Harivansh Narayan Singh : उपराष्ट्रपति पद के संभावित दावेदार और उनकी हालिया राजनीतिक भूमिका 2025

Harivansh Narayan Singh
Harivansh Narayan Singh, जो वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति हैं, हाल के दिनों में भारतीय राजनीति में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। उनके कार्यकाल और हालिया घटनाक्रमों ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया है। यह ब्लॉग उनके नवीनतम योगदान, भूमिका और उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित उम्मीदवारी के बारे में विस्तार से बताता है।
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद नई जिम्मेदारी
21 जुलाई, 2025 को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके परिणामस्वरूप, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 91 के अनुसार, हरिवंश नारायण सिंह ने राज्यसभा के कार्यवाहक सभापति का पद संभाला। वर्तमान में चल रहे मानसून सत्र के दौरान वे राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन कर रहे हैं। उनकी यह भूमिका न केवल उनके अनुभव को दर्शाती है, बल्कि उनकी प्रशासनिक क्षमता को भी उजागर करती है।

उपराष्ट्रपति पद के लिए संभावित उम्मीदवारी
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए नए उम्मीदवार की खोज शुरू हो गई है। संविधान के अनुसार, इस पद के लिए चुनाव 19 सितंबर, 2025 तक पूरा करना होगा। इस बीच, सोशल मीडिया मंच X और विभिन्न समाचार स्रोतों पर हरिवंश नारायण सिंह को इस पद के लिए एक मजबूत दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। उनकी उम्मीदवारी की चर्चा का मुख्य कारण उनका लंबा राजनीतिक अनुभव, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ मजबूत संबंध, और विशेष रूप से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी निकटता है।
हालांकि, अभी तक उनकी उम्मीदवारी की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। यह चर्चा अभी सट्टेबाजी के दायरे में है, और इसे अंतिम नहीं माना जाना चाहिए। Harivansh Narayan Singh की अनुभवी छवि और बिहार से उनकी जड़ें उन्हें इस पद के लिए एक उपयुक्त विकल्प बनाती हैं, लेकिन अंतिम निर्णय संसद और एनडीए के नेतृत्व पर निर्भर करेगा।
हाल के संसदीय और सामाजिक योगदान
Harivansh Narayan Singh केवल एक कुशल प्रशासक ही नहीं, बल्कि एक सक्रिय सांसद भी हैं। हाल के महीनों में उन्होंने कई महत्वपूर्ण गतिविधियों में हिस्सा लिया है:
18 मार्च, 2025: हरिवंश ने यूरोपीय संसद और पुर्तगाली विधानसभा के संसदीय प्रतिनिधिमंडलों के साथ बैठकें कीं। इन बैठकों में भारत और इन क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा हुई। यह भारत की वैश्विक कूटनीति में उनकी सक्रिय भूमिका को दर्शाता है।
11 अगस्त, 2024: उन्होंने राज्यसभा सांसद भीम सिंह द्वारा लिखित पुस्तक 75 ग्रेट रिवॉल्यूशनरीज ऑफ इंडिया के विमोचन समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने पुस्तक में शामिल कम-ज्ञात ऐतिहासिक व्यक्तित्वों की प्रशंसा की और इसे स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को सम्मान देने का एक प्रयास बताया।
11 मई, 2024: हरिवंश ने विपक्ष के उन दावों का खंडन किया, जिनमें संविधान को खतरे में होने की बात कही गई थी। उन्होंने वर्तमान सरकार के तहत संविधान को मजबूत करने के लिए उठाए गए कदमों पर प्रकाश डाला। यह उनकी स्पष्टवादी और तथ्य-आधारित दृष्टिकोण को दर्शाता है।
Harivansh Narayan Singh का राजनीतिक सफर
Harivansh Narayan Singh एक अनुभवी पत्रकार और राजनेता हैं। बिहार से ताल्लुक रखने वाले हरिवंश ने पत्रकारिता के क्षेत्र में लंबे समय तक काम किया और बाद में जनता दल (यूनाइटेड) के साथ सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। उनकी निष्पक्षता, संयम और संसदीय प्रक्रियाओं की गहरी समझ ने उन्हें राज्यसभा के उपसभापति के रूप में एक सम्मानजनक स्थान दिलाया है।
उनके नेतृत्व में, राज्यसभा ने कई महत्वपूर्ण विधेयकों और चर्चाओं को सुचारू रूप से संचालित किया है। उनकी नीतीश कुमार और एनडीए के साथ निकटता ने उन्हें बिहार और राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बनाया है।
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Harivansh Narayan Singh भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं। उपराष्ट्रपति पद के लिए उनकी संभावित उम्मीदवारी और वर्तमान में कार्यवाहक सभापति के रूप में उनकी भूमिका ने उन्हें और भी चर्चा में ला दिया है। हालांकि, उनकी उम्मीदवारी को लेकर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, और हमें इस विषय पर और स्पष्टता के लिए प्रतीक्षा करनी होगी।
उनके हाल के योगदान, चाहे वह संसदीय कूटनीति हो या सांस्कृतिक आयोजनों में भागीदारी, उनके समर्पण और जिम्मेदारी को दर्शाते हैं। भारतीय राजनीति में Harivansh Narayan Singh का योगदान निश्चित रूप से सराहनीय है, और आने वाले दिन उनके लिए और अधिक महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां ला सकते हैं।