Karwa Chauth 2025 : प्रेम और समर्पण का पर्व

Karwa Chauth 2025
Karwa Chauth, हिंदू धर्म का एक पवित्र और प्रिय पर्व है, जो विशेष रूप से उत्तर भारत में शादीसुदा महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व पति-पत्नी के बीच प्रेम, समर्पण और विश्वास का प्रतीक है, जिसमें महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और प्रार्थना करती हैं। वर्ष 2025 में, करवा चौथ का यह उत्सव परंपराओं और एकजुटता के साथ धूमधाम से मनाया जाएगा।
Karwa Chauth 2025 की तारीख और समय
करवा चौथ कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। 2025 के लिए महत्वपूर्ण विवरण इस प्रकार हैं:
- तारीख: शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025
- व्रत का समय: सूर्योदय (लगभग सुबह 6:31 बजे IST) से चंद्रोदय (लगभग रात 8:55 बजे IST) तक
- शाम की पूजा का मुहूर्त: शाम 6:19 बजे से 7:33 बजे तक (1 घंटा 13 मिनट)
यह निर्जला व्रत (बिना पानी और भोजन के) सूर्योदय से शुरू होता है और चंद्रमा दिखाई देने के बाद पूजा और पति के आशीर्वाद के साथ समाप्त होता है।

करवा चौथ का महत्व
Karwa Chauth पति-पत्नी के अटूट बंधन और प्रेम का प्रतीक है। इस दिन महिलाएं भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा करती हैं, ताकि उनके पति की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना पूरी हो। इस पर्व की उत्पत्ति रानी वीरवती की कथा से जुड़ी है, जिन्होंने अपने भाई की रक्षा के लिए व्रत रखा था, लेकिन सही रीति-रिवाजों का पालन करने की सीख उन्हें दैवीय मार्गदर्शन से मिली। यह कहानी विश्वास और समर्पण के महत्व को दर्शाती है।
आधुनिक समय में, करवा चौथ प्रेम का एक पारस्परिक उत्सव बन गया है। कई पति भी अपनी पत्नियों के साथ व्रत रखते हैं, जो समानता और साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह पर्व संकष्टी चतुर्थी (भगवान गणेश को समर्पित दिन) के साथ भी मेल खाता है, जो इसकी आध्यात्मिक गहराई को और बढ़ाता है।
करवा चौथ के रीति-रिवाज
Karwa Chauth के रीति-रिवाज आध्यात्मिकता, परंपरा और सामुदायिक एकता का सुंदर मिश्रण हैं। यहाँ दिन के प्रमुख अनुष्ठानों का विवरण दिया गया है:
1. सूर्योदय से पहले की तैयारी
सूर्योदय से पहले, कुछ महिलाएं सरगी खाती हैं, जो सास द्वारा तैयार किया गया एक विशेष भोजन होता है, जिसमें फल, मिठाई और मेवे शामिल होते हैं। यह व्रत के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। इसके बाद, सुबह सूर्योदय से निर्जला व्रत शुरू होता है, जिसमें दिनभर पानी और भोजन से परहेज किया जाता है।

2. सजना-संवरना
महिलाएं इस दिन पारंपरिक परिधानों, विशेष रूप से लाल रंग की साड़ी या लहंगे में सजती हैं, जो प्रेम और शुभता का प्रतीक है। सोलह श्रृंगार (16 श्रृंगार) जैसे चूड़ियाँ, सिंदूर, मेंहदी, आभूषण और बिंदी के साथ वे तैयार होती हैं। कई महिलाएं एक दिन पहले मेंहदी के सुंदर डिज़ाइन लगवाती हैं, जो उत्सव के उत्साह को बढ़ाता है।
3. शाम की पूजा
शाम को, महिलाएं समूह में एकत्र होती हैं, चाहे घर पर हो या सामुदायिक स्थल पर। एक सजा हुआ करवा (मिट्टी का घड़ा) पूजा का केंद्र होता है, जिसमें पानी भरा जाता है और उसमें दीया जलाया जाता है। फूल, मिठाई और फल भगवान को अर्पित किए जाते हैं, और करवा चौथ की कथा सुनाई जाती है, जो इस पर्व की पौराणिक कहानियों को बयान करती है। पूजा का समय आमतौर पर शाम 6:19 बजे से 7:33 बजे तक होता है।
4. चंद्रमा दर्शन और व्रत तोड़ना
व्रत चंद्रोदय के बाद, लगभग रात 8:55 बजे IST, समाप्त होता है। महिलाएं छलनी (चलनी) के माध्यम से चंद्रमा को देखती हैं, जल और प्रार्थना अर्पित करती हैं, फिर उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखती हैं, जो उनकी लंबी उम्र के लिए आशीर्वाद का प्रतीक है। पति अपनी पत्नी के माथे पर सिंदूर लगाते हैं और उन्हें पानी व मिठाई (जैसे खीर या फेनी) खिलाकर व्रत तुड़वाते हैं, जिससे यह अनुष्ठान प्रेम और कृतज्ञता के साथ पूरा होता है।

क्षेत्रीय और आधुनिक रंग
Karwa Chauth विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में उत्साह के साथ मनाया जाता है, जहाँ महिलाएं लोकगीत गाती हैं और कहानियाँ साझा करती हैं। शहरी क्षेत्रों में, यह पर्व आधुनिक रंगों में रंगा है, जहाँ दंपति उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और कुछ लोग चंद्रोदय के समय की जानकारी के लिए तकनीक का उपयोग करते हैं।
स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं वाले लोगों को निर्जला व्रत शुरू करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए, ताकि परंपरा का सम्मान करते हुए सुरक्षा बनी रहे। इस पर्व का मूल सार वही रहता है: प्रेम, विश्वास और एकजुटता का उत्सव।
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प्रेम का अनंत बंधन
10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाने वाला Karwa Chauth प्रेम, सौंदर्य और साझा पलों का दिन होगा। चाहे मेंहदी के जटिल डिज़ाइनों की चमक हो, दीये की रोशनी हो, या छलनी के माध्यम से प्रेम भरी नजरों का आदान-प्रदान हो, यह पर्व हर पल को खास बनाता है।