Tulsi Vivah 2025 : महत्व, कथा और पूजन विधि

 Tulsi Vivah 2025 : महत्व, कथा और पूजन विधि

Tulsi Vivah 2025

Tulsi Vivah 2025 : हम उस पावन समय में प्रवेश कर चुके हैं जब कार्तिक मास की शुभता पूरे जोरों पर है। दिवाली की धूम अभी थमी भी नहीं है कि तुलसी विवाह का त्योहार नजदीक आ गया है। यह एक ऐसा अनोखा उत्सव है जो प्रकृति, भक्ति और वैवाहिक सुख का प्रतीक है। अगर आप भी अपने घर में तुलसी माता का विवाह संपन्न करने की तैयारी कर रहे हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए है। आइए, जानते हैं तुलसी विवाह 2025 की तारीख, कथा, महत्व और विधि के बारे में विस्तार से।

Tulsi Vivah 2025 की तिथि और मुहूर्त

तुलसी विवाह का पावन पर्व रविवार, 2 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। यह कार्तिक शुक्ल द्वादशी को पड़ता है। द्वादशी तिथि का प्रारंभ 2 नवंबर को सुबह लगभग 4:01 बजे होगा और समाप्ति 3 नवंबर को रात 1:37 बजे होगी। अधिकांश स्थानों पर मुख्य पूजन 2 नवंबर की संध्या को ही किया जाएगा, लेकिन यदि तिथि विलंब से समाप्त हो तो 3 नवंबर को भी संभव है। प्रातःकाल या प्र दोष काल (संध्या समय, लगभग 6-8 बजे) में पूजन करना सर्वोत्तम माना जाता है।

यदि आप अपने शहर के अनुसार सटीक मुहूर्त जानना चाहते हैं, तो स्थानीय पंचांग या ज्योतिष ऐप जैसे द्रिक पंचांग की सहायता लें। यह त्योहार चातुर्मास्य की समाप्ति का प्रतीक है और विवाह ऋतु की शुरुआत करता है।

Tulsi Vivah 2025
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तुलसी विवाह की पौराणिक कथा

Tulsi Vivah 2025 की कथा पद्म पुराण से ली गई है, जो भक्ति और प्रेम की अनुपम गाथा है। प्राचीन काल में राक्षस राज जालंधर अपनी पत्नी वृंदा की पतिव्रता धर्म के कारण अजेय हो गया था। देवताओं को पराजित करने के लिए भगवान विष्णु को जालंधर का रूप धारण करना पड़ा। वृंदा के सतीत्व का भंग होते ही जालंधर की शक्ति नष्ट हो गई। लेकिन धोखा जानकर क्रोधित वृंदा ने विष्णु को शालिग्राम पत्थर बनने का श्राप दिया। दुखी होकर वृंदा ने आत्मदाह कर लिया, और उनकी राख से तुलसी का पौधा प्रकट हुआ।

भगवान विष्णु ने श्राप स्वीकार कर लिया और प्रतिवर्ष तुलसी का विवाह करने का वचन दिया। इस प्रकार, तुलसी (जो लक्ष्मी का अवतार मानी जाती है) और विष्णु का यह विवाह शाश्वत प्रेम और भक्ति का प्रतीक बन गया। यह कथा सिखाती है कि सच्ची भक्ति रूपों से परे होती है।

तुलसी विवाह का महत्व

Tulsi Vivah 2025 केवल एक रस्म नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व का खजाना है:

  • आध्यात्मिक महत्व : यह जीवात्मा (तुलसी) और परमात्मा (विष्णु) के मिलन का प्रतीक है। भक्ति मार्ग पर चलने वालों के लिए यह आत्मसमर्पण का संदेश देता है।
  • सामाजिक महत्व : चातुर्मास्य के बाद विवाह ऋतु की शुरुआत होती है। विवाहित महिलाएं वैवाहिक सुख और समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं योग्य वर की प्रार्थना करती हैं।
  • स्वास्थ्य और पर्यावरणीय महत्व : तुलसी का पौधा घर में शुद्धता लाता है, नकारात्मक ऊर्जा भगाता है और औषधीय गुणों से परिवार को स्वस्थ रखता है। यह लक्ष्मी का आह्वान कर धन-धान्य की वर्षा करता है।

यह त्योहार दिवाली के बाद शांति और आनंद का संचार करता है, जो वर्षा ऋतु के चिंतन काल के बाद नई शुरुआत का प्रतीक है।

Tulsi Vivah 2025
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तुलसी विवाह की पूजन विधि (Step by Step)

Tulsi Vivah 2025 को एक पारंपरिक हिंदू विवाह की भांति संपन्न किया जाता है। तुलसी को दुल्हन और शालिग्राम को दुल्हा मानकर पूजन करें। इच्छानुसार व्रत रखें और संध्या समय पूजन करें।

  1. तैयारी (1-2 दिन पहले)
    • तुलसी पौधे को साफ करें और फूलों, दीपों, रंगोली तथा आम की पत्तियों से सजाएं। छोटा मंडप बनाएं।
    • पौधे के आधार पर सजावटी मिट्टी डालें। पास में शालिग्राम शिला, आंवला शाखा या विष्णु मूर्ति रखें।
  2. मुख्य पूजन (2 नवंबर की संध्या)
    • स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। गणेश जी का आह्वान करें।
    • तुलसी को दुल्हन की तरह सजाएं: हरी या लाल साड़ी/ओढ़नी ओढ़ाएं, पत्तियों पर सिंदूर लगाएं, पान के पत्तों से चूड़ियां और फूलों से हार बनाएं।
    • शालिग्राम को तुलसी के दाहिने रखें। दोनों को गंगा जल, चंदन और कुमकुम से अभिषेक करें।
    • कन्यादान: तुलसी को विष्णु को पुत्री रूप में अर्पित करें। मंगलसूत्र का फेरा करें।
    • फेरा और माला भेंट: मंडप का 4-7 बार परिक्रमा करें। मंत्र जपें जैसे “ॐ तुलस्यै नमः” या विष्णु स्तोत्र।
    • नैवेद्य अर्पण: फल, मिठाई (लड्डू), गन्ना, सिंघाड़ा, पंचामृत (दूध-शहद-दही मिश्रण) और फूल चढ़ाएं। दीप जलाएं, अगरबत्ती लगाएं। भजन गाएं। शालिग्राम को चावल न चढ़ाएं—तिल या सफेद चंदन का उपयोग करें।
  3. समापन
    • कपूर की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
    • रात्रि भर सजावट ज्योतित रखें। त्योहार के बाद दैनिक तुलसी पूजन जारी रखें।
    • वैकल्पिक: परिवार या समुदाय में छोटा भोज आयोजित करें।

क्षेत्रीय भिन्नताएं हो सकती हैं (जैसे बिहार में एकादशी से त्रयोदशी तक), इसलिए स्थानीय परंपराओं का पालन करें। सच्ची श्रद्धा ही मुख्य है—भव्यता आवश्यक नहीं।

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Tulsi Vivah 2025 हमें याद दिलाता है कि सादगी में ही सच्ची भक्ति निहित है। इस अवसर पर अपने घर में तुलसी का पौधा लगाएं और दैनिक जीवन में विष्णु भक्ति को स्थान दें।

Nimmi Chaudhary

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