डॉ. विश्वामित्र बत्रा(Dr Vishwamitra Batra) को आदिवासी क्षेत्रों में परिवर्तनकारी सेवा के लिए कर्मयोगी अवार्ड 2024 से सम्मानित किया गया।
सह-सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल जी ने डॉ. विश्वामित्र बत्रा(Dr Vishwamitra Batra) को कर्मयोगी अवार्ड 2024 से किया सम्मानित
नई दिल्ली, 27 नवंबर 2024: सामाजिक सेवा संगठन ‘माय होम इंडिया'(My Home India) द्वारा 11वां कर्मयोगी अवार्ड सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इस अवसर पर डॉक्टर विश्वामित्र बत्रा जी(Dr Vishwamitra Batra) को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह श्री कृष्ण गोपाल जी ने सम्मानित किया।
1983 से निस्वार्थ सेवा की यात्रा डॉ. विश्वामित्र बत्रा(Dr Vishwamitra Batra) द्वारा मेघालय के खासी हिल्स में चार दशकों की सेवा
डॉ. विश्वामित्र बत्रा(Dr Vishwamitra Batra) ने दिल्ली से चिकित्सा में स्नातक कर 1983 में भारत के आदिवासी इलाकों के लोगों की सेवा करने के लिए घर छोड़ दिया था। वह पिछले 41 वर्षों से इस तरह के प्रयास लगातार कर रहे हैं। इन चार दशकों में, डॉ. बत्रा(Dr Vishwamitra Batra) ने मेघालय के खासी हिल्स को अपना घर बनाया और न केवल वहां के आदिवासी लोगों की शारीरिक बीमारियों का इलाज किया, बल्कि ईसाई मिशन और अन्य अलगाववादी समूहों की गतिविधियों के कारण समाज में व्याप्त सामाजिक बीमारियों का भी इलाज किया।
पूर्वोत्तर भारत में वे शायद पहले गैर-आदिवासी व्यक्ति हैं जिन्हें सेवा कार्यों के कारण आदिवासी सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-सरकार्यवाह श्री कृष्ण गोपाल जी ने इस अवसर पर कहा कि पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को लंबे समय तक भड़काया गया, उसे समझने के लिए जो दृष्टि चाहिए थी, वह नहीं अपनाई गई। हर राज्य को ऐसे बताया गया जैसे वह स्वयं में देश हो, इसके कारण पूर्वोत्तर भारत लंबे समय तक मतांतर और अलगाववाद की आग में झुलसा। आगे उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर को जोड़ने की नहीं, समझने की आवश्यकता है। संघ से जुड़े संगठनों ने इस भाव को समझा और सेवा के अनेक प्रकल्प शुरू किए। पूर्वोत्तर के लोगों को देश के अन्य हिस्सों में कुशलता से रखा गया और उन्हें आत्मीयता का भाव दिया गया।
डॉ. विश्वामित्र बत्रा(Dr Vishwamitra Batra): समर्पण और राष्ट्रवाद का प्रतीक
‘माय होम इंडिया'(My Home India) के संस्थापक और वरिष्ठ भाजपा नेता सुनील देवधर जी ने कहा कि जिन लोगों ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में सेवा कार्य करते हुए स्वयं को राष्ट्र कल्याण में आहुत कर दिया, ऐसे लोगों को ही स्वामी विवेकानंद स्मृति कर्मयोगी अवार्ड दिया जाता है। पूर्वोत्तर भारत में आज जो बदलाव देखा जा रहा है, वह निश्चित ही कर्मयोगियों के संघर्ष और समर्पण का फल है। नार्थ ईस्ट में ऐसे सैकड़ों कर्मयोगी हैं लेकिन डॉ. विश्वामित्र बत्रा जी(Dr Vishwamitra Batra) का यह सम्मान प्रतीकात्मक है। उन्होंने उन दूर-सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा के माध्यम से राष्ट्रवाद की भावना जागृत की।
कर्मयोगी विश्वामित्र बत्रा जी(Dr Vishwamitra Batra) ने इस अवसर पर कहा कि यह सम्मान उस विचार का है, जो पराधीनता के कारण आई विकृतियों और खड़ी हुई समस्याओं के समाधान के लिए हज़ारों कार्यकर्ता विभिन्न प्रकल्पों में लगे हुए हैं। यह उन कर्मयोगियों का सम्मान है।
इस भव्य समारोह में प्रमुख अतिथि के रूप में पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन जी, सेंघ खी लांग के अध्यक्ष रॉबिन कुरबाह जी समेत कई विशिष्ट जन उपस्थित थे।
समारोह में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाले कई अन्य विशिष्ट अतिथियों को भी उनके कार्यों के लिए पुरस्कार प्रदान किया गया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन संस्था के दिल्ली एनसीआर अध्यक्ष बलदेव राज सचदेवा जी ने किया।