Arrest of Sonam Wangchuk : गांधी जयंती पर लद्दाख की स्वतंत्रता की पुकार

deccanherald : Arrest of Sonam Wangchuk
Arrest of Sonam Wangchuk : हिमालय की गोद में बसे लद्दाख के कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी अब राष्ट्रीय बहस का केंद्र बन चुकी है। 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार किए गए वांगचुक को लेह से जोधपुर सेंट्रल जेल स्थानांतरित कर दिया गया है। यह कार्रवाई लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के तहत संरक्षण की मांगों से जुड़े हिंसक प्रदर्शनों के बाद हुई, जिसमें चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी। लेकिन आज, गांधी जयंती पर, देशभर में उनकी रिहाई की मांगें तेज हो गई हैं। क्या यह गिरफ्तारी लोकतंत्र पर हमला है या सुरक्षा का जरूरी कदम? आइए, इसकी तह तक जाएं।
Arrest of Sonam Wangchuk : प्रदर्शनों का नया अध्याय
लद्दाख प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि वांगचुक की गिरफ्तारी “विश्वसनीय आधारों” पर हुई है और यह कोई “विच हंट” नहीं है। हिंसा के एक हफ्ते बाद, सद्भावना के तौर पर 26 प्रदर्शनकारियों को रिहा कर दिया गया। लेकिन वांगचुक की रिहाई की मांग बरकरार है। उनकी पत्नी गितांजलि अंगमो ने 1 अक्टूबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर रिहाई की अपील की। पत्र में उन्होंने शिकायत की कि गिरफ्तारी के पांच दिन बाद भी कोई अधिकारी ने मुलाकात की अनुमति नहीं दी। “क्या मैं अपने पति से मिलने का हकदार नहीं?”—उनके शब्दों में पीड़ा साफ झलकती है। पत्र की प्रति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी भेजी गई।

गांधी जयंती पर दिल्ली, मुंबई और अन्य शहरों में प्रदर्शन हुए। आप पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने वांगचुक को “गांधीवादी” बताते हुए उनकी रिहाई की मांग की। लोकसभा सांसद को भी जोधपुर जेल में उनसे मिलने की अनुमति नहीं मिली, जिस पर सरकार की आलोचना हो रही है। फैक्ट चेक से साफ है कि लद्दाख के डीजीपी ने गिरफ्तारी पर कोई बयान नहीं दिया, जो कुछ अफवाहों को झुठलाता है।
वांगचुक का सफर : पर्यावरण योद्धा से ‘सुरक्षा खतरा’ तक
Arrest of Sonam Wangchuk, जो ‘थ्री इडियट्स’ फिल्म के प्रेरणा स्रोत हैं, लंबे समय से शिक्षा, पर्यावरण और स्थानीय अधिकारों के लिए लड़ते आए हैं। उनकी संस्था SECMOL ने लद्दाख के युवाओं को वैकल्पिक शिक्षा दी, जबकि HIAL ने हिमालय संरक्षण पर काम किया। केंद्र सरकार ने उन्हें कई बार विशेषज्ञ के रूप में बुलाया—जलवायु परिवर्तन से लेकर शिक्षा सुधार तक। लेकिन अब उन्हें हिंसा भड़काने का दोषी ठहराया जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि प्रदर्शनों के दौरान उनके उत्तेजक बयानों ने स्थिति बिगाड़ी।
सोशल मीडिया पर #FreeSonamWangchuk और #JusticeForLadakh जैसे अभियान तेज हैं। यू튬बर ध्रुव राठी का वीडियो, जो गिरफ्तारी पर केंद्रित है, लाखों व्यूज बटोर चुका है। एक पोस्ट में कहा गया, “आप सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर सकते हैं, हमारे युवाओं को गिरफ्तार कर सकते हैं, लेकिन लद्दाख की आत्मा को नहीं।” कई यूजर्स इसे “क्रूरता” बता रहे हैं और सरकार पर बोलने की आजादी दबाने का आरोप लगा रहे हैं।

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संवाद या संघर्ष?
NSA के तहत 90 दिनों तक हिरासत संभव है, लेकिन आंदोलनकारियों का कहना है कि पहले रिहाई हो, फिर वार्ता। केंद्र सरकार ने बातचीत का प्रस्ताव दोहराया है, लेकिन लद्दाख की मांगें—पर्यावरण संरक्षण, सांस्कृतिक अधिकार और राज्य का दर्जा—अटल हैं। गांधी की अहिंसा की भावना को याद करते हुए, उम्मीद है कि यह विवाद संवाद से सुलझेगा। Arrest of Sonam Wangchuk न सिर्फ क्षेत्रीय स्वायत्तता पर, बल्कि भारत के लोकतंत्र की मजबूती पर सवाल उठाती है।