UPSC सिविल सेवा परीक्षा में सुधार: एक नई दिशा की जरूरत

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UPSC सिविल सेवा परीक्षा दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है, जो भारत के सबसे होनहार लोगों को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) जैसे प्रतिष्ठित पदों के लिए चुनती है। लेकिन, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव ने इस प्रणाली में बड़े बदलावों की सिफारिश की है। टाइम्स ऑफ इंडिया में अपने लेख में उन्होंने परीक्षा की अधिकतम आयु और प्रयासों की संख्या कम करने और 40 साल से अधिक उम्र के पेशेवरों के लिए एक नया प्रवेश मार्ग शुरू करने का सुझाव दिया है। आइए, उनके विचारों और उनके महत्व को समझें।
वर्तमान व्यवस्था और उसकी कमियां
UPSC परीक्षा में 21 से 32 साल की उम्र के बीच 6 बार प्रयास करने की छूट है। यह लचीलापन देता है, लेकिन सुब्बाराव का कहना है कि इससे कई समस्याएं पैदा होती हैं। कई उम्मीदवार सालों तक तैयारी करते हैं, लेकिन बार-बार असफल होने से उन पर भारी मानसिक और भावनात्मक दबाव पड़ता है। वे संक कॉस्ट फॉलसी (Sunk Cost Fallacy) का शिकार हो जाते हैं, जहां वे सोचते हैं, “मैंने इतना समय और मेहनत लगा दी, अब हार मानूं तो सब बेकार हो जाएगा।” इससे कई लोग अपने सबसे अच्छे साल एक ऐसे लक्ष्य के पीछे बर्बाद कर देते हैं, जो शायद उनके लिए मुमकिन नहीं है।
आयु और प्रयासों की संख्या में कटौती
सुब्बाराव ने अधिकतम आयु को 27 साल और प्रयासों को 3 बार तक सीमित करने का सुझाव दिया है। उन्होंने 1970 के दशक के अपने अनुभव का जिक्र किया, जब केवल दो प्रयास और 21-24 साल की आयु सीमा थी। उनका मानना है कि मौजूदा छह प्रयासों की व्यवस्था उन लोगों को फायदा देती है, जो परीक्षा की तकनीक में महारत हासिल कर लेते हैं, न कि वास्तविक योग्यता वाले लोगों को। कम प्रयासों से उम्मीदवार जल्दी दूसरी राह चुन सकते हैं और अपने समय की बर्बादी रोक सकते हैं।

अनुभवी प्रोफेशनल्स के लिए नया रास्ता
युवा केंद्रित व्यवस्था को संतुलित करने के लिए, सुब्बाराव ने 40-42 साल की उम्र के अनुभवी लोगों के लिए हर साल एक नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का प्रस्ताव दिया। यह लेटरल एंट्री से अलग होगी और UPSC द्वारा संचालित एक स्थायी, प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया होगी। ऐसे लोग, जो पहले से अनुभव रखते हैं, प्रशासन में नई सोच और व्यावहारिक ज्ञान ला सकते हैं, जिससे सिविल सेवा अधिक प्रभावी और संवेदनशील बनेगी।
UPSC : युवाओं की ताकत को बनाए रखना
मध्य-करियर प्रवेश का समर्थन करते हुए, सुब्बाराव ने युवा भर्तियों के महत्व पर भी जोर दिया। वे प्रशासन में नया जोश, उत्साह और ताजगी लाते हैं। युवा और अनुभवी लोगों का मिश्रण सिविल सेवा को और बेहतर बना सकता है।
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सुब्बाराव के सुझाव UPSC प्रणाली को आधुनिक और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक कदम हैं। आयु और प्रयासों की सीमा कम करने से सही प्रतिभा का चयन हो सकता है, वहीं मध्य-करियर प्रवेश से अनुभव की विविधता आएगी। जैसा कि उन्होंने कहा, UPSC परीक्षा में पिछले कुछ दशकों में सुधार हुआ है, लेकिन अभी और बेहतर करने की जरूरत है। ये बदलाव सिविल सेवा को भारत की बदलती जरूरतों के लिए और तैयार कर सकते हैं ।