Talisman Saber 2025 : विश्व का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास और भारत की भूमिका

 Talisman Saber 2025 : विश्व का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास और भारत की भूमिका

Talisman Saber 2025

13 जुलाई 2025 को ऑस्ट्रेलिया में शुरू हुआ Talisman Saber 2025 अब तक का सबसे बड़ा और जटिल अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास है, जिसमें इस बार 19 देशों के 35,000 से अधिक सैनिक भाग ले रहे हैं, और भारत ने पहली बार अपनी पूर्ण सैन्य टुकड़ी के साथ इस वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज की है। यह युद्धाभ्यास न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एकजुटता और सामरिक सहयोग का प्रतीक भी है।

What is Talisman Saber 2025 (तलिस्मान सेबर क्या है?)

तलिस्मान सेबर एक द्विवार्षिक सैन्य अभ्यास है, जो 2005 में ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा शुरू किया गया था। 2025 में इसका 11वां संस्करण आयोजित हो रहा है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के नेतृत्व में 19 देश शामिल हैं, जैसे कि जापान, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, यूनाइटेड किंगडम, और भारत। इस बार पहली बार पापुआ न्यू गिनी में भी अभ्यास के कुछ हिस्से आयोजित हो रहे हैं, जो इस क्षेत्र में सहयोग के विस्तार को दर्शाता है।

Talisman Saber 2025
Talisman Saber 2025

यह अभ्यास जमीन, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और साइबर जैसे विभिन्न क्षेत्रों में युद्ध कौशल को परखता है। इसमें लाइव-फायर ड्रिल्स, जल-थल लैंडिंग, हवाई युद्ध सिमुलेशन, और समुद्री अभियान शामिल हैं। ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल इस बार अपनी नई क्षमताओं, जैसे UH-60M ब्लैक हॉक्स और लंबी दूरी की प्रिसिजन स्ट्राइक मिसाइल्स का प्रदर्शन कर रहा है।

भारत की भागीदारी

भारत की तलिस्मान सेबर 2025 में पहली बार पूर्ण सैन्य टुकड़ी के साथ भागीदारी ने वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती सैन्य शक्ति और रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया है। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि यह न केवल एक सहभागी के रूप में, बल्कि एक निर्णायक शक्ति के रूप में उभर रहा है। भारत की भागीदारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मुक्त और खुले समुद्री मार्गों को बनाए रखने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत संदेश है।

Talisman Saber 2025
Talisman Saber 2025

भारत ने अपने लड़ाकू विमान, युद्धपोत, और विशेष बलों के साथ इस अभ्यास में हिस्सा लिया है। यह न केवल भारत की सैन्य ताकत का प्रदर्शन है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा ढांचे में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

भौगोलिक और रणनीतिक महत्व

Talisman Saber 2025 का आयोजन ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड, उत्तरी क्षेत्र, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, न्यू साउथ वेल्स, क्रिसमस द्वीप, और पहली बार पापुआ न्यू गिनी में हो रहा है। यह अभ्यास क्षेत्रीय तनावों के बीच हो रहा है, विशेष रूप से जब चीन की नौसेना ने 2017 से इस अभ्यास की निगरानी की है। ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री ने पुष्टि की है कि चीनी नौसेना की उपस्थिति पर नजर रखी जा रही है और उसी के अनुसार रणनीति बनाई जा रही है।

यह अभ्यास ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज की चीन यात्रा के ठीक बाद शुरू हुआ है, जो ऑस्ट्रेलिया की कूटनीतिक और रक्षा नीतियों के बीच संतुलन को दर्शाता है। भारत की भागीदारी इस संदर्भ में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एकजुट और तकनीकी रूप से उन्नत गठबंधन का हिस्सा बनकर चीन को एक स्पष्ट संदेश देता है।

Exercise Talisman Saber (अभ्यास के प्रमुख उद्देश्य)

  • सैन्य सहयोग बढ़ाना: यह अभ्यास विभिन्न देशों के बीच सैन्य समन्वय और संचालन को मजबूत करता है।
  • युद्ध की तैयारी: लाइव-फायर ड्रिल्स, उभयचर लैंडिंग, और मल्टी-डोमेन युद्ध अभ्यास के माध्यम से युद्ध की स्थिति में तत्परता को परखा जाता है।
  • क्षेत्रीय स्थिरता: यह अभ्यास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मुक्त नेविगेशन और स्थिरता को बढ़ावा देता है।
Talisman Saber 2025
Talisman Saber 2025

सामरिक और ग्लोबल प्रभाव

Talisman Saber 2025 केवल एक सैन्य अभ्यास नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक संदेश है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों का गठबंधन किसी भी आक्रामकता का जवाब देने के लिए तैयार है। भारत की भागीदारी ने इस अभ्यास को एक नया आयाम दिया है, जो यह दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक सैन्य रणनीति में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है।

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Talisman Saber 2025 न केवल सैन्य शक्ति और तकनीकी उन्नति का प्रदर्शन है, बल्कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए एक सामूहिक प्रयास का प्रतीक भी है। भारत की इस अभ्यास में पहली बार पूर्ण भागीदारी न केवल उसकी सैन्य क्षमता को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि भारत अब वैश्विक सुरक्षा और रणनीति में एक नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। यह युद्धाभ्यास आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय सहयोग और सामरिक संतुलन को और मजबूत करेगा।

Nimmi Chaudhary

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