Navratri 2025 : तिथियां, घटस्थापना, 9 दिनों के रंग और पूजा विधि का महत्व

Navratri 2025
Navratri 2025 : शारदीय नवरात्रि, जिसे महा नवरात्रि भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जो माता दुर्गा और उनकी नौ रूपों (नवदुर्गा) की पूजा के लिए समर्पित है। यह पर्व नौ रातों तक चलता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। नवरात्रि में उपवास, प्रार्थना, गरबा और डांडिया जैसे सांस्कृतिक नृत्य, और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। 2025 में यह पर्व आश्विन मास में मनाया जाएगा, जो कुछ क्षेत्रों में हिंदू नववर्ष के साथ भी जुड़ा है। आइए, इस लेख में शारदीय नवरात्रि 2025 की तिथियों, महत्व, और उत्सव के बारे में विस्तार से जानें।
Dussehra 2025 : की तिथियां
Navratri 2025 में आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलेगी। इस बार यह पर्व निम्नलिखित तारीखों पर मनाया जाएगा:
- प्रारंभ तिथि: 22 सितंबर 2025 (सोमवार) – घटस्थापना (कलश स्थापना), जो पूजा की शुरुआत का प्रतीक है।
- समापन तिथि: 1 अक्टूबर 2025 (बुधवार) – महानवमी, नौवीं और अंतिम रात।
- विजयदशमी (दशहरा): 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) – दसवां दिन, जो माता दुर्गा की राक्षस महिषासुर पर विजय और रावण दहन के साथ मनाया जाता है।
पूर्वी भारत (जैसे पश्चिम बंगाल) में दुर्गा पूजा महाषष्ठी (28 सितंबर) से शुरू होती है और समान तिथियों पर समाप्त होती है।

Navratri 2025
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि का अर्थ है “नौ रातें,” और यह पर्व माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है। यह त्योहार माता दुर्गा की नौ दिनों की महिषासुर से लड़ाई और अंत में उसकी विजय की कहानी को दर्शाता है। यह आत्म-अनुशासन, भक्ति, और नवीकरण का समय है। उपवास, ध्यान, और मंत्र जाप (जैसे दुर्गा सप्तशती) इस पर्व का अभिन्न हिस्सा हैं। यह पर्व आत्मिक शुद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है।
2025 में ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, माता दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा, जो समृद्धि और स्थिरता का प्रतीक है। यह वर्ष भक्तों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है।
नवरात्रि के नौ दिन और उनके रंग
प्रत्येक दिन माता दुर्गा के एक विशिष्ट रूप की पूजा की जाती है, और भक्त अक्सर उस दिन के लिए निर्धारित रंग के वस्त्र पहनते हैं। नीचे Navratri 2025 के नौ दिनों का विवरण और उनके रंग दिए गए हैं:
दिन | तारीख (2025) | तिथि | देवी रूप | रंग | प्रमुख पूजा/प्रसाद |
1 | 22 सितंबर (सोम) | प्रतिपदा | शैलपुत्री | पीला/हरा | घटस्थापना, फल |
2 | 23 सितंबर (मंगल) | द्वितीया | ब्रह्मचारिणी | हरा/सफेद | गेहूं से बनी मिठाई |
3 | 24 सितंबर (बुध) | तृतीया | चंद्रघंटा | ग्रे/गुलाबी | खीर |
4 | 25 सितंबर (गुरु) | चतुर्थी | कुष्मांडा | नारंगी/रॉयल ब्लू | मालपुआ |
5 | 26 सितंबर (शुक्र) | पंचमी | स्कंदमाता | सफेद | केला और शहद |
6 | 27 सितंबर (शनि) | षष्ठी | कात्यायनी | लाल | नारियल की मिठाई |
7 | 28 सितंबर (रवि) | सप्तमी | कालरात्रि | रॉयल ब्लू | गुड़ से बना प्रसाद |
8 | 29 सितंबर (सोम) | अष्टमी | महागौरी | गुलाबी | खीर या हलवा |
9 | 30 सितंबर (मंगल) | नवमी | सिद्धिदात्री | बैंगनी | पूरन पोली या मिश्रित मिठाई |
नोट: रंग क्षेत्रीय परंपराओं के आधार पर थोड़े भिन्न हो सकते हैं। अष्टमी और नवमी पर संधि पूजा और कन्या पूजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।

उत्सव और परंपराएं
Navratri 2025 : नवरात्रि भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है:
- गुजरात और राजस्थान: गरबा और डांडिया नृत्य रातों को जीवंत करते हैं। भक्त रंग-बिरंगे परिधानों में माता की भक्ति में लीन होकर नृत्य करते हैं।
- पश्चिम बंगाल: दुर्गा पूजा के भव्य पंडाल और सांस्कृतिक कार्यक्रम इस पर्व का मुख्य आकर्षण हैं। मूर्ति विसर्जन दशमी के दिन होता है।
- दक्षिण भारत: आयुध पूजा (हथियारों और औजारों की पूजा) महानवमी पर की जाती है।
- उत्तर भारत: रामलीला और रावण दहन दशहरा का प्रमुख हिस्सा हैं।
उपवास के दौरान भक्त फल, दूध, साबुदाना, और व्रत के लिए उपयुक्त भोजन ग्रहण करते हैं। कुछ लोग पूरे नौ दिन उपवास रखते हैं, जबकि कुछ पहले और आखिरी दिन उपवास करते हैं।
घटस्थापना और पूजा का समय
Navratri 2025 : घटस्थापना नवरात्रि की शुरुआत का सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। इसके लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है। 2025 में घटस्थापना का मुहूर्त स्थानीय पंचांग के आधार पर निर्धारित किया जाएगा। सामान्यतः यह सुबह के समय किया जाता है। पूजा में कलश स्थापना, माता की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना, और दुर्गा सप्तशती का पाठ शामिल होता है।
Navratri 2025 के लिए सुझाव
- उपवास और भक्ति: उपवास के दौरान सात्विक भोजन लें और माता के मंत्रों का जाप करें। “ॐ दुं दुर्गायै नमः” एक शक्तिशाली मंत्र है।
- सांस्कृतिक भागीदारी: गरबा या दुर्गा पूजा के आयोजनों में हिस्सा लें। यह सामुदायिक एकता को बढ़ावा देता है।
- कन्या पूजन: अष्टमी या नवमी पर कन्या पूजन करें, जिसमें नौ कन्याओं को माता का रूप मानकर भोजन और उपहार दिए जाते हैं।
- स्वच्छता और सजावट: घर को साफ करें और माता के स्वागत के लिए रंगोली और फूलों से सजाएं।

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Navratri 2025 भक्ति, उत्सव, और सांस्कृतिक उल्लास का एक शानदार अवसर है। यह पर्व न केवल माता दुर्गा की पूजा का समय है, बल्कि आत्म-चिंतन और नई शुरुआत का भी प्रतीक है। चाहे आप उपवास करें, गरबा में भाग लें, या दुर्गा पूजा के पंडालों में शामिल हों, यह त्योहार आपको सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति से भर देगा।
शुभ नवरात्रि! माता रानी आपके जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति लाएं।