1करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के साथ अन्याय- अश्विनी राणा
सरकार ने महंगाई भत्ते पर लगी रोक हटाने का फैसला किया है। महंगाई भत्ते को 17 फीसदी से बढ़ाकर 28 फीसदी कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। कोविड-19 महामारी के कारण सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के डीए और पेंशनर्स के महंगाई राहत पर रोक लगा दी थी। लेकिन अब इसे बहाल कर दिया गया है। यह 1 जुलाई 2021 से लागू होगा। इसके कारण 52 लाख कर्मचारियों और 60 लाख पेंशनर्स को 1 जुलाई से तो बड़ा हुआ महंगाई भत्ते की तीन किश्त जो की 11% होती है मिल जायेंगी लेकिन पिछले 18 महीने का एरियर नहीं मिलने से लाखों का नुक्सान होगा ।
सरकार ने बीते साल में 1 जनवरी, 2020 और 1 जुलाई, 2020 को केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्तों की किस्त पर रोक लगा दी थी। इस रोक के कारण कर्मचारियों और पेंशनर्स को दोहरा नुक्सान हो रहा है एक तरह वह महंगाई की मार झेल रहे हैं दूसरी और 18 महीने से महंगाई भत्ता नहीं मिला है। महंगाई भत्ता कोई एहसान नहीं होता बल्कि महंगाई की क्षतिपूर्ति के रूप में दिया जाता है।
52 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को 23700 से 330000 और 60 लाख से ज्यादा पेंशनर्स को 11800 से 165000 का पिछले 18 महीनों में मंहगाई भत्ते का नुकसान हुआ है।
सबसे ज्यादा तीन गुना नुक्सान उन कर्मचारियों को हुआ है जो कर्मचारी 30 जून 2021 तक सेवानिवृत होने वाले थे क्योंकि ग्रेचुय्टी और लीव इनकेश्मेंट की गर्णना बेसिक पे और महंगाई भत्ते के आधार पर होती है। सरकार द्वारा महंगाई भत्ते के क़िस्त जारी करने की घोषणा 1 जुलाई से करने के कारण इन कर्मचारियों को न तो 18 महीने का महंगाई भत्ते का एरियर मिलेगा और ग्रेचुय्टी और लीव इनकेश्मेंट में भी भारी नुक्सान होगा।
यदि कोई कर्मचारी 30 जून 2021 को 95500 के बेसिक पे पर सेवानिवृति होता है तो उसे 4 लाख का नुक्सान होगा ( 18 महीने का महंगाई भत्ता 126000 + ग्रेचुय्टी 173000 + लीव इनकेश्मेंट 105000)
सरकार से मांग है कि कर्मचारियों और पेंशनर्स को मंहगाई भत्ता 1 जनवरी 2020 से 4%, 1 जुलाई 2020 से 7% और 1 जनवरी 2021 से 11% जारी किया जाये। जब यह पैसा इन कर्मचारियों को मिलेगा तो वो इसको खर्च करेंगे और मार्किट में केश का इनफ्लो बढ़ेगा जिससे आर्थिक मंदी को भी कम करने में लाभ होगा।