Pranab Mukherjee : एक प्रेरणादायक जीवन और नेतृत्व

Pranab Mukherjee
भारत के पूर्व राष्ट्रपति Pranab Mukherjee एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिन्होंने अपने लंबे और शानदार करियर के दौरान देश की राजनीति, अर्थशास्त्र और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। 11 दिसंबर, 1935 को पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गाँव मिराटी में जन्मे प्रणब मुखर्जी ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं, जिनमें भारत के राष्ट्रपति, वित्त मंत्री, रक्षा मंत्री, और विदेश मंत्री जैसे पद शामिल हैं। उनकी बुद्धिमत्ता, कर्तव्यनिष्ठा और देश के प्रति समर्पण ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक विशेष स्थान दिलाया। इस ब्लॉग में, हम उनके जीवन, उपलब्धियों और भारत के लिए उनके योगदान पर प्रकाश डालेंगे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
प्रणब मुखर्जी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता, कामदा किंकर मुखर्जी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े थे। प्रणब ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गाँव के स्कूल में प्राप्त की और बाद में कोलकाता विश्वविद्यालय से इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। उन्होंने कानून की पढ़ाई भी की और कुछ समय तक शिक्षक और पत्रकार के रूप में भी काम किया। उनकी यह शैक्षिक पृष्ठभूमि और मेहनत ने उन्हें भविष्य में एक कुशल प्रशासक और नेता बनने की नींव प्रदान की।

Pranab Mukherjee राजनीतिक करियर
प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक सफर 1969 में शुरू हुआ जब वे पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ अपने करियर की शुरुआत की और जल्द ही अपनी बुद्धिमता और कार्यकुशलता के लिए पहचाने जाने लगे। 1970 और 1980 के दशक में, वे इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों में शामिल रहे।
प्रमुख मंत्रालयों में योगदान
- वित्त मंत्री (2009-2012): प्रणब मुखर्जी ने भारत के वित्त मंत्री के रूप में वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार किए गए, जैसे कि प्रत्यक्ष कर संहिता (DTC) और वस्तु एवं सेवा कर (GST) की दिशा में प्रारंभिक कदम।
- विदेश मंत्री (2006-2009): विदेश मंत्री के रूप में, उन्होंने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने भारत की ऊर्जा नीति और वैश्विक स्थिति को मजबूत किया।
- रक्षा मंत्री (2004-2006): इस पद पर रहते हुए, उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और रक्षा नीतियों को मजबूत करने की दिशा में कई कदम उठाए।

राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल (2012-2017)
2012 में प्रणब मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति चुने गए। उनके कार्यकाल को उनकी निष्पक्षता, संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता और देश के प्रति गहरे प्रेम के लिए याद किया जाता है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए, जिनमें दया याचिकाओं पर विचार और संवैधानिक प्रक्रियाओं को मजबूत करना शामिल है।
राष्ट्रपति के रूप में, प्रणब मुखर्जी ने शिक्षा और सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने के लिए कई पहल शुरू कीं। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया और देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को बढ़ावा दिया।
व्यक्तिगत गुण और विरासत
प्रणब मुखर्जी को उनकी सादगी, विद्वता और सभी दलों के नेताओं के साथ अच्छे संबंधों के लिए जाना जाता था। वे एक उत्कृष्ट वक्ता और लेखक भी थे। उनकी आत्मकथा, जैसे कि The Dramatic Decade और The Coalition Years, भारतीय राजनीति के विभिन्न पहलुओं पर गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।

उनका निधन 31 अगस्त, 2020 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत आज भी भारतीय राजनीति और समाज में जीवित है। उन्हें 2019 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो उनके योगदान का एक प्रतीक है।
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प्रणब मुखर्जी एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने जीवन को भारत की सेवा में समर्पित कर दिया। उनकी बुद्धिमता, दूरदर्शिता और कार्य के प्रति समर्पण ने उन्हें न केवल एक महान राजनेता बनाया, बल्कि एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व भी। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सादगी, मेहनत और देश के प्रति निष्ठा के साथ कोई भी व्यक्ति समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।