पीएचडी पर लागू होगा कॉमन फार्मूला, नया रेगुलेशन तैयार : UGC
उच्च शिक्षण संस्थानों में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए 01 जुलाई 2021 से पीएचडी जरूरी है। ऐसे में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अब पीएचडी की गुणवत्ता बढ़ाने के मकसद से इसके एडमिशन और डिग्री अवार्ड करने के नियमों को सख्त करने जा रहा है। ये नियम यूनिफाइड होंगे। पूरे देश में पीएचडी की एक समान पद्धति लागू होगी, जो तैयार हो चुकी है। नए रेगुलेशन में पीएचडी एडमिशन के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की काॅमन प्रवेश परीक्षा कराने की भी योजना है।
आयोग की ओर से यूजीसी- (एमफिल/ पीएचडी डिग्री प्रदान करने हेतु न्यूनतम मानदंड और प्रक्रिया) रेगुलेशन को रिवाइज किया जा रहा है। कई महीनों की लंबी प्रक्रिया और उच्च स्तरीय विशेषज्ञों की कमेटी ने इस नए रेगुलेशन का ड्राफ्ट तैयार किया है। बताया जा रहा है कि जनवरी महीने में ही इसे सार्वजनिक कर दिया जाएगा। इसके जरिए देश भर के विश्वविद्यालयों में पीएचडी एडमिशन के लिए एक जैसे नियम होंगे।
पीएचडी के लिए प्रवेश परीक्षा जरूरी-
पीएचडी में एडमिशन लेने के लिए अब प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू दोनो जरूरी होंगे। केंद्रीय विश्वविद्यालय अपनी परीक्षा खुद ले सकेंगे। राज्य सरकारें भी अपने प्रदेश के विश्वविद्यालयों के लिए पीएचडी प्रवेश परीक्षा आयोजित कर सकते हैं। ये केंडिडेट को तय करना है कि वह किस प्रवेश परीक्षा के जरिए पीएचडी में एडमिशन लेना चाहता है।
नेट वाले यहां भी मुश्किल में-
सबसे बड़ा सवाल ये है कि फिर नेट और एमफिल वालों का क्या होगा। बताया जा रहा है कि इस रेगुलेशन में नेट वालों को भी पीएचडी एडमिशन में छूट नहीं मिलेगी। बहुत से विषयों में नेट परीक्षा नहीं कराई जाती, जिसके कारण पीएचडी में एक समान पद्धति लागू नहीं हो पा रही है। इस रेगुलेशन के बाद नेट पासआउट केंडिडेट को भी पीएचडी एडमिशन प्रवेश परीक्षा देनी होगी।
मौजूदा नियम-
यूजीसी ने 5 मई 2016 को एमफिल-पीएचडी रेगुलेशन 2016 लागू किया था। इसमें पीएचडी कोर्स का समय न्यूनतम 3 साल और अधिकतम 6 साल है। इसके सेक्शन-5 में प्रावधान है कि नेट-सेट जैसी परीक्षाएं पास कर चुके उम्मीदवारों को पीएचडी में एडमिशन देने के लिए विश्वविद्यालय अलग नियम बना सकते हैं। मतलब, इस नियम के तहत तमाम विश्वविद्यालय नेट-सेट पास केंडिडेट को सीधे इंटरव्यू के लिए आमंत्रित करते हैं। इन्हें एंट्रेंस देने की जरूरत नहीं है।
प्रस्तावित हुआ था ये संशोधन-
यूजीसी ने 2 जून 2017 को इस रेगुलेशन में पहला संशोधन प्रस्तावित किया। इसमें यूजीसी ऑटोनॉमी रेगुलेशन-2017 के तहत विश्वविद्यालयों के वर्गीकरण को आधार बनाया गया, जिसमें विश्वविद्यालयों को उनकी नैक रैंकिंग के आधार पर केटेगरी-1, केटेगरी-2 और केटेगरी-3 में बांटने का प्रावधान है। इस संशोधन में केटेगरी-3 में आने वाले विश्वविद्यालय और उनके काॅलेजों में पीएचडी एडमिशन के लिए सिर्फ नेट-सेट व ऐसी अन्य परीक्षा पास कर चुके केंडिडेट को ही पीएडी में एडमिशन देने का नियम बनाया था। लेकिन, ये संशोधन लागू नहीं हुआ।
ऐसी होगी पीएचडी की प्रवेश परीक्षा-
प्रवेश परीक्षा में अनुसंधान योग्यता के साथ पांच से छह सेक्शन होंगे जो विषय योग्यता से अलग होंगे। पासिंग मार्क्स 50 फीसदी हो सकते हैं। साथ ही प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू के लिए अभी 70 और 30 फीसदी अंकों का अनुपात रखा गया है। नए रेगुलेशन में इसे 50-50 किया जा सकता है।
एक जुलाई 2021 से पीएचडी जरूरी
यूजीसी (विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों में शिक्षकों और अन्य शैक्षिक कर्मचारियों की नियुक्ति हेतु न्यूनतम अर्हता तथा उच्चतर शिक्षा में मानकों के रखरखाव हेतु अन्य उपाय संबंधी विनियम, 2018 के सेक्शन 3.9.0 के मुताबिक विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर (चयन ग्रेड/ शैक्षणिक स्तर 12) के पद पर पदोन्नति के लिए पीएचडी डिग्री जरूरी होगी। सेक्शन 3.10.0 के मुताबिक 01 जुलाई 2021 से विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर सीधी भर्ती के लिए पीएचडी डिग्री अनिवार्य होगी।