Amit Shah ने लोकसभा में रखे 3 सशक्त विधेयक | नेताओं की जवाबदेही पर होगा सीधा असर

Amit Shah ने लोकसभा में रखे 3 सशक्त विधेयक
भारत की संसद में आज एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया, जब केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को पेश किया। ये विधेयक—संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025, और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025—चुनावी नेताओं की जवाबदेही और शासन में पारदर्शिता को मजबूत करने की दिशा में एक नया अध्याय शुरू करने का वादा करते हैं।
Amit Shah : विधेयकों का सार
ये विधेयक उन नेताओं के लिए एक सख्त कानूनी ढांचा प्रस्तावित करते हैं, जो गंभीर आपराधिक मामलों में 30 दिनों तक लगातार हिरासत में रहते हैं। यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, या केंद्रीय/राज्य मंत्री पांच साल या उससे अधिक की सजा वाले अपराध के लिए हिरासत में है, तो उन्हें 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा या उनकी सेवाएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी।

- संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025: यह विधेयक अनुच्छेद 75 में एक नया खंड (5A) जोड़ता है, जो केंद्रीय मंत्रियों और प्रधानमंत्री के लिए हिरासत की स्थिति में हटाने की प्रक्रिया निर्धारित करता है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की सलाह पर, या स्वतः ही 31वें दिन कार्रवाई करेंगे।
- केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025: यह पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों के लिए समान नियम लागू करता है।
- जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025: यह जम्मू और कश्मीर में मुख्यमंत्री या मंत्रियों के लिए समान प्रावधान लाता है।
कानून का उद्देश्य
Amit Shah ने इन विधेयकों को पेश करते हुए कहा, “चुनावी पदों पर बैठे व्यक्तियों को संवैधानिक नैतिकता और जनता के भरोसे का प्रतीक होना चाहिए। गंभीर आपराधिक आरोपों में हिरासत में रहने वाले नेता शासन की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हिरासत से रिहा होने के बाद ऐसे नेता पुनः नियुक्त हो सकते हैं, बशर्ते अन्य कानूनी शर्तें पूरी हों।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
Amit Shah : इन विधेयकों ने राजनीतिक हलकों में तीखी बहस छेड़ दी है। विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस, ने इसे विपक्ष trevallyक्षी सरकारों को अस्थिर करने की रणनीति करार दिया है। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “यह केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का एक और तरीका हो सकता है। बिना स्पष्ट दिशानिर्देशों के, विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा सकता है।”
दूसरी ओर, सरकार ने इसे जवाबदेही की दिशा में एक कदम बताया है। विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने का प्रस्ताव है, जो व्यापक विचार-विमर्श की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।

क्या है चुनौती?
मानसून सत्र के अंतिम दिन (21 अगस्त, 2025) पेश किए गए इन विधेयकों पर चर्चा के लिए समय की कमी एक बड़ी चुनौती है। विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन जैसे अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की मांग की है, जिसके कारण लोकसभा की कार्यवाही में व्यवधान देखा गया।
जम्मू-कश्मीर और राज्य का दर्जा
जम्मू और कश्मीर से संबंधित विधेयक ने यह अटकलें तेज कर दी हैं कि क्या यह राज्य के दर्जे की बहाली की ओर एक कदम है। हालांकि, इस बारे में अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
जनता की राय
सोशल मीडिया मंच X पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक साहसिक कदम मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे राजनीतिक हथकंडे के रूप में देखते हैं। एक यूजर ने लिखा, “यह कानून नेताओं को जवाबदेह बनाएगा!” वहीं, दूसरे ने चेतावनी दी, “इसका दुरुपयोग विपक्ष को दबाने के लिए हो सकता है।”
Also Read This : ChatGPT Subscription in India : योजनाएं, कीमतें और लाभ
Amit Shah : ये विधेयक अभी प्रारंभिक चरण में हैं और इन्हें जेपीसी के पास भेजा जाएगा। इस प्रक्रिया में विभिन्न हितधारकों के विचारों को शामिल किया जाएगा, जिससे यह कानून और भी परिष्कृत हो सकता है।