्म नहीं करेंगे।  

Fast until death
Fast until death

क्या होता है आमरण अनशन(What is Fast until death)?  

आमरण अनशन (Fast until Death) एक ऐसा विरोध प्रदर्शन है, जिसमें व्यक्ति अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए भोजन का पूरी तरह से त्याग कर देता है। यह तब तक जारी रहता है जब तक मांगें पूरी नहीं हो जातीं या अनशनकर्ता की जान चली जाती है। यह गांधीवादी तरीकों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें अहिंसा और सत्याग्रह को आधार बनाया जाता है।  

अनशन के प्रकार  

भारत में अनशन के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से हर एक का उद्देश्य और तरीका अलग-अलग होता है:  

  1. सामान्य अनशन:    कुछ दिनों के लिए भोजन का त्याग किया जाता है, लेकिन पानी और अन्य तरल पदार्थ लिए जा सकते हैं।
  1. आमरण अनशन(Fast until death):   यह तब तक जारी रहता है जब तक मांगें पूरी न हों। इसमें व्यक्ति भोजन का पूरी तरह त्याग करता है।
  1. प्रतीकात्मक अनशन: यह आमतौर पर एक दिन या कुछ घंटों का होता है, जो विरोध या समर्थन जताने के लिए किया जाता है।
  1. सामूहिक अनशन: इसमें एक समूह या समुदाय एक साथ मिलकर अपनी मांगों के लिए अनशन करता है।
  1. जल-त्याग अनशन: इस अनशन में भोजन के साथ-साथ पानी का भी त्याग किया जाता है। यह अत्यधिक कठोर और खतरनाक हो सकता है।
  1. धार्मिक अनशन: यह धार्मिक या आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे नवरात्रि व्रत या जैन धर्म का संथारा।

प्रशांत किशोर(Prashant Kishor) का अनशन और बिहार की राजनीति  

प्रशांत किशोर(Prashant Kishor) के इस आमरण अनशन(Fast until death) ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। उनके समर्थकों का कहना है कि यह कदम राज्य में बदलाव लाने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है। पटना के गांधी मैदान में हजारों समर्थक उनके साथ एकता दिखा रहे हैं।  

 सरकार का रुख 

बिहार सरकार ने प्रशांत किशोर(Prashant Kishor) के अनशन को “राजनीतिक नाटक” करार दिया है। सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि राज्य के विकास के लिए सरकार लगातार काम कर रही है और इस प्रकार के विरोध प्रदर्शन केवल राजनीति से प्रेरित हैं।  

 अनशन का महत्व और इतिहास  

आमरण अनशन(Fast until death) भारतीय इतिहास में बदलाव लाने का एक प्रभावी माध्यम रहा है। महात्मा गांधी से लेकर अन्ना हजारे तक, कई नेताओं ने इस माध्यम का उपयोग कर जनता की समस्याओं को उजागर किया है। अब प्रशांत किशोर(Prashant Kishor) ने इसे अपनाकर राज्य सरकार पर दबाव डालने का प्रयास किया है।  

Also Read This: Prashant Kishor का आमरण अनशन: BPSC भ्रष्टाचार और बिहार के युवाओं के साथ अन्याय के खिलाफ जंग, प्रशांत किशोर की 5 मांगे

क्या होगा परिणाम?  

प्रशांत किशोर(Prashant Kishor) के इस कदम से बिहार में राजनीति का एक नया अध्याय लिखा जा सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि उनकी मांगें पूरी होती हैं या नहीं। फिलहाल, जनता की निगाहें इस अनशन पर टिकी हुई हैं।

Nimmi Chaudhary

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Bhool bhulaiyaa 3 Teaser and Trailer सावित्रीबाई फुले(Savitribai Phule) महिलाओं को प्रगति के मार्ग पर लाने वाली एक मजबूत सोच