इतिहास की खोज: संभल(Sambhal) के मंदिर के कुएं से मिली प्राचीन मूर्तियां और उनका सांस्कृतिक महत्व

 इतिहास की खोज: संभल(Sambhal) के मंदिर के कुएं से मिली प्राचीन मूर्तियां और उनका सांस्कृतिक महत्व

Sambhal

हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल(Sambhal) में एक मंदिर के कुएं से प्राचीन मूर्तियों की खोज ने इतिहासकारों, पुरातत्वविदों और श्रद्धालुओं के बीच गहरी दिलचस्पी और बहस को जन्म दिया है। प्रमुख वकील और इतिहासकार विष्णु शंकर जैन ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को उजागर किया है। यहां इस घटना और जैन के विश्लेषण पर गहराई से नज़र डाली गई है।

Sambhal : इतिहास से जुड़ा अद्भुत खोज

संभल(Sambhal) के निवासियों ने एक पुराने मंदिर के अंदर कुएं की सफाई करते समय कई प्राचीन मूर्तियां पाईं। माना जा रहा है कि ये मूर्तियां सदियों पुरानी हैं, जिनमें बारीक नक्काशी की गई है और ये हिंदू परंपराओं में पूजित देवी-देवताओं का चित्रण करती हैं। इस खोज ने विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया है, जो इन मूर्तियों की उत्पत्ति और ऐतिहासिक महत्व को समझने के लिए उत्सुक हैं।

विष्णु शंकर जैन की राय

इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर मामलों में अपने ज्ञान के लिए प्रसिद्ध वकील विष्णु शंकर जैन ने इस खोज को “हमारे प्राचीन इतिहास की खिड़की” बताया। उनके अनुसार, ये मूर्तियां उस समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करती हैं, जो भारत के अतीत में आध्यात्मिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र रही है।

सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण

जैन ने इस तरह की खोजों को सावधानीपूर्वक संरक्षित और दस्तावेज़ करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “ये मूर्तियां केवल पुरावशेष नहीं हैं; ये हमारे इतिहास और आस्था के ठोस प्रमाण हैं।” उन्होंने सरकार और पुरातत्व अधिकारियों से आग्रह किया कि इन मूर्तियों को सुरक्षित रखा जाए और इनके ऐतिहासिक संदर्भ को उजागर करने के लिए गहन अध्ययन किया जाए।

पुरातत्वीय कार्रवाई का आह्वान

वकील जैन ने इस क्षेत्र में व्यवस्थित पुरातत्वीय सर्वेक्षण करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि इस प्रकार की खोजें अक्सर सतह के नीचे दबी बड़ी ऐतिहासिक संरचनाओं या बस्तियों के संकेत देती हैं। विस्तृत अन्वेषण से संभवतः और भी पुरावशेषों का खुलासा हो सकता है और इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व के बारे में गहरी जानकारी मिल सकती है।

कानूनी और सांस्कृतिक बहस

इस खोज ने कानूनी और सांस्कृतिक पहलुओं पर भी चर्चा छेड़ दी है। कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों से जुड़े मामलों में प्रतिनिधित्व कर चुके विष्णु शंकर जैन ने इस बात पर जोर दिया कि इन मूर्तियों को सार्वजनिक विश्वास में बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने सुझाव दिया कि इन्हें स्थानीय संग्रहालयों या मंदिरों में रखा जाए, जहां ये जनता के लिए सुलभ और क्षति या चोरी से सुरक्षित रहें।

जनता की भावना और धार्मिक महत्व

इस खोज ने स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं के बीच भावनात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न की है। कई लोग इन मूर्तियों को पवित्र मानते हैं और उनके पुनः प्रकट होने को दिव्य आशीर्वाद मानते हैं। जैन ने ऐसी खोजों के आध्यात्मिक महत्व को स्वीकार करते हुए कहा, “श्रद्धालुओं के लिए, ये मूर्तियां केवल अवशेष नहीं हैं, बल्कि दिव्य उपस्थिति और निरंतरता के प्रतीक हैं।”

Sambhal : आगे की राह

संभल(Sambhal) में हुई यह खोज भारत की विशाल और अक्सर छिपी हुई ऐतिहासिक संपदाओं की याद दिलाती है। विष्णु शंकर जैन का कार्रवाई का आह्वान आने वाली पीढ़ियों के लिए इस धरोहर को संरक्षित करने के महत्व को रेखांकित करता है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, यह घटना सरकार, पुरातत्वविदों और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर देती है, ताकि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का सम्मान और संरक्षण किया जा सके।

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संभल(Sambhal) के मंदिर के कुएं से मिली मूर्तियां हमें अतीत से जोड़ने का एक सेतु हैं। विष्णु शंकर जैन जैसे विशेषज्ञों द्वारा इनके संरक्षण और अध्ययन की वकालत के साथ, ये पुरावशेष इतिहास और आध्यात्मिकता को समझने में हमारी मदद करने का वादा करते हैं।

Nimmi Chaudhary

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