Pooja Pal न्याय की लड़ाई से सपा के निष्कासन तक का सफर

 Pooja Pal न्याय की लड़ाई से सपा के निष्कासन तक का सफर

Pooja Pal

Pooja Pal : 14 अगस्त 2025 को उत्तर प्रदेश विधानसभा में ‘विजन डॉक्यूमेंट 2047’ पर 24 घंटे की मैराथन चर्चा के दौरान, समाजवादी पार्टी (सपा) की विधायक पूजा पाल ने एक ऐसा बयान दिया जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। उन्होंने अपने पति राजू पाल की हत्या के लिए जिम्मेदार गैंगस्टर अतीक अहमद को “खत्म” करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की। लेकिन इस बयान का परिणाम उनके लिए अप्रत्याशित रहा—उसी दिन सपा ने उन्हें “पार्टी विरोधी गतिविधियों” और “अनुशासनहीनता” के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया। 

Pooja Pal का संघर्ष

पूजा पाल प्रयागराज की एक प्रमुख दलित नेता हैं, जिनके पति राजू पाल की 2005 में गैंगस्टर अतीक अहमद द्वारा हत्या कर दी गई थी। यह हत्या न केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी थी, बल्कि प्रयागराज के आपराधिक और राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण घटना थी। राजू पाल की हत्या के बाद पूजा ने न केवल अपने परिवार को संभाला, बल्कि राजनीति में कदम रखकर अपने पति के अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया। वह विधायक बनीं और प्रयागराज में सामाजिक न्याय और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाती रहीं।

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उनके इस लंबे संघर्ष में कई बाधाएं आईं। उस समय अतीक अहमद का प्रयागराज में दबदबा था, और न्याय पाना आसान नहीं था। पूजा पाल ने बार-बार कहा कि योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद ही उन्हें और अन्य पीड़ितों को न्याय मिलना शुरू हुआ। 2023 में, अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की पुलिस हिरासत में गोली मारकर हत्या कर दी गई। पूजा ने इसे अपने पति की हत्या का “न्याय” माना और योगी सरकार की अपराध-विरोधी नीतियों की सराहना की।

विधानसभा में Pooja Pal का बयान

14 अगस्त 2025 को विधानसभा में बोलते हुए Pooja Pal ने कहा, “जब कोई मेरी बात नहीं सुन रहा था, तब योगी आदित्यनाथ ने मेरी बात सुनी। उनकी जीरो टॉलरेंस नीति ने अतीक जैसे अपराधियों को खत्म किया और प्रयागराज की कई महिलाओं को न्याय दिलाया।” इस बयान में उन्होंने योगी सरकार की अपराध-विरोधी नीतियों की तारीफ की और इसे अपने पति की हत्या के मामले में मिले न्याय से जोड़ा।

हालांकि, यह बयान समाजवादी पार्टी के लिए असहज साबित हुआ। सपा, जो उत्तर प्रदेश में विपक्ष की मुख्य पार्टी है, योगी सरकार की नीतियों की लगातार आलोचना करती रही है। पूजा का यह बयान, जो सत्तारूढ़ भाजपा की प्रशंसा करता था, सपा नेतृत्व को स्वीकार्य नहीं था।

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सपा से निष्कासन और विवाद

उसी दिन, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पूजा पाल को पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा की। निष्कासन का कारण “पार्टी विरोधी गतिविधियां” और “अनुशासनहीनता” बताया गया। इस फैसले ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं।

भाजपा के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सपा पर “दलित विरोधी” होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पूजा पाल, जो एक दलित समुदाय से हैं और जिन्होंने अपने पति की हत्या के बाद लंबा संघर्ष किया, उन्हें केवल इसलिए निष्कासित किया गया क्योंकि उन्होंने योगी सरकार की तारीफ की। यह मामला जल्द ही सोशल मीडिया, विशेष रूप से X पर, चर्चा का विषय बन गया। कई लोगों ने सपा के इस कदम की आलोचना की, जबकि कुछ ने इसे पार्टी अनुशासन का मामला बताया।

सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ

यह घटनाक्रम केवल पूजा पाल की व्यक्तिगत कहानी तक सीमित नहीं है। यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में गहरे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उजागर करता है। एक ओर, योगी सरकार की अपराध-विरोधी नीतियां, जिनमें “एनकाउंटर” जैसे कदम शामिल हैं, कुछ लोगों द्वारा सराही जाती हैं, जबकि अन्य इसे कानून के शासन के खिलाफ मानते हैं। दूसरी ओर, सपा का पूजा पाल को निष्कासित करने का फैसला दलित राजनीति और विपक्ष की रणनीति पर सवाल उठाता है।

Pooja Pal का मामला यह भी दिखाता है कि उत्तर प्रदेश में अपराध, राजनीति और सामाजिक न्याय के मुद्दे कितने जटिल और आपस में जुड़े हुए हैं। उनके निष्कासन ने सपा के भीतर आंतरिक असंतोष को भी उजागर किया है, जो 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के लिए चुनौती बन सकता है।

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Pooja Pal की कहानी एक ऐसी महिला की कहानी है जिसने व्यक्तिगत त्रासदी को साहस और दृढ़ता के साथ सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष में बदला। लेकिन उनका योगी आदित्यनाथ की तारीफ करना और इसके परिणामस्वरूप सपा से निष्कासन, उत्तर प्रदेश की जटिल राजनीतिक गतिशीलता को दर्शाता है। यह घटना न केवल व्यक्तिगत न्याय की लड़ाई को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे राजनीतिक दल अपने हितों को प्राथमिकता देते हैं।

X पर इस मुद्दे पर चल रही चर्चाओं और समाचारों के आधार पर, यह स्पष्ट है कि पूजा पाल की कहानी ने लोगों का ध्यान खींचा है। हालांकि, X पर कुछ पोस्ट में व्यक्तिगत राय और अपुष्ट दावे भी शामिल हो सकते हैं, इसलिए इस घटनाक्रम को पूरी तरह समझने के लिए प्राथमिक स्रोतों और विश्वसनीय समाचारों का अध्ययन जरूरी है।

Nimmi Chaudhary

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