ગાંભોઈ પાસેના વાવડી ગામે શ્રીમદ ભાગવત કથા જ્ઞાનયજ્ઞનું ભવ્ય સમાપન થયું
Update:સલાલ નગરમાં તેરાપંથના આચાર્ય મહાશ્રમણનું ભવ્ય આગમન
નીરવ જોશી , હિંમતનગર( M-7838880134)
જૈન ધર્મના તેરાપંથ સંપ્રદાયના 11માં આચાર્ય મહાશ્રમણજી વર્તમાન સમયમાં ગુજરાતના પ્રવાસે છે. ખાસ કરીને ગુજરાતના મોટા અંબાજી ખાતેથી તેઓ ગુજરાતમાં પ્રવેશ્યા અને ત્યારબાદ ખેરોજમાં અણુ વ્રત વર્ષના 75 વર્ષપ્રવેશ ભવ્ય કાર્યક્રમ યોજવામાં આવેલો.
ત્યાંથી વિહાર કરતાં તારીખ 23 2 2023 ના રોજ નાના અંબાજી તરીકે ગણાતા ખેડબ્રહ્મામાં આગમન કર્યું હતું અને ત્યાં રસ્તામાં ભવ્ય સ્વાગત સાથે KT હાઇસ્કુલ ખેડબ્રહ્મા ખાતે વિરામ કર્યો હતો . પ્રાચીન શાળા શેઠ KT હાઇસ્કુલ સ્કુલના પટાંગણમાં પ્રવચન આપી સમુદાયના અને બીજા સમુદાયના લોકો- અધ્યાત્મ પ્રેમીઓને અણુવ્રત તેમજ તેમના ગુરુદેવ બ્રહ્મલીન આચાર્ય મહાપ્રજ્ઞજી સંદેશા વડે કૃપા વરસાવી હતી.
ભવ્ય સ્વાગત સાથે માનવો વચ્ચે સદભાવના,નૈતિકતા અને વ્યસન મુક્તિની વાત કરીને દુષણ મુક્ત સમાજની વાત કરી . ત્યારબાદ ખેડબ્રહ્મા માં બનાવેલ તેરાપંથ ભવનમાં પધારેલ.
ત્યાં પણ લોકોને ખૂબ સારી એવી શિક્ષા – આ અણુવ્રતથી સંકલ્પિત કર્યા. ખેડબ્રહ્મા અણુવ્રત સમિતિના તેમજ તેરાપંથ જૈન સમાજના ઉપાસક અને વડીલ એવા શંકરભાઈ બોથમલ ડાલચંદ ભાઈએ પોતાના ઉપાસનાના વિચારો ઉપસ્થિત શ્રોતાઓ સમક્ષ રજુ કર્યા હતા.
(TERAPANTH MEDIA PRESS RELEASE -28/2/2023)
🌸 *ज्योतिचरण के मंगल शुभागमन से हिम्मतनगर में छाया उल्लास* 🌸
*-हिम्मतनगर में तेरापंथ के प्रथम आचार्य के रूप में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण का मंगल पदार्पण*
*-श्रद्धालुओं ने किया भव्य अभिनंदन, आचार्यश्री श्री पहुंचे उमिया धाम*
*-मार्ग में अपना काफिला रोक उपराज्यपाल प्रफुल्ल भाई पटेल ने किया आचार्यश्री के दर्शन*
*-लाभ होने पर भी न आए लोभ: शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण*
*28.02.2023, मंगलवार, हिम्मतनगर, साबरकांठा (गुजरात) :*
मानवता के कल्याण के लिए, जन मानस को सन्मार्ग दिखाने के लिए अपनी अणुव्रत यात्रा के साथ जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, मानवता के मसीहा, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग मंगलवार को उत्तर गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर में मंगल प्रवेश किया तो अपने हिम्मतनगर का जन-जन श्रद्धाभावों से विभोर हो उठा। तेरापंथ धर्मसंघ की आचार्य परंपरा के प्रथम आचार्य के रूप में आचार्यश्री का मंगल पदार्पण जन-जन को आह्लादित बनाए हुए था। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री हिम्मतनगर स्थित उमिया माता मन्दिर धाम परिसर में पधारे।
मंगलवार को प्रातः वक्तापुर से आचार्यश्री ने हिम्मतनगर की ओर प्रस्थान किया। हिम्मतनगर के वासी अपने आराध्य के अभिनंदन को विहार से पूर्व ही पहुंच गए थे। मार्ग में अनेक स्थानों पर श्रद्धालुजनों पर आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री गंतव्य की ओर गतिमान थे।
अपने काफिले के साथ दमन-दीव व दादरा नगर हवेली के उपराज्यपाल श्री प्रफुल्ल भाई पटेल कहीं जा रहे थे। मार्ग में उन्होंने आचार्यश्री को गतिमान देखा तो अपना काफिला रोककर आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित हुए सभक्ति नमन किया तो आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। उपराज्यपाल का इस तरह आचार्यश्री के दर्शन करना उपस्थित श्रद्धालुओं को आह्लादित बना रहा था।
आचार्यश्री जैसे ही हिम्मतनगर की सीमा में पधारे तो अपनी आस्थाभावों के साथ उपस्थित जनता ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनंदन किया। हिम्मतनगर में पहली बार तेरापंथ के किसी आचार्य का मंगल पदार्पण पूरे वातावरण को आध्यात्मिकता से ओतप्रोत बनाए हुए था। बुलंद जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हो रहा था। स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री उमिया माता मंदिर धाम परिसर में पधारे।
धाम परिसर में उपस्थित जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि मनुष्य के भीतर अनेक वृत्तियां होती हैं। उसमें एक लोभ की वृत्ति भी होती है। यह दुर्वृत्ति होती है। आदमी अपराध में चला जाता है। हिंसा, हत्या, चोरी, झूठ आदि जैसे पाप भी कर लेता है। इन सभी पापों का मूल कारण लोभ की वृत्ति होती है। लोभ को नियंत्रित करने की साधना बड़ी साधना होती है। व्यक्ति को जब किसी कार्य में लाभ प्राप्त होता है तो उसका लोभ भी उसी प्रकार से बढ़ने लगता है, वह निरंतर लाभ का लोभी बन सकता है। इससे बचने के लिए आदमी को लोभ की ओर नहीं, बल्कि संतोष की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। लाभ होने पर भी लोभ न बढ़े, यह अच्छी बात हो सकती है। आदमी को लोभ की वृत्ति को यथासंभव कम करने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री की मंगल प्रेरणा से पूर्व उपस्थित जनता को साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने उद्बोधित किया। आचार्यश्री ने हिम्मतनगर की जनता को धार्मिक-आध्यात्मिक क्षेत्र में विकास करने का मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया। आचार्यश्री के स्वागत में स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री सुशील भाई चावत, उत्तर गुजरात श्रावक समिति के अध्यक्ष श्री केतनभाई डूंगरवाल, मूर्तिपूजक समाज के श्री सीसी सेठ, स्थानीय दिगम्बर समाज के श्री सुरेश मुनोत ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल से स्वागत गीत का संगान किया। उत्तर गुजरात के 17 ज्ञानशाला से आए ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी।
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તારીખ 24 થી 27 સુધી ઈડર ,બડોલી તેમજ વક્તાપુર અને 28મી તારીખે હિંમતનગર પધાર્યા. બહુ મોટા મોટી સંખ્યામાં લોકોએ તેમના દર્શન સેવાનો લાભ લીધેલ.
આજે માર્ચ મહિનાના પહેલી તારીખે સલાલમાં તેમના પ્રવેશ થયો. પુરા ગ્રામજનોએ એમના પ્રવચન અને દર્શનનો લાભ લીધેલ.
Place: Salal
(PRESS RELEASE FROM TERAPANTH MEDIA)
🌸 *सुगुरु की कृपा पाकर सलाल हुआ निहाल* 🌸
*-तीव्र आतप के मध्य लगभग 13 कि.मी. का शांतिदूत ने किया विहार*
*-स्वागत में उमड़ी सलाल की जनता, जन-जन पर हुई आशीषवृष्टि*
*-अहंकार और ममकार से हो बचाव तो अपरिग्रह बन सकता है पुष्ट : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण*
*-हर्षित सलालवासियों ने भी अपनी भावनाओं को दी अभिव्यक्ति*
*01.03.2023, बुधवार, सलाल, साबरकांठा (गुजरात) :*
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के इतिहास में नित नए स्वर्णिम अध्यायों का सृजन करने वाले, अपनी दृढ़संकल्पों के सहारे अध्यात्म जगत देदीप्यमान महासूर्य, तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी गुजरात यात्रा के दौरान उन क्षेत्रों को पावन बना रहे हैं, जिन क्षेत्रों में तेरापंथ के किसी आचार्य का पूर्व में पदार्पण नहीं हुआ है। ऐसे में तेरापंथ धर्म के अनुयायी पहली बार अपने आराध्य को अपने आंगन में पाकर मानों परमानंद की अनुभूति कर रहे हैं। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में रहने वाले अन्य सभी वर्गों और समुदायों के लोगों को भी मानवता का कल्याण करने वाले मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी के सहज दर्शन करने और उनकी मंगलवाणी का श्रवण करने का सौभाग्य भी प्राप्त हो रहा है। ऐसा सुअवसर प्राप्त कर गुजरात की जनता आध्यात्मिकता नव संचार हो रहा है।
बुधवार को प्रातः हिम्मतनगर के उमा विद्यालय से तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी जनकल्याण को प्रवर्धमान हुए तो हिम्मतनगरवासियों ने अपने आराध्य के प्रति अपने कृतज्ञ भावों को अभिव्यक्त किया। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 पर गतिमान राष्ट्रीय संत आचार्यश्री महाश्रमणजी जैसे-जैसे आगे बढ़ते जा रहे थे, वैसे-वैसे सूर्य भी आसमान में बढ़ता जा रहा था और इसके साथ ही बढ़ती जा रही थी धूप और गर्मी। फिर भी प्राकृतिक प्रतिकूलता की परवाह किए बिना जन-जन को अपने आशीष से आच्छादित करते हुए ज्योतिचरण गतिमान थे।
लगभग तेरह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री जैसे ही सलाल नगर के निकट पधारे तो अपने आराध्य के प्रथम आगमन पर सलालवासियों ने भव्य अभिनंदन किया। तोरणद्वारों से नगर का हर मार्ग सजा-धजा नजर आ रहा था। बुलंद जयघोष श्रद्धालुओं के उत्साह को दर्शा रहा था। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री सलाल में स्थित तेरापंथ भवन में पधारे।
भवन के निकट बने प्रवचन पण्डाल में उपस्थित जनमेदिनी को अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कहा कि आदमी के भीतर ममत्व की चेतना भी होती है। मोह, मूर्छा जहां होता है, वहां परिग्रह हो जाता है। परिग्रह हिंसा का कारण बन जाता है। कोई हिंसा, युद्ध आदि जो भी कार्य होता है, वह पहले व्यक्ति के दिमाग में होता है, फिर वह आचरण में प्रवृत्त हो जाता है। हिंसा की पृष्ठभूमि में परिग्रह भी होता है। परिग्रह और ममत्व की भावना बहुत अधिक न हो, प्रतनु रहे और कभी शरीर से भी मोह की भावना समाप्त हो, ऐसा प्रयास करना चाहिए।
अहंकार और ममकार आदमी की चेतना को बेकार करने वाले होते हैं। आदमी को अहंकार और ममकार से बचने का प्रयास करना चाहिए और अपरिग्रह की भावना को पुष्ट बनाने का प्रयास करना चाहिए। इसी प्रकार आदमी को केवल धन का ही नहीं, अपनी विद्या का, बुद्धि का, बल का, अधिकार का घमण्ड न हो, ऐसा प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने सलाल आगमन के संदर्भ में कहा कि अणुव्रत यात्रा के रूप में आज सलाल आना हुआ है। यहां के लोगों में सद्भावना, नैतिकता व अपरिग्रह की भावना बनी रहे।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीप्रमुखा साध्वी विश्रुतविभाजी ने भी सलालवासियों को आध्यात्मिक प्रेरणा प्रदान की। अपने आराध्य के प्रथम आगमन और दर्शन से हर्षित सलालवासियों ने अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री मिश्रीलाल चोरड़िया, दिगम्बर समाज की ओर से श्री दिनेश भाई गांधी, स्थानकवासी जैन संघ की ओर से श्री पंकज बणवट, अखिल भारतीय संत समिति के संयुक्त महामंत्री महंत श्री सुनीलदासजी, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के महामंत्री श्री विमल शाह, स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती ललिता श्रीश्रीमाल व बालिका तपस्वी जैन ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल की कन्याओं ने पृथक्-पृथक् स्वागत गीत के माध्यम से अपने आराध्य के श्रीचरणों की वंदना की।
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બીજી માર્ચના રોજ મહાશ્રમણજી તેમના 102 સંતો અને તેરા પંથ તેમજ બીજા અધ્યાત્મ પ્રેમી સમુદાય સાથે પ્રાચીન શહેર પ્રાંતિજ ખાતે આગમન કરશે. ત્યાં પણ આખો દિવસ નું કાર્યક્રમ યોજાશે અને રાત્રી મુકામ પ્રાંતિજ ખાતે કરાશે.. મહાસમણજીના કાર્યક્રમમાં રોજ સવારે 11:00 વાગે પ્રવચન જે શહેરમાં રોકાતા હોય છે અથવા તો જે સ્થાનમાં રોકાતા હોય ત્યાં પ્રવચન કરવામાં આવતું હોય છે અને આ પ્રવચનો લાભ મોટાપાએ ગ્રામજનો – નગરજનો લેતા હોય છે …ત્યારબાદ સાધાર્મિક ભક્તિનો અને પ્રસાદનો લાભ પણ લેતા હોય છે.