परिवर्तन ही विकास है- અબ્દુલ કલામના જન્મદિવસ પર વિશેષ

નરેશ દવે , અમદાવાદ (વરિષ્ઠ પત્રકાર – સંપાદક ) M – 9099376951)
આજે ભારતના ભૂતપૂર્વ રાષ્ટ્રપતિ એપીજે અબ્દુલ કલામનો જન્મ દિવસ છે…! ત્યારે એમના ઘણા પ્રેમીઓ તેમને ખૂબ જ ભાવપૂર્ણ યાદગીરીઓ, તેમજ તેમના કાર્યોને સ્મરણ કરી રહ્યા છે.. ત્યારે પ્રસ્તુત છે – એક એવા સન્માનિત પત્રકાર જગતના આદરણીય સંપાદક સાહેબ નરેશભાઈ દવેના પૂર્વ રાષ્ટ્રપતિ એપીજે અબ્દુલ કલામ સાથેના ખુદના સંસ્મરણો!
परिवर्तन ही विकास है, ये शब्द हैं भारत के महान शख्सियत अब्दुल कलाम के, जिनका आज, 15 अक्टूबर को जन्मदिन है। चेंज इज़ द डेवलपमेंट, उनके इन शब्दों ने मेरे करियर को एक नई दिशा दी।
जब मैं जनसत्ता में पत्रकार के तौर पर काम कर रहा था, तब मेरे सामने एक अवसर आया। मुझे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में शामिल होने का निमंत्रण मिला, लेकिन मैं सालों तक प्रिंट में काम करने के बाद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जाने से हिचकिचा रहा था। मैं लंबे समय तक दुविधा में था। क्या करूँ? क्या प्रिंट मीडिया से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जाऊँ? ऐसे सवाल मेरे मन में चल रहे थे और उसी दौरान, तत्कालीन इसरो के चेयरमैन एपीजे अब्दुल कलाम, आणंद स्थित इरमा, इंस्टीट्यूट ऑफ रुरल मैनेजमेंट के कॉन्वोकेशन
में आ रहे थे और सौभाग्य से मुझे इसे कवर करने के लिए अहमदाबाद से आणंद जाना पड़ा। उस समय, जब अब्दुल कलाम छात्रों से बात कर रहे थे, मैं भी रिपोर्टिंग के लिए वहाँ मौजूद था।
एक छात्र ने पूछा व्हाट इज़ द डेवलपमेंट? और कलाम साहब ने कहा चेंज इज़ द डेवलपमेंट। छात्रों के साथ बात करने बाद मुझे उनका इंटरव्यू करने का मौका मिला। इंटरव्यू में भी उन्होंने यही दोहराया। इंटरव्यू पूरा करने बाद, अहमदाबाद आने तक मेरे दिमाग में इस बात ने गहरा असर डाला, चेंज इज़ द डेवलपमेंट। दूसरे दिन मैंने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जाने का फ़ैसला ले लिया और उसके बाद में Etv गुजराती से जुड़ गया। इस एक वाक्य ने मेरी ज़िन्दगी बदल दी।
“परिवर्तन ही विकास है”, यह बात मेरे जीवन में निरंतर मेरे साथ रही है। उसके सालों बाद मैं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से डिजिटल मीडिया में आया और फिर शिक्षा के क्षेत्र में भी काम किया, इस तरह निरंतर परिवर्तन ही मेरे विकास का मंत्र बन गया।
आज भी मैं एक नए क्षेत्र में काम करने की तैयारी कर रहा हूँ। कलाम साहब को उनके जन्मदिन पर शत शत नमन।