बही कविता की रसधार, शब्दों के सुरों से गूंजी वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच की ऑनलाइन गोष्ठी

बही कविता की रसधार
गाज़ियाबाद, 10 अगस्त 2025 (रविवार) — शब्दों की मृदुल ध्वनि, कविताओं की मधुर लय और भावनाओं की अविरल धारा… ठीक इसी माहौल में वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ऑनलाइन कवि गोष्ठी संपन्न हुई। दोपहर 12 बजे शुरू हुई यह साहित्यिक संध्या न केवल कविताओं के रंग में रंगी, बल्कि इसमें शामिल हुए हर कवि और श्रोता के हृदय में सृजन की नई ऊर्जा भी भर गई।
इस गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नरेश नाज की प्रेरणा और मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात साहित्य साधक मृत्युंजय साधक ने की, जिनकी उपस्थिति ने पूरे आयोजन को गंभीरता और गरिमा से भर दिया।
मुख्य अतिथि की ओजस्वी उपस्थिति
गोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में वनकाम के राष्ट्रीय महासचिव एवं चंडीगढ़ व बिहार के प्रभारी हरेंद्र सिन्हा ने शिरकत की। अपनी प्रभावशाली रचनाओं के माध्यम से उन्होंने न केवल मंच की शोभा बढ़ाई, बल्कि उपस्थित सभी साहित्यप्रेमियों के हृदय को छूने वाले शब्द भी दिए। उनके काव्य-पाठ में समाज के बदलते स्वरूप, संवेदनाओं के उतार-चढ़ाव और जीवन के गहरे अनुभव झलकते रहे।
विशिष्ट अतिथि की काव्य-गंगा
कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि, महाकवयित्री प्रो. (डॉ.) मधु चतुर्वेदी ने गीत और ग़ज़लों की सुगंध से पूरी गोष्ठी को महका दिया। उनके गीतों में जीवन के विविध रंगों की झलक थी—कहीं प्रेम की कोमल अनुभूति, तो कहीं समाज के प्रति सजग दृष्टि। श्रोताओं ने उनके हर एक शब्द को मन ही मन आत्मसात किया।
संचालन में रचनात्मकता का संगम
कार्यक्रम का संचालन वनकाम पश्चिमी यूपी की अध्यक्ष डॉ. अंजु सुमन साधक ने किया। उन्होंने अपने आत्मीय और सहज शब्दों से कार्यक्रम की गति को संतुलित रखते हुए, हर कवि को सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया। उनके संचालन में साहित्यिक गरिमा और अपनापन दोनों का सुंदर मेल दिखाई दिया।
शुभारंभ में गूंजी सरस्वती वंदना
गोष्ठी की शुरुआत कवि डीपी सिंह की मधुर सरस्वती वंदना से हुई, जिसने वातावरण को भक्ति और सकारात्मक ऊर्जा से भर दिया। उनकी वाणी में मां शारदा के प्रति अटूट श्रद्धा और सृजनशीलता के प्रति समर्पण की झलक साफ दिखाई दी।
कवियों ने बिखेरे शब्दों के मोती
इसके बाद एक-एक कर मंच पर विभिन्न कवियों ने अपनी रचनाओं से गोष्ठी को रंगों से भर दिया।
-
विनय विक्रम सिंह ‘मनकही’ — जिनके काव्य में ग्रामीण जीवन की सादगी और मानवीय रिश्तों की मिठास बिखरी रही।
-
डॉ. ईश्वर सिंह तेवतिया — जिनकी पंक्तियों में समाज की सच्चाइयों को गहराई से उकेरा गया।
-
शिव कुमार त्यागी ‘शिवा’ — जिन्होंने अपनी कविताओं में प्रेम और अध्यात्म का सुंदर संगम प्रस्तुत किया।
-
डॉ. सरिता गर्ग ‘सरि’ — जिन्होंने महिला दृष्टिकोण से सामाजिक मुद्दों पर गहन चिंतन प्रस्तुत किया।
-
नरेश शर्मा ‘केदार’ — जिनकी रचनाओं में लोक-संस्कृति और देशप्रेम का अद्भुत मिश्रण देखने को मिला।
-
सरिता शर्मा — जिन्होंने संवेदनाओं से भरी कविताओं से सभी का मन मोह लिया।
प्रत्येक कवि की प्रस्तुति ने श्रोताओं को बांधे रखा और चैट बॉक्स में ताली और सराहना के संदेश लगातार आते रहे।

ऑनलाइन मंच पर भी महसूस हुई आमने-सामने की निकटता
हालांकि यह गोष्ठी ऑनलाइन आयोजित की गई थी, लेकिन कविताओं का जादू ऐसा था कि सभी को लगा जैसे वे एक ही स्थान पर बैठे हों। कवियों के भाव, श्रोताओं की प्रतिक्रिया और संचालक के आत्मीय शब्द—सबने मिलकर एक अद्भुत साहित्यिक वातावरण का निर्माण किया।
अध्यक्ष का प्रेरक संबोधन
गोष्ठी के अंत में अध्यक्ष मृत्युंजय साधक ने सभी कवियों और श्रोताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच केवल रचनात्मक अभिव्यक्ति का मंच नहीं, बल्कि यह एक भावनात्मक परिवार है, जहां शब्दों के माध्यम से दिल से दिल का संवाद होता है। उन्होंने कहा कि ऐसी गोष्ठियां न केवल साहित्यकारों को मंच देती हैं, बल्कि नए कवियों को भी प्रेरणा प्रदान करती हैं।
धन्यवाद और भविष्य की योजनाएं
समापन अवसर पर डॉ. अंजु सुमन साधक ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, अध्यक्ष और सभी प्रतिभागियों को आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मंच की आगामी गोष्ठियों में और भी नए विषयों व कवियों को जोड़ा जाएगा, ताकि साहित्य की यह धारा और भी व्यापक रूप से बहे।
साहित्यिक जगत में वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच का योगदान
वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, लंबे समय से साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय है। यह मंच न केवल वरिष्ठ रचनाकारों को अपनी रचनाएं साझा करने का अवसर देता है, बल्कि युवा पीढ़ी को भी अनुभवी कवियों के अनुभव से सीखने का अवसर प्रदान करता है। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से इस मंच ने सैकड़ों कवियों को एक साथ जोड़ा है और साहित्य प्रेमियों के बीच संवाद का मजबूत पुल बनाया है।
कविता की ताकत
यह गोष्ठी एक बार फिर साबित करती है कि कविता समय, स्थान और तकनीक की सीमाओं को पार कर सकती है। शब्दों का असर चाहे स्क्रीन पर हो या सभागार में, वह दिलों तक पहुंचता ही है। इस आयोजन ने एक बार फिर साहित्य जगत में यह विश्वास जगाया कि जब तक कवि और श्रोता जीवित हैं, तब तक कविता की रसधार बहती रहेगी।